Home गेस्ट ब्लॉग पहली बार कैमरों, सोशल मीडिया के चलते पूरा देश मनु के राज को देख रहा है

पहली बार कैमरों, सोशल मीडिया के चलते पूरा देश मनु के राज को देख रहा है

0 second read
0
0
508

पहली बार कैमरों, सोशल मीडिया के चलते पूरा देश मनु के राज को देख रहा है

आप उत्तर प्रदेश चुनावों में हो रही हिंसा देखकर अचरज कर सकते हैं लेकिन मनुस्मृति आधारित जातिवादी तंत्र पांच हज़ार साल से इसी तरह हिंसा करती आई है. फ़र्क़ इतना है कि पहली बार इस पर कैमरे लगें हैं. पहली बार मनुतंत्र की व्यापक रिपोर्टिंग हो रही है. पहली बार इनकी लाठियां दर्ज हो रही हैं. इसी हिंसा का जवाब जब यादवों और दलितों ने देना शुरू किया तो उसे ‘जंगलराज’ कहा गया, और उसे हटाने के लिए लाया गया हिंदू राज.

लेकिन जितना जल्दी हो सके समझ लीजिए, हिंदू राज के भेष में ये भेड़ियों का राज है, जिन्होंने वर्षों तक इसी दरिंदगी से महिलाओं के कपड़े उतारे, इसी नृशंसता से इन्होंने नौजवान लड़के कुचले. पर ये पहली बार है कि सोशल मीडिया के चलते इसकी रिपोर्टिंग देश के प्रत्येक कोने में हो पा रही है.

जब से दमित वर्ग की पढ़ी-लिखी पीड़ियों ने सत्ता में हिस्सेदारी लेना शुरू किया है, तब से ही इनके हलक उतरे हुए हैं. ये इतने कायर लोग हैं कि शोषितों के शासन की कल्पना से भी घबराते हैं. ये इस बात को बखूबी जानते हैं कि राजनीतिक सत्ता ही सामाजिक सत्ता है, इसलिए ये राजनीतिक सत्ता से अपने नेतृत्व को नहीं जाने देना चाहते.

इसमें इनके पढ़े लिखे वर्ग से लेकर इनके अपढ़ वर्ग तक की सामूहिक सहमति है. इसलिए उत्तर प्रदेश या आरएसएस शासित राज्यों में कितनी भी हिंसा हो ले, टीवी मीडिया उसे जंगलराज नहीं कहता. अगर एक भी बड़े चैनल ने खुलकर लिखा हो कि यूपी में जंगलराज है तो विचार कर लें.

ये बात समझने की है कि दमितों के हाथ में कैमरा और कलम ही है जिसकी वजह से इन पर हिंसा और अधिक बढ़ी है. और यही कलम और कैमरा ही है जो मनु और पंडों द्वारा बनाई निर्मम और धूर्त व्यवस्था को नग्नकर पूरे देश के सामने रख रहा है.

जैसे दीपक बुझने से पहले, और अधिक दम लगाकर आग बिखेरता है, वैसे ही ये इनके राज के अंतिम वर्ष है इसलिए ये और अधिक छटपटा रहे हैं. क्योंकि इन्हें मालूम है कि इकतरफ़ा अत्याचार करने वाली इनकी ये आख़िरी पीढ़ी है, और सामने भी इकतरफ़ा जुल्म सहने वाली आख़िरी पीढ़ी है. अगली पीढ़ी इनके मूंह पर तमाचे जड़ेगी.

ये चुनाव कोई सत्ता पाने भर के चुनाव नहीं हैं बल्कि जातिवादी तंत्र को बचाने के राजनीतिक प्रयास हैं. चुनावों में हो रही हिंसा पर अचरज मत होईए. निर्दोषों को पीटना, औरतों के कपड़े उतार देना, कमज़ोरों पर डंडे चला देना ये पहली बार नहीं हैं. पहली बार कोई चीज़ है तो इनकी देशव्यापी रिपोर्टिंग. पहली बार कैमरों, सोशल मीडिया के चलते पूरा देश मनु के राज को देख रहा है.

  • श्याम मीरा सिंह

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…