Home लघुकथा आज्ञाकारी गधा

आज्ञाकारी गधा

2 second read
0
0
397

आज्ञाकारी गधा

विष्णु नागर

एक बेहद आज्ञाकारी गधा था. जतना उस पर लादो, आराम से लदवा लेता था. धीरज किसी भी स्थिति में नहीं खोता था. बस उसे जब चाहे, टिंभो-टिंभो करने दो, इसी से वह खुश रहता था. हालांकि यह अधिकार उसे सदियों से प्राप्त था मगर उसे बताया गया था कि पहली बार यह हक हमने तुम्हें दिया है.

इस अहसान से वह हमेशा दबा रहता था. बाकी उसकी कुछ नैसर्गिक जरूरतें थीं. इसमें पहले भी कभी कोई कठिनाई पैदा नहीं हुई थी और गधा जब आज्ञाकारी हो तो फिर यह सवाल ही नहीं उठता ! फिर भी उसे बताया गया था कि यह भी तुम पर हमारी कृपा है.

उसकी एक ही समस्या थी कि कोई उसे गधा न कहे. कोई कह देता था तो वह फिर सब भूल जाता था. कहनेवाले को उसी समय एक-दो लातें कस कर जमा देता था. सामनेवाले को चित करके दम लेता था. गिरनेवाला सहानुभूति की बजाय सबके सामने हंसी का पात्र बन जाता था.

उसे घोड़ा कहो तो वह खुश हो जाता था. हाथी कहो तो झूमने लगता था. शेर कहो तो नाचने लगता था. लोग भी होशियार थे. उसकी इस कमजोरी का खूब फायदा उठाते. खूब उस पर लादते रहते थे. जब तक वह जिंदा रहा, पूरे मोहल्ले की अहर्निश सेवा करता रहा. लोगों को खुश रखता रहा. वह मर गया तो लोगों ने उस पर शोक मनाने में समय नहीं बर्बाद किया. ऐसा एक दूसरा गधा ढूंढने में समय लगाया और शीघ्र ही सफलता भी प्राप्त की.

यह पहलेवाले से भी बेहतर गधा था. इसे खच्चर कहो तो भी खुश और घोड़ा कहो तो भी खुश. यहां तक कि गधा कहो तो भी वह लात नहीं जमाता था केवल थोड़ा-सा हताश हो जाता था. फिर भी इतना नहीं कि लद्दू गधा होने से पलभर के लिए भी इनकार कर दे, तुरंत चल देता था. शुरू में चाल सुस्त रहती, फिर वह अपने आप गति पकड़ लेता था.

वह मर गया तो लोग फौरन तीसरा गधा ढूंढ लाए क्योंकि संसार में न गधों की कमी थी, न उनका उपयोग अपने लिए करनेवालों की.

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • देश सेवा

    किसी देश में दो नेता रहते थे. एक बड़ा नेता था और एक छोटा नेता था. दोनों में बड़ा प्रेम था.…
  • अवध का एक गायक और एक नवाब

    उर्दू के विख्यात लेखक अब्दुल हलीम शरर की एक किताब ‘गुज़िश्ता लखनऊ’ है, जो हिंदी…
  • फकीर

    एक राज्य का राजा मर गया. अब समस्या आ गई कि नया राजा कौन हो ? तभी महल के बाहर से एक फ़क़ीर …
Load More In लघुकथा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…