1
श्रीलंका-जन विद्रोह एक विस्फोट की तरह है
दुनिया भर की केन्द्रीय असैम्बलियों के लिए
और बहरों को सुनाने के लिए भी
हालांकि बहरे अब बहरे ही नहीं रहे
वे अंधे और गूंगे भी हो गए हैं
वे जानते हैं अंधे, बहरे और गूंगे ही
चला सकते हैं इस सिस्टम को
इसलिए यह विस्फोट शायद पर्याप्त नहीं है
जब तक भूकंप ना आ जाए
सिंहासन कहां डोलता है पूंजीवाद का !
2
घर के बाहर खड़ा है श्रीलंका
हमारा दरवाजा अंदर से बंद है
हम हैं कि भीतरी तहखानों में जा घुसे हैं
नहीं निकलेंगे तब तक
जब तक कि तहखानों में भी
विस्फोट नहीं हो जाता
जब तक हमारे चिथड़े उड़ कर
शहर में नहीं फैल जाते
जब तक शहर भी
चिथड़े-चिथड़े नहीं हो जाता
तब तक बंद रहेगा हमारा दरवाजा
दफन होंगे हम तहखानों में ही
तहखाने ही लिखेंगे हमारा इतिहास
- जयपाल
[ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]