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क्षुद्र और अवसरवादी सरकारें सांप्रदायिकता और जातीय वैमनस्य द्वारा सड़ांध भारत बना रही है

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राम अयोध्या सिंह

यह भी अजीब तमाशा है साहब. साहब देश बेचकर राष्ट्र का नवनिर्माण और विकास कर रहे हैं, गदहे रेंककर भारत का इतिहास लिख रहे हैं. कुत्ते भौंक कर विकसित देशों को डरा रहे हैं. क्षुद्र और अवसरवादी नेता और सरकारें सांप्रदायिकता और जातीय वैमनस्य द्वारा सामाजिक और सांप्रदायिक सद्भावना बहाल कर रहे हैं.

नवजवान अपनी जिंदगी की कीमत पर धर्म और राष्ट्र की रक्षा में प्राणपण से जुटे हुए हैं. महिलाएं भ्रष्ट, पतित, व्याभिचारी और बलात्कारियों को संत और महात्मा सिद्ध करने में लगी हुई हैं. देश की जनता भगवान भरोसे मृत्युलोक के बाद स्वर्गलोक के लिए अग्रिम बुकिंग करा रहे हैं. आमजन भीखमंगी और गुलामी को भगवतभक्ति समझते हैं.

लोग बाग संविधान और लोकतंत्र की जगह मनुस्मृति और तानाशाही को आदर्श राज्य के लिए अपरिहार्य मान रहे हैं. शिक्षा भारतीयों के लिए अनावश्यक बोझ बन गया है, जिससे पीछा छुड़ाना ही लोग अपना कर्त्तव्य समझ रहे हैं. मूर्खों, अज्ञानियों, गुंडों, दुष्टों, लंपटों, मवालियों और माफियाओं को राष्ट्र का तारणहार मान लिया गया है.

शैक्षणिक संस्थानों और संस्थाओं को कूड़ेदान में डाल दिया गया है. सत्य का सार्वजनिक निषेध किया जा रहा है. साधुओं, बाबाओं, महंतों, पुजारियों , धर्माचार्यों और शंकराचार्यों द्वारा भारत को विश्वगुरु और विश्वशक्ति बनाया जा रहा है. डरी हुई न्यायपालिका मूर्ख और क्षुद्र नेताओं की पालकी ढो रहे हैं. मानवीय मूल्यों, आदर्शों, सिद्धांतों और संवेदनाओं तथा नैतिकता, त्याग, परोपकार और सदाशयता को दफना दिया गया है.

आधुनिकता, प्रगतिशीलता, धर्मनिरपेक्षता, मानवाधिकार, समाजवाद, समानता, भाईचारा, सामाजिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता की जगह सार्वजनिक संपत्ति की लूट और बिक्री, बहुसंख्यक मेहनतकश अवाम के साथ ही मजदूरों और किसानों की गुलामी, सरकार की जनविरोधी नीतियों, निर्णयों और कार्ययोजनाओं का विरोध करने वालों को राष्ट्रद्रोही और अर्बन नक्सल घोषित कर उन्हें रास्ते से हटाना ही आज की राजनीतिक संस्कृति बन गई है.

सरकारी आदेशों का आंख मूंदकर पालन करना ही राष्ट्रभक्ति है. अपने अवतारी प्रधानमंत्री की हर बात को सच मानते हुए उनका अक्षरशः पालन करना ही आज का सबसे परम राष्ट्रीय कर्त्तव्य है. इस अवतारी परमब्रह्म, पुरुषोत्तम, परमेश्वर, सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी महान आत्मा की हमेशा जय-जयकार करना ही हम भारतवासियों की एकमात्र नियति है. जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए का पालन करते रहिए और प्रभु का गुण गाते रहिए.

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