नीरव मोदी जब देश छोड़कर दुबई भाग रहा था तब मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर कस्टम को नीरव के बैगेज में प्रधानमंत्री मोदी की एक डेढ़ फुट की मूर्ति मिली.
ऑफिसर ने पूछा, ‘ये क्या है ?’
नीरव ने जवाब दिया,
‘ये क्या है !’ आपने गलत सवाल पूछा है ऑफिसर. ये पूछो कि ‘ये कौन है ?’
‘ये मोदीजी है. हमारे प्रधानमंत्री. नमो भगवान. हमारे विश्वगुरु. इन्होंने देशद्रोहियों पर काबू कर रखा है. चीन और पाकिस्तान चुप है. इनकी वजह से हिंदू राष्ट्र का सपना पूरा होने वाला है. ये भारत का भविष्य है. इन्हें अपने साथ ले जा रहा हूंं ताकि मुझे इनसे हमेशा प्रेरणा मिलती रहे. क्या तुम भी देशद्रोही हो जो मोदीजी पर शक कर रहे हो ? मुझे उनसे अलग रखना चाहते हो ? जै श्री राम !’
कहते-कहते नीरव की आंंखे लाल हो गयी थी. चेहरा तमतमा गया था और अफसर सकपका गया और ज्यादा औपचारिकता न करते हुए उसे जाने दिया.
दुबई एयरपोर्ट पर भी कस्टम ऑफिसर ने पूछा, ‘ये क्या है ?’
नीरव ने जवाब दिया.
‘ये क्या है !’ आपने गलत सवाल पूछा है ऑफिसर. ये पूछो कि ‘ये कौन हैं ?’
‘ये भारत का प्रधानमंत्री है नरेंद्र मोदी, जिसने देश की बैंड बजा रखी है. नोटबन्दी और जीएसटी से अर्थव्यवस्था हिला दी. कोई विरोध न करें इसलिये पब्लिक को हिन्दू मुसलमान आपसी विवाद में उलझा दिया. बिरादर, भारत में इसकी वजह से आपके मुसलमान भाइयों पर बहुत ज्यादती हो रही है. मुझे नहीं रहना ऐसे देश में. छोड़ दिया वो देश. मैं मोदी की मूर्ति इसलिये साथ लाया हूंं ताकि उसे हमेशा लानत देता रहूं.’
कस्टम ऑफिसर भावुक हो गया और कहा, ‘बरखुरदार, माफी चाहता हूं, आप जाओ.’
सफलतापूर्वक इमिग्रेशन के लिये दुबई में नीरव मोदी ने अपने दोस्तों रिश्तदारों को अपने यहां दावत दी.
एक अंग्रेज दोस्त ने मूर्ति देखकर नीरव से पूछा,
‘ये कौन है ?’
नीरव ने जवाब दिया –
‘ये कौन है !’ तुमने गलत सवाल पूछा है मेरे दोस्त. ये पूछो कि ‘ये क्या है?’
‘ये दस किलो प्योर गोल्ड है, जिसे मैं बिना टैक्स और बिना कस्टम ड्यूटी दिये लेकर आया हूंं.’
- मकसूद अली
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