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पुतिन के आगे पस्त होती नाटो की गिरोहबंदी

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पुतिन के आगे पस्त होती नाटो की गिरोहबंदी
पुतिन के आगे पस्त होती नाटो की गिरोहबंदी

अमरीकी रक्षा विभाग पेंटागन के सलाहकार समिति के वरिष्ठ अधिकारी माइक क्विगलिक ने साफ कह दिया है कि ‘यूक्रेन यह युद्ध हार चुका है अब इसे जारी रखने का कोई मतलब नहीं रह गया है. संसाधनों की बरबादी और सैनिकों को मरने के लिए छोड़ देना यह कतई सभ्यता नहीं है…’. उधर यूक्रेनी सेनाधिकारियों की हथियार घोटाले मामले ने जेलेंस्की व नाटो देशों की नाक में टट्टी उड़ेल दी है.

अमरीका व नाटो देशों ने फिलहाल यूक्रेन के लिए तैयार सैन्य मदद की एक बहुत बड़ी खेप को यूक्रेन भेजे जाने पर रोक लगा दी है, जिसमें अमरीकी F-16 लड़ाकू जेट, स्टार्म शेडो, पेट्रियट टैंक शामिल हैं. पिछले दिनों लिथुआनिया नाटो शिखर बैठक में जब नाटो सदस्य देशों में दो-फाड़ मच उठा था तो तभी यह कहा जा रहा था कि जर्मनी खुफिया एजेंसी के पास ऐसे पुख्ता सबूत हैं जिससे यूक्रेन को आगे सैन्य मदद देने का कोई मतलब नहीं है.

अब समाचार ये है कि बीते शुक्रवार को जेलेंस्की ने सेना के 112 उच्च अधिकारियों को बर्खास्त कर उन पर सैन्य अनुशासनहीनता व देशद्रोह के मुकदमें की सिफारिश कर दी है. इन अधिकारियों पर आरोप है कि इन्होंने 20 लाख करोड़ के नाटो हथियारों को औने-पौने दामों में वैगनर ग्रुप व रूसी सेना को बेच दिये हैं. लेकिन उत्तर कोरिया खुफिया एजेंसी ने इसके विपरीत जो खुलासा किया है उससे पूरी दुनिया में पुतिन का खौफ पसर गया है. उत्तर कोरियाई खुफिया एजेंसी के अनुसार –

‘अगस्त 2022 में जेपोरेजिया पर कब्जा करने की रूसी कोशिशों को मिली सफलता के बाद से यूक्रेनी सेना मानसिक तौर पर रूस के आगे सरेंडर कर चुकी थी, यानी कि यूक्रेन की हार सुनिश्चित हो चुकी थी. यूक्रेनी सैन्य अधिकारियों को लगा कि युद्ध जल्दी ही खत्म होने वाला है इसलिए हथियारों को गोदामों में पड़े रहने से अच्छा है कि इन्हें बेच दिया जाये. लेकिन यूक्रेनी सेना के दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ और न ही युद्ध खत्म होने जा रहा है. यह युद्ध अमरीका-जापान के सर्वनाश के साथ खत्म होगा.’

बहरहाल, युद्ध जारी है. महज पिछले दो दिनों में रूस ने यूक्रेन के लगभग एक दर्जन शहरों में बारूदी बारिश बरपा रखी है, जिसमें 5 शहरों का जनजीवन न केवल प्रभावित हुआ है बल्कि बुनियादी ढांचों के परखच्चे उड़ गए हैं. दो हफ्ते पहले यूक्रेन ने जब क्रीमिया के एक विश्वविद्यालय परिसर में क्लस्टर बम से हमला किया था तो तभी दुनिया ने अनुमान लगा लिया था कि जेलेंस्की राष्ट्रीय सुरक्षा व उच्च सैन्यादेश की कोई काबिलियत नहीं रखते हैं.

पुतिन ने ठीक ही कहा कि जेलेंस्की रणनीतिक तौर पर युद्ध नहीं कर रहे हैं इसीलिए उनकी सेना हर मोर्चे पर मात खा गई है. जून पहले सप्ताह से चले यूक्रेनी काउंटर अफेंसिव से यूक्रेन की भारी दुर्गति का भांडा तब पूरे जोर-शोर से फूट पड़ा जब ब्रिटेन खुफिया एजेंसी एमआई-6 ने जुलाई 16 तक 9000 से अधिक यूक्रेनी सैनिकों की आत्महत्या की रिपोर्ट बनाई थी और लीक हो गई थी. यूक्रेनी सैनिकों की आत्महत्या की वजह सैनिकों के पास गोला बारूद न होना बताया गया था.

मेहनतकश मजदूर किसानों के फौजी खेपों की बलिवेदी पर पूंजीवादी शासकवर्ग का परचम जो अब तक लहरा रहा था, यूक्रेनी सेनाधिकारियों के नाटो हथियारों के घोटाले ने भौतिक वैभवता को पल्लवित करने वाली इस व्यवस्था की ताबूत पर रंग-रोगन तो कर ही दिया है. आखिर ऐसा कौन-सा कानून के किताब में लिखा है कि सैन्य अफसरों को वैभवता का लालच नहीं करना चाहिए, वैभवता पर शासकवर्ग का पेटेंट नहीं है, दुनिया जिस लोकतंत्र के ढर्रे पर है वहां ‘जियो और जीने दो’ का फार्मूला ही चल रहा है.

मतलब जिसके पास जितनी ताकत है, उतना संसाधनों पर कब्जा कर लें. सैन्य शुचिता के नाम पर पूंजीवाद किसी भी नागरिक को उपभोगवादी अधिकार से अलग नहीं कर सकता. बहरहाल, नाटो संगठन धीरे-धीरे मर रहा है. भगदड़ अफरातफरी में किसी रोज़ न्यूक्लियर विस्फोट से भी मुंह नहीं फेरा जा सकता. साम्राज्यवादी लुटेरों के इस खूनी टकराव की महाविभीषिका में कुछ बचेगा या नहीं इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता, हां इतना जरूर है नाटो के 31 देशों को अपनी जिस विध्वंसक शक्ति पर गुमान था, उस नाटो के लाख उकसावे के बावजूद पुतिन पूर्वत् पूरे आत्मविश्वास के साथ नाटो की तबाही की इबारत लिख रहे हैं.

खबर है कि जून पहले हफ्ते से यूक्रेनी काउंटर अफेंसिव में यूक्रेन के 53,000 सैनिक अपनी जान गंवा चुके हैं. यूक्रेनी सेना नागरिकों को जबरन घरों से घसीट कर सैन्य काफिले को बढ़ाने की कवायद कर रही है. हालांकि अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने यूक्रेनी सेना के ऐसे कारनामों को ‘सैन्य आतंक’ का नाम दिया है और इससे परहेज़ करने के लिए कहा है.

रूस यूक्रेन युद्ध जारी है. अभी रूसी सेना की तरफ से उत्तर कोरिया से आ रही नई हथियारों की खेप से यूक्रेन को रूबरू होने का वक्त नहीं आया है. शायद नाटो और अमरीका उत्तर कोरिया से आ रही रूसी बेड़े में हथियारों की खेप का मकसद समझ चुकी है इसलिए जल्दीबाजी में नाटो-अमरीका युद्ध समाप्ति की कोशिश में कहीं कुछ ऐसा न कर दें कि यूक्रेन अमरीकी परमाणु विस्फोट की चपेट में खत्म हो जाये.

हालांकि नाटो ने एक दुखदाई बयान ये तो दिया ही है कि रूस यूक्रेन युद्ध किसी एक नाटो देश की कुर्बानी के बाद बंद होगा. ऐसे बेतुके बयानों से पुतिन की ताकत को और अधिक मजबूती मिल रही है. नाटो जल्दी ही इस ताकत की गुलामी में अपना श्रापित अस्तित्व गुजारने को मजबूर रहेगा.

  • ऐ. के. ब्राईट

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