आभा शुक्ला
आप माने या ना माने परंतु मैंने ख़ूब अनुभव किया है कि समाज में एक जानकार, और चुलबुली लड़की को आमतौर पर चली हुई लड़की समझा जाता है…
यदि लड़की तेज है…., अकेले रहती है…., अकेले आती जाती है…, तब तो वो सौ फीसदी चरित्रहीन है….!
वो कहते हैं न….शर्म हया औरत का गहना….! हमारे यहां लड़की / औरत का शर्माना बहुत जरूरी होता है….
ऊपर से यदि लड़की जातिवाद के खिलाफ बोलती है तो सीधा-सा तमगा दिया जाता है कि होगा किसी नीची जाति वाले से चक्कर….! तभी ऐसा बोल रही है…..
सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ बोलती है यदि तो पक्का संस्कारहीन है….
धर्मनिरपेक्ष है, सेक्युलरिज्म की बात करती है तो पक्का किसी मुल्ले के साथ सोती होगी….!
तो क्या चाहते हो भाई….? कब तक शर्माया जाये तुमसे ? कब तक संस्कारों की आड़ में शोषण कराया जाये….?
संस्कार तो कभी देवदासी बनना भी था…..! संस्कार तो कभी सती होना भी था…..!
बहुत हुआ…., चलो हम चरित्रहीन, संस्कारहीन और बेशर्म ही सही…!
#एक_अस्त्र,
#सिर्फ_चरित्र
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