गिरीश मालवीय
कोरोना के ओमिक्रोन वेरिएंट को मिलती मीडिया हाइप को देखने के बाद तो कम से कम लोगो को कोरोना के पीछे चल रहे खेल को समझ जाना चाहिए. कुल जमा हफ्ता-दस दिन में मीडिया ओमिक्रोन को लेकर ऐसी दहशत मचा रहा है कि लग रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर आने को ही है.
यह वेरियंट तेजी से फैलने की क्षमता जरूर रखता है लेकिन घातक नही है. अगर आप पिछले दस दिनों की खबरों को ध्यान से देखेंगे तो इवन दक्षिण अफ्रीका में भी एक भी मौत ओमिक्रोन वेरियंट से रिपोर्ट नहीं हुई है लेकिन इसके बावजूद कोरोना के डर को एक बार फिर से फैलाया जा रहा है.
आखिरकार ऐसा करने की वजह क्या है ?
पहली नजर में इस मीडिया हाइप की जो वजह नजर आती है वह है अभी लगाई जा रही वेक्सीन, जिसमें बूस्टर भी शामिल हैं, की प्रभावकारिता का बचाव करना और अगली सेकंड जेनरेशन की वेक्सीन लगवाने के लिए माहौल बनाना.
ब्रेक थ्रू इंफेक्शन यानी दो डोज वेक्सीन लगे होने के बावजूद कोरोना होने के केस बढ़ते जा रहे हैं. इस बात का कोई जवाब नहीं है कि ऐसा क्यों हो रहा है ? पिछले हफ्ते जर्मनी में एक दिन में रिकॉर्ड 76 हजार केस दर्ज किए गए जबकि वहां 76 प्रतिशत आबादी को वेक्सीन की डोज लग चुकी है. वयस्कों को तो लगभग शत प्रतिशत वेक्सीन लग चुकी है उसके बावजूद इतने केस रिकार्ड हुए हैं जितने वेक्सीन लगने से पहले नहीं हुए थे. मौतें भी हो रही है थोड़ी कम दर्ज की जा रही है लेकिन मौते भी हुई है.
हम तो यहां भारत मे दो डोज लगवाकर ही अपने आपको सुरक्षित समझ रहे हैं लेकिन इजरायल में दो डोज के बाद बूस्टर लगवाने वालों को भी कोरोना हो रहा है. इजरायल के तेल अवीव में काम करने वाले दो डॉक्टरों में कोरोना के नए वैरिएंट की पुष्टि हुई है. दोनों की वैक्सीन के तीन डोज लग चुके थे.
मीडिया में इस बात का विश्लेषण बिल्कुल नहीं किया जाएगा कि ऐसा क्यों है ? लेकिन सवाल तो उठेंगे ही, तो इसका एक आसान रास्ता यह है कि एक ऐसा वेरिएंट खोजा जाए जिस पर वेक्सीन को बेअसर बताया जाए.
कोरोना वायरस में बहुत तेजी से म्यूटेशन होते हैं यह बात शुरू से वैज्ञानिकों को मालूम है. मार्च 2020 में ही मूल कोरोना वायरस में सैंकड़ो म्यूटेशन सामने आ गए थे. कई वैज्ञानिकों ने यह भी कहा था कि वेक्सीन भी म्यूटेशन की गति को तेज कर सकती है. अगर आप वर्ल्ड के डेटा का अध्ययन करेंगे तो ऐसा कही नहीं है कि नवम्बर 2020 से वेक्सीन लगने के बाद केसेस बिल्कुल कम हो गए हैं.
तो आखिरकार इस सिचुएशन को कैसे संभाला जाए इसका जवाब है ओमिक्रोन वेरिएंट
आप यदि पिछले हफ्ते की खबरों को ध्यान से देखेंगे तो मीडिया के जरिए पहले यह तथ्य स्टेबलिश किया गया कि ओमिक्रोन पर वेक्सीन के असर की समीक्षा की जा रही है फिर दो दिन पहले यह खबर आई कि ओमिक्रोन पर अभी लगाई जा रही वेक्सीन ज्यादा प्रभावी नही है ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर मॉडर्ना के CEO का बयान आया कि कोरोना के नए वेरिएंट पर मौजूदा वैक्सीन कम प्रभावी है
फिर कल यह खबर भी आ गयी कि ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका टीम ने ऐसे वेरिएंट के लिए पहले से ही एक नए जेनरेशन की वेक्सीन विकसित कर ली है जिसके ट्रायल किये जा रहे हैं ओर जल्द ही यह मार्केट में आ जाएगी
आज सीरम ने ओमिक्रोन को लेकर कोविशील्ड की बूस्टर डोज के लिए डीसीजीआई से मांगी मंजूरी मांगे जाने की बात की है
यह खेल भी बहुत पहले ही डिसाइड कर लिया गया था अक्टूबर 2020 में बिल गेट्स ने कहा ही था कि कोरोना की सेंकड जेनरेशन की वेक्सीन भी आएगी, ओर यह सब उसी की तैयारी है.
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