उज्जवल भविष्य को संवारने के लिए हर साल लाखों लोग प्रवास करते हैं. इसमें शिक्षा और रोजगार की तालाश सबसे महत्वपूर्ण है. बहुत से लोग शिक्षा और रोजगार की तलाश अपने ही देश के अंदर करते हैं तो बहुत से लोगों की तलाश विदेशों में जाकर पूरी होती है. आंकडों के हिसाब से हर साल लाखों लोग देश के अंदर तो लाखों लोग विदेश जाते हैं, लेकिन संकट के वक्त दोनों की एक-सी दशा होती है.
सनकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता पर आते ही ‘आपदा में अवसर’ का नारा देते हुए नोटबंदी से लेकर लॉकडाउन तक जो ड्रामा देश के अंदर किया है, वह इंसानियत की रौंगटे खड़े कर देने के लिए पर्याप्त है. हजार और पांच सौ के नोट की नोटबंदी कर लोगों को रातोंरात कंगाल बना देने वाला नरेन्द्र मोदी ने दरअसल देश के अंदर भयानक आपदा का निर्माण का पहला परीक्षण किया था, जिसमें सैकड़ों लोगों ने अपनी जानें गंवाई, करोड़ों लोग परेशान हुए और मंहगे और अनाप शनाप दामों पर वस्तुएं खरीदने के लिए मजबूर हुए. सबसे ज्यादा परेशान विदेश से आने वाले पर्यटक और प्रवासी मजदूर हुए, जिनके नोट देखते ही देखते अवैध हो गये.
आपदा में अवसर का दूसरा सबसे बड़ा परीक्षण नरेन्द्र मोदी ने एक नकली महामारी कोरोना के नाम पर रातोंरात समूचे देश में लगाये लॉकडाउन कर किया, जिसने लाखों लोगों को सीधे मौत के मूंह में पहुंचा दिया. करोड़ों तबाह और बर्बाद हो गये. इसमें भी सबसे ज्यादा परेशान और मौतें अप्रवासी मजदूरों की हुई जिन्होंने भूख और थकान से न केवल अपनी जानें ही गंवायें बल्कि अपनी जमा पूंजी भी बर्बाद कर गये. लाखों रुपये उनसे यातायात के नाम पर वसूले गये लेकिन तब भी अधिकांश अपने गंतव्यों तक कभी नहीं पहुंच सके.
लेकिन इन आपदाओं को अवसर में तब्दील करने वाले पूंजीपति और औद्योगिक घरानों (खासकर अंबानी-अदानी) ने अकूत दौलत कमाई. इतनी दौलत कमाई जितनी वह अपने जीवन काल में भी कभी नहीं कमाया होगा. मोबाईल संचार की दुनिया में कदम रखें अंबानी ने अपने मोबाईल रिचार्ज की कीमत दोगुनी कर दी, जबकि उस वक्त संचार माध्यमों की सबसे ज्यादा जरूरत थी, लेकिन यह आपदा को अवसर में बदलने का मोदी सरकार का अद्भुत नमूना था.
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आपदा का निर्माण करता है और उसके दोनों मालिक अंबानी अदानी उस आपदा में अवसर का निर्माण कर अकूत दौलत बटोर लेता है. अभी ताजा आपदा है यूक्रेन संकट का, जहां अमेरिकी दादागिरी के जवाब में रुस ने अपनी लाखों सैनिकों को युद्ध असलहा के साथ तैनात कर दिया है और युद्ध शुरू करने के लिए अपने परिषद से आदेश मांग रहा है.
युद्ध के मुहाने पर खड़े यूक्रेन में करीब 20 हजार भारतीय छात्र हैं, जिसमें से अधिकांश मेडिकल की पढ़ाई करने गये हुए हैं, वे वहां फंस गये हैं. भारत सरकार ने उसे यूक्रेन छोडकर भारत आने का आदेश तो जारी कर दिया है लेकिन इस आपदा को आवसर में बदलते हुए भारतीय विमान कंपनियों ने अपने किराए को तिगुना कर दिया है.
भारतीय छात्रों के मेडिकल की पढ़ाई करने यूक्रेन जाने की वजह ?
भारत की डेढ़ अरब आबादी के लिए अभी एमबीबीएस (MBBS) की करीब 88 हजार सीटें हैं. इनके लिए 2021 में ही मेडिकल प्रवेश परीक्षा (NEET) में लगभग 8 लाख से ज्यादा परीक्षार्थी बैठे थे. यानी करीब 7 लाख से ज्यादा परीक्षार्थियों का डॉक्टर बनने का सपना ऐसे हर साल अधूरा रह जाता है. दूसरी बात- भारत में निजी मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरी की पढ़ाई का खर्च काफी महंगा है, जबकि निजी मेडिकल कॉलेज से पढ़ने पर सब मिलाकर लगभग 1 करोड़ रुपए तक का खर्च आता है. इतना ही नहीं, यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई के लिए सुविधाएं भी तुलनात्मक रूप से काफी बेहतर बताई जाती हैं.
इसके ठीक उलट यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई (Medical Study in Ukraine) का कुल खर्च करीब 25 लाख के आसपास होता है. इसके अलावा वहां मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए कड़ी परीक्षा या रिश्वत आदि देने का भी झंझट नहीं होता. तीसरा- वहां से पढ़ाई पूरी कर के लौटने के बाद अगर भारत में फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एक्जामिनेशन (FMGE) पास कर लिया जाए, जो कि प्रैक्टिस शुरू करने के लिए अनिवार्य भी है, तो रोजगार की पुख्ता गारंटी भी हो जाती है.
ऐसे भी मेडिकल पढ़ाई के लिए यूक्रेन गये भारतीय छात्र युक्रेन की खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी रूस की सीमा से महज 35 किलोमीटर दूर है. यहां और इसके जैसे अन्य इलाकों के छात्रों में डर का माहौल है. यहां के कुछ भारतीय स्टूडेंट्स ने मीडिया को अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया, ‘शहर के चौराहों पर सैन्य टैंकों की तस्वीरें लगी हैं. सीमा पर गश्त करते हेलीकॉप्टरों की आवाजें हमें दिन-रात सुनाई देती हैं. इससे हमें अपनी जान का डर है. हम चाहते हैं कि हमारी सरकार कुछ करे क्योंकि हम नहीं जानते हैं कि युद्ध होगा या नहीं.’
वापसी विमान किराया तिगुना मंहगा
छात्र यह भी बताते हैं कि जब से भारतीय स्टूडेंट्स के लिए स्वदेश लौटने का मशविरा जारी हुआ है, विमान किराए में 2.5 गुना तक बढ़ोत्तरी हो गई है. पहले जो टिकट 80,000 रुपए में मिल रही थी, अब 2 लाख रुपए तक में मिल रही है. बताते चलें कि रूस-यूक्रेन तनाव के कारण अमेरिका, ब्रिटेन, नॉर्वे, जापान, लातविया और डेनमार्क जैसे देश भी अपने नागरिकों को यूक्रेन छोड़ने का मशविरा जारी कर चुके हैं.
वहीं, छत्तीसगढ़ के अलग-अलग शहरों के 50 से ज्यादा छात्र यूक्रेन में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं. रूस के साथ यूक्रेन के बढ़ते विवाद के चलते उनके माता-पिता चिंतित हैं. बढ़ते तनाव के चलते यूक्रेन से भारत के लिए फ्लाइट सेवा भी काफी कम हो गई हैं और किराया कई गुना बढ़ गया है. छात्रों के परिवार के लोग सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें भारत लाने के लिए व्यवस्था की जाए.
अमेरिकी दादागिरी और रूसी प्रतिरोध के बीच पीस रहे युक्रेन में पढ़ाई करने गये भारतीय छात्रों की आपदा अब भारत सरकार और उसके मालिक उद्योगपतियों के लिए नया अवसर बनकर आया है. अभी तो संकट वास्तविक रूप धारण नहीं किया है, अगर सचमुच युद्ध शुरू हो जाये तो यही टिकट दह गुना दामों पर बेची जाने लगेगी. बहरहाल अभी तो तिगुना से ज्यादा कीमत पर बेच रहे विमान टिकट मोदी मंत्र ‘आपदा में अवसर’ का बेजोड़ नमूना है.
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Chandrabhal okha
February 23, 2022 at 8:29 am
यूक्रेन संकट का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। ब्रिटेन, जर्मनी और अमेरिका ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। संभवतः rush ab यूक्रेन पर सीधा हमला कर सकता है। क्योंकि उसे दर है की यूक्रेन अगर नाटो में शामिल हो जाता है तो ushi सीमाएं असुरक्षित हो जाएंगी। इसलिए वह किसी भी कीमत पर यूक्रेन पर कब्जा करेगा।
Amarjeet
February 23, 2022 at 11:28 am
Bahut sundar lekh h