- उमर ख़ालिद सहित अन्य युवा छात्र जिन्हें सीएए एनआरसी जैसे संविधान विरोधी आन्दोलन में शामिल होने की वजह से सरकार ने चार साल से जेल में डाला हुआ है.
- संजीव भट्ट जिन्हें गुजरात जनसंहार में मोदी की मिलीभगत की सच्चाई बताने के कारण जेल में डाला गया है.
- सामाजिक कार्यकर्ता जिन्हें आदिवासियों और दलितों के मुद्दे उठाने के कारण भीमा कोरेगांव फर्ज़ी मामले में जेल में डाला गया है.
- आदिवासी इलाके में सुनीता पोटाम, सुरजू टेकाम सहित बड़ी संख्या में आदिवासियों को जेलों में डाला गया है.
इन सब का अपराध यह है कि यह सब सरकार के कामों और विचारधारा और उसके कामों का समर्थन नहीं करते. तो क्या लोकतंत्र यह है कि सरकार का समर्थन ना करने वाले लोगों को जेल में डाल दिया जाय ? हम इसका विरोध करते हैं. हम यह बातें जनता को बताएंगे.
इसके लिए मैं दिल्ली राजघाट से गांधी जयंती दो अक्तूबर को महाराष्ट्र की तलोजा जेल तक जाऊंगा जहां सामाजिक कार्यकर्ता कैद हैं. रास्ते भर जनता को आदिवासियों, मुसलमानों, ईसाईयों, दलितों पर हमलों की स्थिति के बारे में जानेंगे भी और बताएंगे, चर्चा करेंगे.
मैं किसी संस्था, संगठन या पार्टी का सदस्य नहीं हूं. मैंने यह मिशन शुरू करने के लिए किसी से दान, अनुदान, चंदा नहीं लिया है. अभी तक मेरे साथ चलने के लिए किसी ने हामी नहीं भरी है. मेरी जितनी ताकत है, मैं अन्याय का विरोध करूंगा. मुझे मायस्थीनिया ग्रेविस बीमारी है. उम्र साठ हो रही है. मार्टिन लूथर किंग ने कहा था –
अगर तुम उड़ नहीं सकते तो दौड़ो,
अगर तुम दौड़ नहीं सकते तो चलो,
अगर तुम चल नहीं सकते तो रेंगो,
लेकिन हमेशा आगे बढ़ते रहो
फेसबुक पर मुझे ज़मीनी काम करने का उपदेश देने वाले भी अब नदारद हैं. कोई साथ चलने के लिए आगे नहीं आया है. अभी बस मैं और मेरी साइकिल और मेरी हिम्मत यही साथी हैं. मैं यह सब जीवन भर करता रहा हूं. यह मैं अपनी खुशी से अपनी खुशी के लिए करूंगा. दो अक्तूबर को राजघाट से दस बजे सुबह निकलूंगा.
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