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फिजिक्स के नोबल

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फिजिक्स के नोबल

1848 में कार्ल मार्क्स-फ्रेडरिक एंगेल्स के लिखे बीजक ‘कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो’ के बाद, ‘प्रकृति और समाज विज्ञान’ की सारी – जी हांं, सारी- खोजों और अनुसंधानों ने, मार्क्सवाद की भी पुष्टि की है. उसे सही ठहराया है.

भौतिक विज्ञान / फिजिक्स में 2020 के नोबल सम्मान की खबर, तीन वजहों से खुशखबर है.

1. इसे पाने वालों में 55 वर्ष की सुश्री एंड्रिया हेज़ (Andrea Ghez) शामिल हैं, जिन्होंने जर्मनी के रेनहार्ड गेन्ज़ेल (Reinhard Genzel) के साथ मिलकर, यह पता लगाया है कि आकाशगंगा के ठीक बीचोंबीच एक विराट वजनी अनोखा ब्लैकहोल है, जो सारे ग्रहों-उपग्रहों-सितारों की ‘गति और स्थिति’ – दोनों को नियंत्रित करता है.

नोबल शुरू होने (1901) के बाद से एंड्रिया, चौथी महिला भौतिक विज्ञानी हैं, जिन्हें यह सम्मान मिला. इससे पहले मैरी क्यूरी (Marie Curie) थी, जिन्हें 1903 में, मारिया गोयप्पर्ट-मेयर (Maria Goeppert-Mayer) (1963 में) और डोना स्ट्रिकलैंड (Donna Strickland) (2018 में) यह सम्मान हासिल कर चुकी हैं.

प्रसंगवश मैरी क्यूरी इसलिए भी असाधारण थी, क्योंकि 1911 में उन्होंने केमिस्ट्री -रसायन विज्ञान- में भी नोबल प्राप्त किया था. उन्होंने एक स्त्री होने के नाते खुद अपने जीवन में जितनी मुश्किलें उठाई थीं, वह अलग कथा है; शायद कोई फिल्म भी बनी है उस पर. क्या पता एंड्रिया की भी कोई कहानी हो – जिसके पन्नों को समेटकर वे यहां तक पहुंंची हों.

2. इस बार के फिजिक्स नोबल की दूसरी ख़ास बात इसका ब्लैक होल पर केंद्रित होना है.

ब्रह्माण्ड और इस प्रकार जीवन के अस्तित्व की पहेली को हल करने की दिशा में, ब्लैक होल एक विस्मयकारी वैज्ञानिक खोज थी. यूं इसकी भविष्यवाणी अल्बर्ट आईन्स्टीन ने अपनी ‘जनरल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी’ के साथ 1916 में ही कर दी थी – मगर पहले ब्लैकहोल को 1971 में ही खोजा जा सका.

इसकी सबसे सुव्यवस्थित व्याख्या स्टीफन हॉकिंग ने की थी और कहा था कि ‘ये सिद्धांत, हमें इस सवाल का जवाब देने के लिए काफ़ी हैं कि ‘ब्रह्मांड का निर्माण कैसे हुआ, ये कहां जा रहा है और क्या इसका अंत होगा और अगर होगा तो कैसे होगा ?’

अपने काव्यात्मक व्यंग में उन्होंने कहा था कि ‘अगर हमें, इन सवालों का जवाब मिल गया तो हम ईश्वर के दिमाग़ को भी समझ पाएंगे.’ (थ्यौरी ऑफ़ एवरीथिंग)

क्या है ब्लैकहोल और बिगबैंग :

सितारों, ग्रहों की भी एक उम्र होती है. उसके बाद वे सिकुड़ते हुए एक ऐसे पिण्ड में बदल जाते हैं, जहांं बस गुरुत्वाकर्षण और अन्धकार है. जहां वक़्त ठहर जाता है और जहां समय और स्थान (Time & Space) का कोई मतलब नहीं रह जाता. गुरुत्वाकर्षण इतना शक्तिशाली होता है कि यह आसपास की हर चीज सोख लेता है – यहां तक कि प्रकाश भी इससे बाहर नहीं आ पाता.

और उसके बाद कुछ – फकत कुछ- अरब-ख़रब वर्षों के बाद, यह ब्लैकहोल फूटता है और फैलने लगता है, नए-नए ग्रह और सितारे बनाते हुए आखिर में फिर एक बार से ब्लैक होल में ही बदल जाने के लिए. जैसे : हम जिस ब्रह्माण्ड में रहते हैं, वह कोई 13 अरब 80 करोड़ साल पहले ऐसे ही किसी विस्फोट से बनना शुरू हुआ था और अभी फैलता ही जा रहा है.

3. 2020 के नोबल की तीसरी बात है, आईंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत की एक बार और पुष्टि. और बस इतना कि ‘1848 में कार्ल मार्क्स-फ्रेडरिक एंगेल्स के लिखे बीजक ‘कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो’ के बाद, ‘प्रकृति और समाज विज्ञान’ की सारी – जी हाँ सारी- खोजों और अनुसंधानों ने, मार्क्सवाद की भी पुष्टि की है. उसे सही ठहराया है.

  • बादल सरोज

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