Home कविताएं कार्ल मार्क्स की कविता : जीवन लक्ष्य

कार्ल मार्क्स की कविता : जीवन लक्ष्य

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कठिनाइयों से रीता जीवन
मेरे लिए नहीं

नहीं, मेरे तूफानी मन को यह नहीं स्वीकार
मुझे तो चाहिए एक महान ऊंचा लक्ष्य
और उसके लिए
उम्र भर संघर्षों का अटूट क्रम

ओ कला ! तू खोल
मानवता की धरोहर, अपने अमूल्य कोशों के द्वार
मेरे लिए खोल
अपने प्रज्ञा और संवेगों के आलिंगन में
अखिल विश्व को बांध लूंगा मैं

आओ
हम बीहड़ और सुदूर यात्रा पर चलें
आओ,
क्योंकि हमें स्वीकार नहीं
छिछला निरुदेश्य और लक्ष्यहीन जीवन
हम ऊंघते, कलम घिसते
उत्पीडन और लाचारी में नहीं जियेंगे

हम आकांक्षा,आक्रोश, आवेग और
अभिमान से जियेंगे.

असली इन्सान की तरह जियेंगे.

  • कार्ल मार्क्स

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