गुरूचरण सिंह
एक तरफ तो हमारी सरकार इन तीनों देशों में रहने वाले हिन्दुओं और गैर-मुस्लिमों के लिए आंसू बहाती है और दूसरी तरफ उन्हें अस्थि विसर्जन के लिए वीजा तक नहीं देती ! है न कमाल की बात !!
पंजाबी लोकगीत को एक अलग ही मुकाम पर के जाने वाले मशहूर गायक गुरदास मान का एक गीत है – ‘बाकी दीयां गल्ला छड्डो, दिल साफ होना चाहीदा !’ यानी बाकी सब कुछ चलेगा बशर्ते आपकी नीयत साफ हो ! लेकिन जिस तरह से नागरिकता कानून संशोधित किया, उसकी ज़रूरत बताते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने जिस तरह गलत आंकड़े और तर्क दिए, जिस तरह से उसे राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के साथ जोड़ने की कोशिश की गई, उसे देख कर तो यही लगता है कि नीयत ही तो साफ नहीं है सत्तारूढ़ पार्टी की !
पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू या गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने के लिए संशोधित किए गए नागरिकता कानून पर बहस करते हुए गृहमंत्री ने कहा था कि ‘इन देशों में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा है, उनकी आबादी भी कम हो रही है, इसलिए यह संशोधन जरूरी हो गया है.’ लेकिन पाकिस्तान इस दावे का खंडन करता है. उसके मुताबिक पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी घटने के स्थान पर बढ़ी है !
बीबीसी ने हाल ही में एक हैरान कर देने वाला खुलासा किया कि हरिद्वार में अस्थि-विसर्जन की बाट जोह रहे पाकिस्तान में पड़े हज़ारों अस्थिकलशों के लिए भारत सरकार वीजा ही नहीं दे रही. कमाल है न !! एक तरफ तो हमारी सरकार इन तीनों देशों में रहने वाले हिन्दुओं और गैर-मुस्लिमों के लिए आंसू बहाती है और दूसरी तरफ उन्हें अस्थि विसर्जन के लिए वीजा तक नहीं देती !
हालांकि भारतीय उच्चायोग वीजा न देने वाली बात का खंडन करता है. बीबीसी को दिए गए एक बयान में उन्होंने कहा है कि अपने परिवार के सदस्यों का अंतिम संस्कार करने के लिए हरिद्वार जाने की इच्छा रखने वाले लोगों के वीज़ा आवेदनों को हम सक्रियता से सहूलियत देते हैं. इसके साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा है कि इस तरह के वीज़ा आवेदनों के साथ आवश्यक दस्तावेज़ संलग्न होना अनिवार्य है !
लेकिन अपनी पत्नी आशा की अस्थियों को हरिद्वार में गंगा जी में विसर्जित करने की इच्छा रखने वाले डॉक्टर श्रीवास्तव इसे गलत बताते हैं. उन का दावा है कि ‘उन्होंने अपने आवेदन के साथ सभी आवश्यक दस्तावेज़ संलग्न किए थे फिर भी दूसरे कई लोगों की तरह उन्हें वीज़ा नहीं दिया गया.’
कराची में एक ही शमशान घाट है जिसकी देखभाल, साफ-सफाई की जिम्मेदारी मोहम्मद परवेज़ की है. मुस्लिम होने के बावजूद यही उनकी आजीविका का साधन है, इसी से उसका घर चलता है. उनका परिवार कई पीढ़ियों से इस जगह की देखभाल कर रहा है.
बीबीसी रिपोर्टर को वह हाथ में अगरबत्तियां लेकर बड़े अदब के साथ उस कमरे के अंदर ले कर गया जिसमें चारों तरफ़ अलमारियां थीं और इन अलमारियों पर दर्जनों छोटे-छोटे कलश रखे हुए थे. इनमें से कुछ कपड़ों में लपेट कर रखे हुए थे. उन पर उनके नाम और मत्यु की तारीख़ें लिखी हुईं थी. ये सभी अस्थि कलश उन हिन्दुओं के हैं जिनकी अंतिम इच्छा थी कि उनका परिवार उनकी अस्थियों को गंगा जी में विसर्जित कर दे.
परवेज़ ने बताया, ‘कोई दो सौ कलश ऐसे ही पड़े हुए हैं. इन दिनों वीज़ा मिलने में काफ़ी मुश्किल हो रही है. उनके परिवार भी यकीनन काफ़ी तनाव में हैं. ऐसे में उन्होंने अपने प्रियजनों का अस्थिकलश यहां जमा कर दिया है.’
एक धनी कारोबारी और सामाजिक कार्यकर्ता सन्नी घनश्याम ने बताया कि ‘मैं भारतीय उच्चायोग से पाकिस्तानी हिन्दुओं के लिए वीज़ा प्रक्रिया को और अधिक सुविधाजनक बनाने का बराबर अनुरोध कर रहा हूं. बल्कि इसके लिए उन्हें इस मामले के लिए अलग से एक वीज़ा कैटोगरी बनानी चाहिए लेकिन सुनवाई हो ही नहीं रही.’ सन्नी घनशाम का मानना है कि ऐसे अस्थि कलशों की संख्या हज़ारों में है.
हालात आपके सामने हैं, निष्कर्ष आपको निकालना है कि भाजपा सरकार की नीयत इस कामों को लेकर कितनी साफ है !
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