विद्रोह के हर कदम उठने पर
सलाह दी जाती है कि
शांति बनाये रखो, सब
ठीक हो जायेगा
लेकिन ज्ञात है कि
शांति से कुछ नहीं
ठीक होता
बस शान्ति से भूख से
मरते बच्चे दम तोड़ते हैं
शान्ति से कर्ज में डूबे
किसान गले में रस्सी कस
लेते हैं.
शांति से आदिवासियों
की जमीन हड़प ली जाती है
शान्ति से एक महिला का
बलात्कार कर दिया जाता है
शान्ति से बेरोजगारी में लोग
आत्महत्या कर लेते हैं
शांति से एक दलित जातिव्यवस्था
का शिकार हो जाता है
शान्ति से एक महिला की सारी
स्वतंत्रताएं दबा दी जाती हैं।
शान्ति से एक मज़दूर की मज़दूरी
हड़प ली जाती है
शान्ति से एक महिला वेश्या बना
दी जाती है
शान्ति से एक गरीब को भिखारी
बना दिया जाता है
शांति से हर उठती आवाज को
दबा दिया जाता है
शांति से आसमान में उठती मुठ्ठी
को हथकड़ियों में जकड़ दिया जाता है
शान्ति से एक राजा, राजा बना रहता है
और एक पूंजीपति पूंजीपति
शान्ति से बस अंधेरे में हमारी आंखें
टिमटिमा सकती हैं
लेकिन विद्रोह हमारी हर बेड़ियों
को तोड़ सकता है
- विवेक कुमार
26/2/2022
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