महोदय, पिछले कुछ वर्षों से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) जो आपके मंत्रालय के अधीन आती है, लगातार देश भर में सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं को निशाना बना रही है. उसका एक मात्र काम जनता के हक़ के लिए काम करने वालों को प्रताड़ित करना है. उनके घर पर, उनके रिश्तेदारों के यहां छापेमारी करना, उन्हें फर्जी मुकदमे में फंसा देना अथवा उन्हें जेल में डाल देना या यूं कहें कि जेल में सड़ा देना. जैसा कि भीमाकोरेगांव केस में हुआ या अभी भी तमाम केसों में हो रहा है.
महोदय, मुझे पता है कि NIA ये सब आपके और आपकी सरकार के आदेश पर ही कर रही है. आप पर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तो खुद हजारों मुसलमानों के जनसंहार का आरोप है. खुद आप पर जस्टिस लोया और कई अन्य की हत्या का आरोप है लेकिन आप लोगों पर कौन कार्रवाई करेगा ? बृजभूषण शरण सिंह, अजय मिश्र टेनी जैसे हजारों कुख्यात अपराधी खुल्लमखुल्ला घूम रहे हैं, अदालतों से बरी हो जा रहे हैं और संसद की शोभा बढा रहे हैं. योगी आदित्यनाथ जिन पर दर्जनों मुकदमे हैं, वो तो खुद मुख्यमंत्री बने बैठे हैं. NIA इन लोगों पर कब कार्रवाई करेगी ?
पूरे देश की प्राकृतिक संपदा और मजदूरों व किसानों की मेहनत को लूटने वाले बहुराष्ट्रीय कंपनियों, अडानी, अम्बानी, जिंदल, मित्तल पर आपकी एजेंसियां कभी कोई कार्रवाई क्यों नहीं करतीं ? सैकड़ों राजनीतिक हत्याएं कराने वाली, दलितों-मुस्लिमों-आदिवासियों-ईसाइयों पर अत्याचार करने वाली ब्राह्मणवादी-फासीवादी आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल के नेताओं पर NIA कोई कार्रवाई क्यों नहीं करती ?
पिछले कुछ महीनों से आपकी यह राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) मुझसे बहुत मोहब्बत दिखा रही है. उसने इसी 10 जनवरी 2024 को मुझे तीसरी बार अपने लखनऊ स्थित प्रदेश मुख्यालय पर पूछताछ के लिए बुलाया था. इससे पहले पिछले वर्ष सितंबर 2023 में वो मुझे दो बार पूछताछ के लिए बुला चुकी है. पहली बार दो दिन लगातार और दूसरी बार एक दिन मुझसे पूछताछ हुई थी. दो बार मेरे घर पर NIA की रेड भी हो चुकी है. एक बार चंदौली मेरे घर पर (5 सितंबर 2023) और दूसरी बार कैमूर (बिहार) के मेरे घर पर (23 नवंबर 2023) जहां मेरे बड़े माता-पिता रहते हैं.
5 सितंबर 2023 को चंदौली मेरे घर पर सुबह 5 बजे भारी पुलिस बल के साथ छापेमारी की गई. ऐसा दिखाया गया कि जैसे मैं कोई बहुत बड़ा अपराधी हूं. यह छापेमारी एक ही साथ यूपी में 8 अन्य सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं के घर पर भी की गई थी. इलाहाबाद में मेरी जीवनसाथी एडवोकेट सोनी आज़ाद जो हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करती हैं, वहां हमारे किराये के कमरे पर भी छापेमारी की गई और मेरा और मेरी पार्टनर का मोबाइल जब्त कर लिया गया, जो आज तक हमें नहीं दिया गया.
दरसल जून 2023 में NIA ने 120B, 121A ipc और UAPA के तहत एक मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसके तहत यह छापेमारी व पूछताछ हो रही है. हालांकि मुझे आज तक FIR नहीं दिखाई गई है. मेरे वकील ने बताया कि NIA कोर्ट में भी FIR उपलब्ध नहीं है और न ही NIA की वेबसाइट पर ही FIR दिखा रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि सारे FIR ऑनलाइन उपलब्ध होने चाहिए. NIA के अधिकारियों की पूछताछ से यह तो स्पष्ट है कि यह केस भी माओवादी कनेक्शन वाला है.
मेरे बड़े भाई रोहित को भी 5 अगस्त 2023 को बिहार पुलिस ने उठाया और 3 दिन अवैध हिरासत में टॉर्चर करने के बाद एक और नौजवान प्रमोद यादव के साथ 8 अगस्त को कोर्ट के समक्ष पेश किया गया. उन पर यह आरोप है कि वो माओवादी हैं. उन्होंने बीटेक कर रखा है और बीएचयू से पत्रकारिता में एमए भी किया है. फिलहाल उनका केस भी NIA अपने हाथ में ले ली है. अभी वो पटना के आदर्श सेंट्रल जेल-बेऊर में बंद हैं. इस जेल में रोहित के साथ दर्जनों अन्य सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता भी बंद हैं. ज्यादातर लोगों का केस NIA ही देख रही है.
मेरे भाई रोहित, कैमूर पठार (बिहार) को टाइगर रिजर्व बनाने की आड़ में प्राकृतिक संसाधनों की लूट के लिए वहां के हजारों आदिवासियों को उनके जल-जंगल-जमीन से बेदखल करने के खिलाफ पिछले कुछ वर्षों से एक सोशल-पोलिटिकल एक्टिविस्ट के बतौर वहां पर कार्य कर रहे थे. बलिया से भी 5 लोगों को माओवादी मामले में गिरफ्तार किया गया है. यह केस भी NIA ही देख रही है.
अमित शाह जी दरसल आप और आपकी सरकार बहुत कायर है. 90% विकलांग एक प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा से आपको इतना खतरा है कि उन्हें वर्षों से जेल में डालकर रखे हो. एक 84 वर्षीय बुजुर्ग फादर स्टेनस्वामी को आपलोगों ने जेल में ही मार डाला. कई अन्य बुजुर्ग राजनीतिक कार्यकर्ताओं को भी जेलों में बंद करके रखा गया है. आप लोगों को विकलांग और बुजुर्ग राजनीतिक कार्यकर्ताओं का भी सम्मान करना नहीं आता. आप एक कायर हैं. दरसल फासिस्ट कायर ही होते हैं. जैसे 1848 में मार्क्स ने यह लिखा था कि पूरे यूरोप के शासक वर्ग को साम्यवाद का भूत सता रहा है, वैसे ही भारत के शासक वर्ग को आजकल माओवाद का भूत सता रहा है.
अमित शाह जी मार्क्स ने कहा था कि राजसत्ता शासक वर्ग द्वारा शासित वर्ग के दमन की मशीनरी है. मेरा निजी अनुभव भी इस बात की पुष्टि करता है. भारत की जनता भी 1947 से अब तक के अपने अनुभवों से यह अच्छी तरह समझती है कि आपका लोकतंत्र, संविधान, न्याय प्रणाली सब ढकोसला है. लोगों को रोज ब रोज राजसत्ता की नीतियां युद्ध में ढकेल रही हैं. लोगों के पास लड़ने के अलावा आप लोगों ने विकल्प ही क्या छोड़ा है ?
भारत की जनता का भी अन्याय और जुल्म के खिलाफ लड़ने का एक गौरवशाली इतिहास है. बिरसा मुंडा, सिद्धू-कान्हू भी जुल्म के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हुए थे. शोषक-लूटेरों को उन्होंने शिकस्त भी दी थी. ध्यान रहे ये लोग माओवादी नहीं थे. तब शायद माओ पैदा भी नहीं हुए थे. जब तक समाज में अन्याय है संघर्ष को कोई भी तानाशाह रोक नहीं सकता.
मैं भी एक कम्युनिस्ट क्रांतिकारी हूं. मैंने भी 20 वर्ष की उम्र में क्रांति का सपना देखा था ताकि हमारे समाज से हर तरह की गैरबराबरी, शोषण व अन्याय का खात्मा हो सके. अभी मेरी उम्र 34 साल हो रही है. अफसोस है कि अभी मैं बहुत कुछ कर नहीं पाया हूं. लेकिन वादा है आपसे जितनी भी मेरी क्षमता है मेरी लड़ाई भी इस सड़ी-गली व्यवस्था के खिलाफ मेरी आखिरी सांस तक जारी रहेगी. आपको जो करना है कर लीजिए. मैं मैक्सिम गोर्की की इस बात से अपना खत समाप्त करता हूं – ‘दमन की इन्तहां, प्रतिरोध की धार को और पैना कर देती है.’
- Dated : 16 जनवरी 2024
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