जैसा कि रुस के राष्ट्रपति पुतिन ने दुनिया के सामने साफ शब्दों में कह दिया है कि हम उस दुनिया का क्या करेंगे, जिसमें रुस ही न हो. हम उस दुनिया को ही खत्म कर देंगे. एक स्वतंत्र देश, जिसने कभी गुलामी को कभी स्वीकार नहीं किया और दुनिया के एक से बढ़कर एक तानाशाहों को धूल चटा दिया हो, उसके स्वर ऐसे ही होते.हैं.
अमेरिकी साम्राज्यवाद ने साजिशों का जाल बुनकर 1991 में सोवियत संघ को 15 टुकडों में बांट दिया तो वहीं अब वह रुस को 43 टुकडों में बांट कर और ज्यादा कमजोर कर देने की साजिश में लिप्त है. केजीबी के जासूस व्लादिमीर पुतिन, जो रुस के राष्ट्रपति हैं, उनकी निगाह इन तमाम पहलूओं पर है.
अमेरिकी साम्राज्यवाद और नाटो, यूरोप के 81 देश मिलकर रुस को चारों ओर से घेर कर हमलाकर रहा है. बेशक युद्ध भूमि अमेरिकी साम्राज्यवाद के पालतू नवनाजी जेलेंस्की की जिद के कारण यूक्रेन की धरती बनी हुई है लेकिन युद्ध नाटो के 81 देश और रुस के बीच ही हो रहा है.
ऐसे वक्त में जब युद्ध 500 दिश से ज्यादा हो चुका है, व्लादिमीर पुतिन ने एक शानदार युद्ध नीति को अपनाया है. उसने अपनी सेना को बकायदा दो हिस्सों में बांट दिया है और इस काम को अंजाम दिया है वेनेगार की प्राईवेट आर्मी को अपने खिलाफ विद्रोह करवा कर.
वेनेगार की प्राइवेट आर्मी के चीफ प्रोगोझीन को व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ खुला विद्रोह के लिए प्रेरित करवाकर पुतिन ने उस वेनेगार की प्राईवेट आर्मी से दुनिया के सामने अपने सारे संबंध खत्म कर लिए और अब उसके किसी भी कारनामों की जवाबदेही से खुद को और रुस को बेलाग बचा ले गया.
वहीं, दूसरी ओर प्रोगोझीन के हवाले बेलारूस में स्थित परमाणु बम भी उसके हवाले किये जाने की छिटपुट खबरें हैं. अगर इस खबर में थोड़ी भी सच्चाई होगी तो यह निश्चित है कि नाटो के गुंडों से निपटने के लिए जिस परमाणु बम के इस्तेमाल करने की धमकी पुतिन लगातार दे रहे हैं, उस बम का इस्तेमाल वेगेनिर की प्राईवेट आर्मी ही करेगी, जिसकी जवाबदेही रुस और पुतिन की कतई नहीं होगी.
ज्ञात हो कि प्रोगोझीन व्लादिमीर पुतिन का सबसे भरोसेमंद सहयोगी हैं और प्रोगोझीन और वेगेनार आर्मी की रुस और पुतिन के प्रति वफादारी में किंचित भी संदेह नहीं की जा सकती. इसे दूसरे शब्दों में कहा जाये तो कहना होगा कि प्रोगोझीन और उसकी प्राईवेट आर्मी ने रुस और पुतिन को नाटो के गुंडों से बचाने के लिए आत्मघाती अभियान पर निकल चुका है और पहला मौका मिलते ही परमाणु बम विस्फोट का जिम्मा अपने सर पर ले लेगा.
दुनिया को परमाणु युद्ध की कागार पर ला देने वाला अमेरिकी साम्राज्यवादी गिरोह रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इस रणनीति से न केवल भौचक्का ही है अपितु उसके पालतू जेलेंस्की के प्राण के लाले पड़ गए हैं क्योंकि परमाणु बम धमाके की संभावना से घबराया अमेरिकी साम्राज्यवाद अपने पांव पीछे खींच रहा है. उसके नाटो गिरोह के अंदर भी विरोध के स्वर उठ रहे हैं.
अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर गहरी नजर रखने वाले पत्रकार ऐ. के. ब्राईट लिखते हैं – नाजीवादी जेलेंस्की को अब सिर छिपाने की जगह के लाले पड़ गए हैं. यूक्रेन के सर्वोच्च जनरल ने जेलेंस्की से कह दिया है कि अब हम अपने सैनिकों को मरने के लिए नहीं छोड़ सकते, हमें उन जगहों से सैनिकों को निकालने के बारे में सोचना है, जहां रूसी सैनिकों ने हमारी सेना को पूरी तरह घेर लिया है. हालांकि यूक्रेनी सरकार की इस कोशिश का अब कोई मतलब नहीं रह गया है.
विशेष खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि नाटो व अमरीकी जनरलों ने जेलेंस्की से सीधे फोन पर कहा कि ‘हमारे हथियारों की बेइज्जती मत कराना.’ यूक्रेनी रक्षा मंत्री ने भी साफ कह दिया है कि यूक्रेन की हार के लिए अमरीका जिम्मेदार होगा.
यूक्रेन के टॉप जनरलों ने जेलेंस्की से आपात बैठक करते हुए कहा कि नाटो व यूरोपीय देश यूक्रेन को जीत दिलाने वाले हथियार नहीं दे रहे हैं, जबकि नाटो की नाक माने जाने वाले लैपर्ड टैंक के रूसी सेना ने इस कदर परखच्चे उड़ा दिए थे कि अब ब्रिटेन और अमरीका भी यूक्रेन को देने जा रहे अपने सबसे अधिक घातक तोप व टैंकों की तबाही सुनिश्चित मान रहे हैं.
नाटो के 31 देश व यूरोप के 50 देशों से मिले हथियारों की कीमत को लगभग 15 लाख करोड़ डालर बताया जा रहा है, जिन्हें रूसी सेना पूरी तरह नेस्तनाबूद कर चुकी है. यूक्रेनी सेना अब बचाव मुद्रा में युद्ध लड़ रही है जबकि पिछले 24 घंटे में रूसी सेना ने यूक्रेन की राजधानी कीव पर लगभग 300 मिसाइलों से ऐसा कहर बरपा दिया है कि अमरीकी राष्ट्रपति बाइडन ने जेलेंस्की को कीव छोड़ने तक की हिदायत दे दी.
रूसी समाचार एजेंसी तास की रिपोर्ट के अनुसार जेलेंस्की अपने भरोसेमंद सुरक्षा गार्डों के साथ किसी अज्ञात जगह पर चले गए हैं. हालांकि यूक्रेनी सेना ने इसे रूसी मीडिया की अफवाह बताया है. बेलारूस की एक सरकारी समाचार एजेंसी के मुताबिक जेलेंस्की को नाटो गायब करवा सकता है. युद्ध में गायब का मतलब लौटने की 100 फीसदी नाउम्मीद होती है.
फिलहाल युद्ध जारी है और रूसी सेना के आगे नाटो के सभी टैंक यूक्रेनी सेना के लिए चलते फिरते दाह-घर बन चुके हैं. उधर बेलारूस के एक नामी गिरामी एनजीओ संगठन ने बताया है कि –
‘अमरीका व यूरोपीय देश यूक्रेन पर जितनी रकम को खर्च कर चुके हैं, उससे समूची पृथ्वी के मानव जीवन को अगले 35 वर्षों तक बेहद उन्नत जीवन में ढाला जा सकता था. लेकिन इन कयासों के उलट पूरी पृथ्वी परमाणु युद्ध के सामने खड़ी हो गई है जिसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ अमरीका है.’
अमरीका व नाटो देश अब यह भलीभांति जान गये हैं कि पुतिन यूरोपीय देशों का खात्मा करने तक नहीं रुकने वाले हैं और न ही अब रूस के साथ कोई शांति वार्ता का विकल्प बचा है. यूक्रेन के जेपोरेजिया में न्यूक्लियर रिएक्टर के लीक होने के साथ ही यूरोपीय देशों पर न्यूक्लियर तबाही टूटने की मुहर लग गई थी. अब देखना ये है कि इस भीषणतम तबाही में अभी कितना वक्त और बचा है और कितने मुल्क इसकी चपेट में आने वाले हैं.
ईरान ने पहले ही कह दिया है कि जेपोरेजिया के न्यूक्लियर पॉवर प्लांट को किसी भी हालत में दुरुस्त नहीं किया जा सकता. इसीलिए जेपोरेजिया पर कब्जा जमाये रूस ने वहां से नागरिकों की निकासी लगभग 80 फीसदी से अधिक पूरी कर ली है. पिछले एक साल से यूक्रेन के स्कूल-कालेज व पूरा राजकीय प्रबंधन एकदम बंद है और यूक्रेन के लगभग 4 करोड़ लोग पड़ोसी देशों को कूच कर चुके हैं.
नाटो और अमरीका का सरेंडर ही अब परमाणु युद्ध से पृथ्वी को बचा सकता है वरना रूस तो पहले ही यूरोपीय देशों को दो टूक शब्दों में कह चुका है कि यह पश्चिमी देशों की दुष्टता और मानवता के बीच युद्ध है…और…यहां जियेंगे तो सब जियेंगे वरना कोई नहीं जियेगा.
ताजा खबर है कि अमेरिका अब इस जंग को खत्म कराने के लिए रूस से बैकडोर डिप्लोमेसी के तहत बातचीत कर रहा है. ये सीक्रेट बातचीत अप्रैल में शुरू हुईं थीं और अभी तक जारी हैं. रूस की तरफ से इस बैकडोर बातचीत में फॉरेन मिनिस्टर सर्गेई लावरोव हिस्सा ले रहे हैं तो वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से अमेरिकी इंटेलिजेंस चीफ बातचीत कर रहे हैं.
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