ये अजीब समाचार है कि, नाटो-अमरीका के यूक्रेन पर अरबों खरबों डालर बहाये जाने के बाद भी यूक्रेन से 18 वर्ष से 50 वर्ष बीच के 6 लाख 62 हजार पुरुष नागरिक अचानक गायब बताये जा रहे हैं. बेलारूस में रह रहे एक यूक्रेनी अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता सेदिस्को पेद्रीजा ने कहा-
‘इसमें आश्चर्य वाली कोई बात नहीं है और गायब हुए सभी भगोड़े पुरुष सुरक्षित होंगे. यूक्रेन में रूस ने 24 फरवरी 2022 को जब पहला हमला किया तभी से यूक्रेनी राष्ट्रपति का राष्ट्र हित का प्रमुख कर्तव्य संदिग्ध रहा है. क्या कोई राष्ट्र प्रमुख अपने मुल्क पर टूट पड़ी आपदा को निपटाने के लिए किसी अन्य राष्ट्र से सलाह लेने की मूर्खता करता है ?
‘जेलेंस्की ने ऐसा किया है. पहले हमले पर ही जेलेंस्की के फोन अमरीका व जर्मन के लिए लग गये. जेलेंस्की को जब तक नाटो देशों से हमले का सिग्नल मिलता तब तक पुतिन के फाइटर जेट दर्जनों मिसाइलें उगल कर यूक्रेन विनाश का सूत्रपात कर चुके थे.’
पिछले दो सालों से यूक्रेनी विश्वविद्यालय, कालेज व मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट लगभग बंद पड़े हुए हैं. राज-काज पूरी तरह ढह चुका है. स्कूली बच्चों को आनलाइन पढ़ाया जा रहा है. बिजली, रेलवे, दवाइयां व अन्य बुनियादी जरूरत की चीजें एकदम नदारद हैं. सड़कों में सन्नाटा रिहाइशी इलाकों में वीरानी पसरी हुई है. सेनाकर्मियों द्वारा महिलाओं के साथ अभद्रता चरम पर है.
लड़कियों के साथ बलात्कार भी एक तरह से देशभक्ति का हिस्सा बनने जा रहा है. बलात्कार पीड़ित महिलाएं जायें तो कहां जायें ? जिम्मेदार पुलिस महकमे बलात्कार पीड़ितों से कह रहे हैं कि युद्ध चल रहा है, हालात बेकाबू हैं, बाहर निकलने की जहमत मत उठाओ. भूखे, लाचार, मजबूर नागरिकों द्वारा दिन ब दिन आत्महत्याओं के मामले बढ़ते जा रहे हैं. युद्धरत देश के नागरिकों द्वारा इस सब पर आंकड़े बताना देशद्रोह है.
तीन दिन पहले ही 29 अप्रैल से 1 मई के शाम 5 बजे तक महज 3 दिन से भी कम समय में रूसी सेना ने यूक्रेन के 1813 सैनिकों को मार दिया. जेलेंस्की ने सेना में लोगों को जबरन भर्ती का अभियान चला रखा है. युवा व अधेड़ उम्र के लोगों के लिए देश से बाहर जाने का पासपोर्ट-वीजा जारी करने पर प्रतिबंध लगा दिया है.
यूक्रेन के किसी भी नागरिक को जेलेंस्की पर भरोसा नहीं रह गया है इसलिए 6 लाख 62 हजार यूक्रेनी नागरिक स्वयं ही लापता हो लिए हैं. इस पर पश्चिमी मीडिया खामोश है. सबको पता है जेलेंस्की अंतरात्मा से युद्ध हार चुके हैं और इस समय जो कर रहे हैं वो सिर्फ नाटो अमरीका की फिरकी बनकर कर रहे हैं.
जेलेंस्की को 61 अरब डॉलर देने के बाद भी नाटो मुख्यालय ब्रुसेल्स में जहां एक ओर अचानक भगदड़ मची हुई है, वहीं दूसरी ओर एक और खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन में नाटो देशों द्वारा भेजे गये हथियारों की नई खेप जिसमें अमरीकी अब्राहम टैंक व जर्मनी लेपर्ड टैंक भी शामिल हैं को, डोनबास से 86 किमी दूर समुद्र तट से लगे जिस जंगल के बीच छिपाया गया था, वहां पुतिन ने क्रूज मिसाइल से हमला कर सबकुछ धुआं धुआं कर दिया है.
पेंटागन के एक अधिकारी ने कहा कि हमारे पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि हथियारों के डिपो पर जिस क्रूज मिसाइल का इस्तेमाल किया गया है वो एक उत्तर कोरियाई बेलिस्टिक मिसाइल थी. नाटो में इस समय बदहवासी व अफरातफरी का आलम ये है कि ब्रिटिश खुफिया एजेंसी एमआई-6 का कथित तौर पर दावा है कि यूक्रेनी सेना क्रेमलिन से आपरेट हो रही है.
यूरोपीय खुफिया एजेंसियों पर जेलेंस्की के नजदीकी लोगों का आरोप है कि जेलेंस्की अगर रूस से युद्ध विराम की पहल करते हैं तो जेलेंस्की को किसी नाटो सदस्य देश द्वारा उसी समय मौत के घाट उतार दिया जायेगा.
जेलेंस्की अब रूस के प्रति पहले की तरह आक्रामक नहीं हैं लेकिन पश्चिमी मीडिया अपने समाचारों में जेलेंस्की को एक सिरफिरा राष्ट्र प्रमुख का तमगा जड़ चुकी है ताकि यूक्रेन हारता है तो नाटो सदस्य देशों को हार का ठीकरा जेलेंस्की के सिर फोड़ने में आसानी हो सके.
- ए. के. ब्राईट
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