क्या नौ साल की लड़की
अपने साथ बलात्कार होने का सपना देख सकती है
सपने में इस तरह खो सकती है कि
बलात्कार के दौरान अपनी मौत का सपना भी देख ले
फिर तो यह सपना देखने में भी उसे कोई कठिनाई
नहीं कि उसके बलात्कारी
दो या पाँच साल बाद
बाइज्जत बरी हो गए हैं
उनके सम्मान-जूलूस में समाज के
सभी प्रतिष्ठित लोग शामिल हैं
उनके ऊपर जगह-जगह पुष्पवर्षा की जा रही है
रात्रिभोज का भी भव्य आयोजन है
जिसका निमंत्रण उसके परिवार के नाम भी गया
इसके बाद वे इतने डर गये
कि रातोंरात घर से भाग लिये
मुंबई सेंट्रल पर उतरकर सोचा कि आगे क्या
इसके बाद लड़की को सोचने की जरूरत नहीं रही
मुंबई तो सबके सपने साकार करती ही है
क्यों?
नौ साल की लड़की सपने में
इतनी दूर तक जा सकती है
तो 11-12-16 या 18 साल की लड़की तो
सपने में इतनी दूर जा सकती है
कि लौटने का मन न करे
किसी ने शायद पढ़ा भी हो, सपना देखा भी हो
कि उसकी मौत के बाद भी बलात्कारी थके नहीं
एक के बाद एक बारी का इंतजार करते रहे
बेसब्री का आलम ये कि आपस में झगड़ने लगे
अंत में उनमें एकता ऐसी प्रबल हुई कि लाश का
कभी पता नहीं चला
उनकी ‘सच्चरित्रता’ का प्रकाश
आज तक ऐसा फैला हुआ है
कि प्रांत में सूरज उगे न उगे अंतर नहीं पड़ता.
- विष्णु नागर
(यह इंडियन एक्सप्रेस की एक मार्मिक खबर पर आधारित है.)
[ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]