ओ गाजा के शरारती बच्चों
तुम वही हो न जो मेरी खिड़की के नीचे
शोरगुल से मेरी नाक में दम किये रहते थे
तुम वही हो न जो दौड़भाग और कोलाहल से
हर सुबह को सराबोर कर देते थे
तुम वही हो न जिन्होंने मेरी बालकनी का गुलदान तोड़ा था
और उसका अकेला फूल चुरा लिया था
वापस आ जाओ –
और जितनी मर्जी शोर मचाओ
और सारे गुलदान तोड़ डालो
सारे फूल चुरा लो
वापस आओ,
बस वापस आ जाओ…
- ख़ालिद जुमा
[ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]
scan bar code to donate
scan bar code to donate