यह पर्चा भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमिटी के प्रवक्ता विकल्प द्वारा इस वर्ष के जनवरी माह में जारी किया गया था. चूंकि माओवादी हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 28 जुलाई से 3 अगस्त तक ‘शहीदी सप्ताह’ के तौर पर मनाता है, इसीलिए आज हम एकबार फिर इस पर्चा को अपने पाठकों के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं क्योंकि माओवादियों के खिलाफ भारतीय थल सेना, वायु सेना, एनएसजी, सीआरपीएफ, ग्रे-हाउंड्स जैसे सैन्य संगठन ने हमला बोल दिया है और पहली बार हवाई हमले में माओवादियों के पीएलजीए की महिला गुरिल्ला शहीद हुई हैं.
विदित हो कि 28 जुलाई के ही दिन माओवादियों के सबसे बड़े सैद्धांतिक नेता व प्रथम महासचिव चारु मजुमदार की हत्या पुलिस ने हिरासत में कर दी थी, जिस कारण माओवादी इस दिन अपने शहीदों को याद करते हैं (जो आगामी एक सप्ताह तक चलता है) और उस रास्ते पर चलने का जोरदार अपील करते हैं, जिसका मार्गदर्शन उसके प्रथम महासचिव चारु मजुमदार ने किया था – सम्पादक
हमारी पार्टी, पीएलजीए (जन मुक्ति छापामार सेना), क्रांतिकारी जन कमेटियों (जन राज्यसत्ता के संगठन-जनताना सरकारों) के सफाए के लिए भारतीय वायु सेना, थल सेना, एनएसजी कमांडो, सीआरपीएफ (कोबरा), ग्रेहाउंड्स, स्थानीय पुलिस व अन्य कमांडो बलों द्वारा शुरू किए गए विशेष संयुक्त जमीनी व हवाई हमले के अभियान (अखबारों में ऑपरेशन हिड्मा कहा गया) के तहत सुकमा जिले के किष्टारम और बीजापुर जिले के पामेड इलाकों के सरहदी मड़कनगुडा, मेट्टागुडा, बोट्टेतोंग, साकिलेर, मडपा दूलेड, कन्नेमरका, पोट्टेमंगुम, बोत्तालंका, रासापल्ली, एर्रापाड गांवों, जंगलों व पहाड़ों को निशाना बनाकर बमवर्षक ड्रोनों व हेलिकॉप्टरों द्वारा 11 जनवरी, 2023 को दिन के 11 बजे से लेकर भारी हवाई बमबारी और फायरिंग जारी रही. रुक-रुककर यह हवाई बमबारी और फायरिंग दिन में ही नहीं, रात में भी चलती रही. इससे आदिवासी ग्रामीण दहशत में हैं और धान मिंझाई के सीजन में अपने खेतों-खलिहानों तक नहीं जा पा रहे हैं. इस भीषण हमले में हमारी एक नौजवान कॉमरेड् पोट्टामी हुंगी शहीद हुई.
कॉमरेड् हुंगी जोकि वर्तमान में जारी भारत की नव जनवादी क्रांतिकारी आंदोलन के इतिहास में हवाई बमबारी की शिकार पहली युवा क्रांतिकारी शहीद बनी, को डीके एसजडसी भावभीनी लाल जोहार अर्पित करती है. आत्मरक्षा के तहत हमारी पीएलजीए ने इस भीषण हमले में उपरोक्त सभी बलों का डटकर मुकाबला करते हुए एक लड़ाकू हेलिकॉप्टर को क्षतिग्रस्त किया, जिसमें एक सह-विमान चालक सहित 6 वायु सैनिक/कमांडो घायल हुए.
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी इस हवाई बमबारी व फायरिंग की कड़ी निंदा करती है और दुनिया के सभी माओवादी पार्टियों, संगठनों, मजदूर संगठनों, आईसीएसपीडब्ल्यूआई देश के सभी जनवादी, प्रगतिशील, देशभक्त ताकतों, लेखकों, सांस्कृतिक कर्मियों व किसान, मजदूर, छात्र, युवा, महिला संगठनों, वामपंथी पार्टियों व ताकतों, मानवाधिकार संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, आदिवासी सामाजिक संगठनों तथा प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कर्मियों से अपील करती है कि वे शोषक-शासक वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाली केंद्र की ब्राह्मणीय हिंदुत्व फासीवादी आरएसएस की भाजपा सरकार और छत्तीसगढ़ की जनविरोधी और आदिवासी विरोधी कांग्रेस की राज्य सरकार द्वारा देश की ही जनता पर जारी युद्ध के तहत हो रही हवाई बमबारी के खिलाफ आगे आयें, आवाज बुलंद करें, विरोध दर्ज करें, सभाओं, रैलियों, प्रदर्शनों का आयोजन करें, जन आंदोलन का निर्माण करें.
आप सभी यह जानते हैं कि बस्तर संभाग भारत के संविधान की पांचवीं अनुसूची का इलाका है जहां पेसा कानून भी लागू है और ग्रामसभाओं की अनुमति के बगैर पुलिस या सेना के कैंप नहीं बैठाए जा सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ के मूलवासी जनता से संबंधित अध्याय में भी यही बात कही गयी है. इन सब का घोर उल्लंघन करते हुए केंद्र, राज्य सरकारें बस्तर में पुलिस, पैरा-मिलिटरी बलों के सैकड़ों कैंप बैठाए जा रहे हैं और इन कैंपों में छद्म वेष में भारतीय सैन्य बलों को भी तैनात किया जा रहा है.
हमारी स्पेशल जोनल कमेटी देश की तीनों – थल, जल, वायु – सेनाओं से अपील करती है कि वे दंडकारण्य विशेषकर बस्तर संभाग में छद्म वेष में भारतीय सेना की तैनाती एवं वायु सेना के प्रत्यक्ष भागीदारी के साथ किए ने वाले वायु सैनिक हमलों का कड़ा विरोध करें. विदेशी आक्रमणकारी दुश्मनों के खिलाफ लड़ने के लिए स्थापित सेनाओं को अपने ही देश की जनता पर युद्ध करने के लिए तैनात करने के खिलाफ आवाज उठाएं.
यहां यह गौर करने वाली बात है कि हवाई बमबारी से बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने साफ इनकार किया है. प्रेस के सामने ऐसी सफेद झूठ उनके मुंह से निकलना पहली बार नहीं, यह तीसरी बार है. उपरोक्त इलाकों में पहली बार 19 अप्रैल, 2021 तथा दूसरी बार 14-15 अप्रैल, 2022 की दरमियानी रात को हवाई बमबारी की गयी. भारत सरकार संभावित देशव्यापी विरोध के मद्देनजर यह स्वीकार करने को तैयार नहीं कि उसने हवाई हमलें के निर्देश दिए. विगत दिसंबर माह में इन हमलों के लिए योजना बनाने जगदलपुर में आयोजित पुलिस एवं प्रशासनिक आला अधिकारियों की बैठक में सेना एवं वायु सैनिक अधिकारियों के शामिल होने से बड़ा इसका और क्या सबूत चाहिए ?
डीके एसजेडसी पत्रकारों, मानवाधिकार संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, आदिवासी सामाजिक संगठनों का आह्वान करती है कि वे हवाई बमबारी के इलाकों का दौरा करें एवं सच्चाई को फिर एक बार देश और दुनिया की जनता के सामने लाए.
ज्ञात हो कि यह अभियान ब्राह्मणीय हिंदुत्व फासीवादी भारत बनाने के लिए उद्देश्यित देशव्यापी प्रतिक्रांतिकारी व प्रतिक्रियावादी दमन योजना ‘समाधान’ का हिस्सा है. ‘समाधान’ के तहत ये हमलें देश के प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन में और छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सहमति और समर्थन से जारी हैं. मई, 2017 से प्रारंभ ‘समाधान’ के चौतरफा हमलों के तहत घेराव-दमन के उन्मूलन हमलों के जरिए 5 सालों में यानी 2022 तक भाकपा (माओवादी) के नेतृत्व में जारी क्रांतिकारी आंदोलन के सफाए का लक्ष्य रखा गया था.
देश, दुनिया की प्रगतिशील जनवादी, माओवादी, वामपंथी ताकतों, मानवाधिकार संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, आईसीएसपीडब्ल्यूआई के सहयोग व भाईचारा तथा हमारी पार्टी के नेतृत्व में पीएलजीए, जनताना सरकारों, जन संगठनों व क्रांतिकारी जनता द्वारा संचालित जन जनयुद्ध और जन प्रतिरोध के जरिए तथा इस दौरान ढेरों कुरबानियां देते हुए हम ‘समाधान’ का अभी तक मुकाबला करते आ रहे हैं. पांच साल का लक्ष्य पूरी तरह सफल न होते देख बौखलायी सरकार ने आगामी लोकसभा चुनावों के पहले हमारे उन्मूलन का अभी नया लक्ष्य तय किया जिसकी घोषणा देश के गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में किया.
इसमें कोई संदेह नहीं है कि ‘समाधान’ दमन योजना का प्रधान लक्ष्य हम हैं परंतु सच्चाई इतनी ही नहीं है, यह देश के तमाम उत्पीड़ित वर्गों-किसानों, मजदूरों, छोटे व मध्यम पूंजीपतियों और विशेष सामाजिक तबकों-दलितों, आदिवासियों, धार्मिक अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों, ईसाइयों, बौद्धों पर हमलों की भी योजना है जिसे हम बीते सालों में देख चुके हैं. दलितों, मुसलमानों, किसानों और आदिवासियों पर हिंदुत्व फासीवादियों, उनकी सरकारों के हमलों का पूरा देश गवाह है.
वर्तमान में बस्तर संभाग सहित पूरे छत्तीसगढ़ में कारपोरेटीकरण एवं सैन्यकरण विरोधी तथा प्राकृतिक संपदाओं, संसाधनों व पर्यावरण और अपने अस्तित्व, अस्मिता, आत्मसम्मान को बचाने के लिए जारी आदिवासी आंदोलनों विशेषकर अनिश्चितकालीन जन धरना शिविरों पर जारी पाशविक हमलों-बेदम पिटाई, झूठे केसों में गिरफ्तारी, जेलों में ठूंसना, झूठी मुठभेड़ों से नावाकिफ कोई नहीं हैं. इन जन धरना शिविरों पर ड्रोनों द्वारा निरंतर निगरानी जारी है.
इतना ही नहीं माड के ब्रेहबेडा धरना से यह खबर आयी कि ड्रानों द्वारा नदी में नहाती आंदोलनकारी आदिवासी महिलाओं का वीडियो फिल्म बनाया जा रहा है और महिलाओं पर अपमानजनक टिप्पणियां की जा रही हैं. यह नीच, अश्लील, असभ्य और निंदनीय हरकत करने वाले सशस्त्र बलों पर तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत है.
ये ब्राह्मणीय हिंदुत्व फासीवादी सरकार उपरोक्त तमाम लोगों के हितों के खिलाफ और देश के दलाल बड़े पूंजीपतियों व विदेशी कॉरपोरेट कंपनियों के हितों के अनुरूप यानी पर्यावरणीय नुकसान की कीमत पर उन्हें देश की प्राकृतिक संपदाओं व संसाधनों को कौड़ियों के भाव सौंपने के लिए ही तमाम नीतियां बनाती आ रही है. सशस्त्र बलों की ताकत के बलबूते बड़ी खनन, कारखाना व बांध परियोजनाओं को शुरू कर रही है. आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन और संसाधनों को लूटने के लिए ही आदिवासी विरोधी वन संरक्षण कानून, 2022 लायी है और विनाशकारी वन अधिनियम-2019 प्रस्तावित है.
नोटबंदी, जीएसटी, एक भारत-श्रेष्ठ भारत, पुलिस की एक वर्दी, सेना में अस्थायी भर्ती की अग्निपथ व अग्निवीर योजना, आगे जाकर एक भाषा, एक संस्कृति आदि सारी योजनाएं व नीतियां हिंदुत्व फासीवादी भारत के निर्माण का ही हिस्से हैं जो कि देश की विविधता को खत्म करने वाली हैं. यह सब देश का सर्वांगीण विकास नहीं, विनाश और सर्वनाश की योजनाएं हैं जिनके विरोध में समय रहते उठ खड़े होने की जरूरत है.
उपरोक्त नीतियों के चलते हाल के वर्षों में करोड़ों लोग रोजगार से वंचित हो गए हैं. युवाओं को रोजगार का सरकारी आश्वासन कोरी लफ्फाजी साबित हुई. नयी शिक्षा नीति से बहुसंख्य दलित एवं आदिवासी बच्चियां व बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे. जी-20 की जिम्मेदारी, तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का दंभ भरते हुए झूठे राष्ट्रवाद और देशभक्ति की आड़ में सच्चे देशभक्त, जनवादी, प्रगतिशील, जनपक्षधर बुद्धिजीवियों पर देशद्रोही, राजद्रोही का ठप्पा लगाया जा रहा है. बुनियादी ढांचे सहित पूरी अर्थव्यवस्था का कारपोरेट अनुकूल पुनर्निर्माण किया जा रहा है और इसके खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाया जा रहा है. चूंकि हमारी पार्टी को उनके रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा समझते हैं,
इसीलिए हमें देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़े खतरे के तौर पर दर्शाया जा रहा है. इसलिए उनके निशाने पर हम सब हैं. अभी वक्त की पुकार है, हिंदुत्व फासीवादी ताकतों के खिलाफ हर राज्य और पूरे देश में एकजुट, संगठित, व्यापक, जुझारू संयुक्त मोर्चों और जन आंदोलनों का निर्माण करना, सशस्त्र प्रतिरोध सहित उनका हर संभव तरीके से मुकाबला करना जिसका हमारी पार्टी आह्वान करती है.
- बस्तर में हवाई बमबारी की कड़ी निंदा करें, विरोध करें !
- बस्तर में तैनात भारतीय सैन्य बलों, वायु सैनिकों, एनएसजी कमांडो बलों को फौरन वापस भेजने की मांग करें !
- ड्रोनों के उपयोग का विरोध करें एवं ड्रोनों की निगरानी बंद करने की मांग करें !
- आंदोलनरत आदिवासी महिलाओं की वीडियो फिल्म बनाने का विरोध करें, इस नीच हरकत को बंद करने की मांग करें, दोषियों को सजा देने की मांग करें !
- ब्राह्मणीय हिंदुत्व फासीवादियों के खिलाफ एकजुट होकर मुकाबला करें !
- जन आंदोलनों का निर्माण करें, ‘समधान’ दमन योजना का मुकाबला करें, उसे हराएं !
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