Home कविताएं नई सभ्यता का नया उजाला

नई सभ्यता का नया उजाला

1 second read
0
0
423

सभी कालखण्डों को रौंदता
बनाता, बिगाड़ता, फिर बनाता
इतिहास को, सभ्यता को
दृश्यमान अखिल जगत को
दौड़ता जाता महाकाल रथ
पीढ़ियां उठती हैं
थामती है इसके घोड़ों की लगाम
हाथों में महाविप्लवों, महाक्रांतियों की चाबुक से
हांकती, दौड़ती जाती इसे !
पीढ़ियां स्थान बदलती हैं,
पुरानी जाती है, नये आते हैं
न महाकाल-रथ विराम लेता है
और न चुकते हैं सारथी !
आज फिर महाकाल का रथ सामने है
अभी निकल पड़ो मेरे नौनिहालों !
हमारी पीढ़ी की यात्रा भले झुटपुटे में समाप्त हो
पर महाकाल के इस वेगवान रथ की
लगाम थामी,
चाबुक की फटकार से इसके घोड़ों को हांकती
नई पीढ़ी के इंतजार में
बड़ी बेकरारी से खड़ें हैं
आतुर हृदय लाखों-लाख सूर्य
नई सभ्यता का नया उजाला
लाने को उद्यत !

  • बी. पी. सिंह
    जुलाई, 2020 (शहीद खुदीराम बोस केन्द्रीय कारा, मुजफ्फरपुर)

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • पार्वती योनि

    ऐसा क्या किया था शिव तुमने ? रची थी कौन-सी लीला ? ? ? जो इतना विख्यात हो गया तुम्हारा लिंग…
  • विष्णु नागर की दो कविताएं

    1. अफवाह यह अफवाह है कि नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं अमित शाह गृहमंत्री आरएसएस हि…
  • मी लॉर्ड

    चौपाया बनने के दिन हैं पूंछ उठा कर मादा गिनने के दिन गए अच्छा है कि मादा के अपमान से बाहर …
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

पार्वती योनि

ऐसा क्या किया था शिव तुमने ? रची थी कौन-सी लीला ? ? ? जो इतना विख्यात हो गया तुम्हारा लिंग…