निरंतर भ्रमणशील एवं नानाविध वस्त्रालंकार धारणकर्ता श्रीमान नरेंद्र ‘दामोदर दास’ मोदीजी की पिछले दो दशक की जीवन झलकियां.
फोटो में जिन घोटालों को अंकित किया गया है वे उन पांंच एजेंसियों और संस्थाओं के जांंच रिपोर्टोंं से लिये गये हैं, जो पूरी तरह संविधान के दायरे में काम करती हैं. और सर्वेक्षण और जांंच के मामले में इनकी तकनीक सबसे बेहतर और विश्वसनीय मानी जाती है.
पं. किशन गोलछा जैन, ज्योतिष, वास्तु और तंत्र-मंत्र-यन्त्र विशेषज्ञ
यूं तो हमारे आधे कुंवारे मोदीजी ने अपने जीवन में बहुत कुछ किया है, जिसमें घर छोड़ने से लेकर बीवी छोड़ने तक के महान कार्य शामिल है लेकिन यहांं सिर्फ उनके सत्तासीन जीवन के पिछले 20 सालों के प्रमुख कार्य को पिरोया गया है. वैसे तो उनके सत्तासीन जीवन के भी अनेकानेक ऐसे महान कार्य है, जिनसे कोई दूसरा तो शायद चुल्लू भर पानी में भी डूब के मर जाता लेकिन अपने ‘साहेब’ को तो ‘शर्म है कि आती ही नहीं.’
खैर, शुरू करते हैं 2001 से, जिसमें एक विदेशी (अमरीकी) कम्पनी को हायर किया गया (तब 17 लाख रुपया महीना के हिसाब से) कि मोदीजी की छवि को राज्यस्तर से देशव्यापी बनाना है और छवि चमकाने के साथ-साथ ‘साहेब’ का एक ‘नमो’ ब्रांडनेम भी बनाना है ताकि मोदीजी को विधानसभा से उठाकर लोकसभा में लाया जा सके.
मोदीजी की तरह ही नाइजीरिया के पूर्व तानाशाह सानी अबाचा, कजाखिस्तान के राष्ट्रपति नूर सुलतान नजरबायेव और माफिया मिखाइल खोदोरसकी से जुड़े रूसी नेता भी इस कम्पनी के ग्राहक हैं और तो और मुकेश अम्बानी भी इसी कम्पनी से सेवायें लेते हैंं.
इस कम्पनी के सबसे प्रमुख काम हैं –
- गृहयुद्ध भड़काने के लिये जनता को सांप्रदायिक तौर पर तैयार करना.
- तानाशाहों का बचाव करना.
- नेताओं को चुनाव जीतने के तिकड़म सिखाना.
- बड़ी कम्पनियों को मुनाफे की तरकीब सिखाना भी इस कम्पनी का खास धंधा है.
इस कम्पनी ने ईराक पर युद्ध थोपने के लिये पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के पक्ष में हवा बनायी थी. यही कम्पनी मोदीजी के भाषण लिखवाती है. मोदी के पक्ष में झूठ को सच और सच को झूठ बनाने की कला के पीछे इसी कम्पनी का ही हाथ है.
मोदीजी के पक्ष में हवा बनाने के लिये और फेसबुक- ट्वीटर जैसी बहुत सारी सोशल मीडिया साइट्स को योजनाबद्ध तरिके से चलाना ताकि लोग सत्य के प्रति हमेशा कन्फ्यूज ही रहे.
इसी कम्पनी की कृपा से ही गुजरात सरकार में सीएम रहते मोदीजी ने ‘नैनो घोटाले’ की खबर तक तब अखबार के किसी कोने में नहीं छपने दी.
2009 से पहले गुजरात सरकार में रहते मोदीजी सिर्फ 840, 1200 या 9000 अरब रुपये विकास पर खर्च करने के वादे करते थे लेकिन कम्पनी की एडवाइजिंग टीम की फेकोलोजी आइडियाओं की वजह से अब ये वादा 30,000 अरब रुपये के पार चला गया है. लेकिन इस कथनी को करनी में बदलने की दर गिरकर डेढ़ प्रतिशत तक पहुंंच गयी है.
हद तो तब हो गयी थी जब दो दिन के अन्दर 15,000 गुजरातियों को उत्तराखंड के आपदाग्रस्त दुर्गम इलाके से निकालकर उनके घर का धपोर शंख बजाया गया. हालांंकि देश के लोग इतने बेवकूफ भी नहीं हैं कि इतनी बड़ी गोली एक बार में पानी के बिना ही गटक लेते. अतः इतनी ऊंंची डींग हांंकने के कारण मोदीजी की देशभर में बहुत किरकिरी हुई (अरे भई, आखिर झूठ बोलने की भी तो कोई सीमा होती है न…).
बीस साल से एप्को द्वारा मोदीजी की छवि सुधारने की कोशिश अब रंग ला रही है और मोदी के अंधभक्तों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है (हालांंकि ये बेचारे भक्त सच्चाई से कोसों दूर हैं क्योंकि इनको इस मुगालते में रखा गया है कि देश की हर समस्या की जिम्मेवार कांग्रेस पार्टी और नेहरू-गांंधी परिवार है). बेचारे भक्त सच्चाई को न समझते हुए ये मानते हैं कि मोदीजी को बदनाम करने के लिये उनके खिलाफ झूठी खबरें कांग्रेस उड़ाती है !
आज जिस कोरोना वायरस से पूरी दुनिया परेशान है और पुरे विश्व में 2 लाख से ज्यादा लोग मर चुके हैं, उस वायरस की ईजाद में टाटा का हाथ है, ये तो अब स्पष्ट ही हो चुका है (भले ही इस वायरस को चाइना ने अपनी लैब में और खतरनाक बनाकर पुरे विश्व में फैलाया होगा लेकिन वायरस की ईजाद टाटा इन्टीट्यूट और बिल गेट्स की पत्नी मेंडुला की मेंडुला फॉउंडेशन की जॉइंट टाइअप रिसर्च का नतीजा था, जिसे भारत के नागालैंड में अंजाम दिया गया था).
लेकिन अपने मोदीजी ने हमेशा टाटा का नमक खाया है, अतः वे टाटा की हमेशा नमकहलाली करते रहेंगे. मोदीजी का ये टाटा प्रेम आज का नहीं मुुख्यमंत्री के ज़माने से है. तभी टाटा नेनो प्रोजेक्ट पर उन्होंने गुजरात मुुख्यमंत्री रहते 9570 करोड़ का कर्ज दे दिया था, जबकि पूरा टाटा नेनो प्लांट ही 2900 करोड़ रुपये का था !
आपको एक खास बात और बताऊं कि मोदीजी ने गुजरात सरकार में रहते टाटा को यह कर्ज सिर्फ 0.1% ब्याज की दर से दिया था. और शायद आपको पता न हो कि जिस टाटा ने लोकसभा 2019 के चुनाव में 500 करोड़ का चंदा मोदीजी (बीजेपी) को दिया उस टाटा को उपरोक्त परियोजना में लिया गया कर्ज 20 साल बाद लौटाना है, है न कमाल की बात !
टाटा और गुजरात सरकार के बीच लॉबिंग (दलाली) का काम नीरा राडिया ने किया था, जो 2G स्पेक्ट्रम घोटाले में लॉबिंग की आरोपी है और टाटा के साथ फोन पर गैर-कानूनी तरीके से काम कराने से सम्बन्धित उनकी बातचीत का पर्दाफाश भी हो चुका है. अतः कोई भक्त ये नहीं कह सकता कि ये सब झूठी बातें हैं. नैनो घोटाले की जांंच में कुल एक लाख करोड़ की अनियमितता पायी गयी थी !
कुछ साल पहले इशाक मराडीया ने गुजरात के मत्स्य पालन मंत्री पुरुषोत्तम सोलंकी के खिलाफ 400 करोड़ के मत्स्य घोटाले की पुलिस जांंच की मांंग की थी. इसे संज्ञान में लेते हुए गुजरात उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया, लेकिन अपने मोदीजी तो मित्रों के अभिन्न मित्र हैं इसलिये उन्होंने कोई जांंच करवायी ही नहीं.
ऐसे ही न जाने कितने मस्त किस्से हैं अपने मोदीजी के. जैसे जून, 2011 में 2 लाख करोड़ के कांडला बंदरगाह भूमि घोटाले का खुलासा हुआ, जिसमें गुजरात सरकार में मुुख्यमंत्री रहते अपने मोदीजी ने कांडला बंदरगाह की लगभग 16 हजार एकड़ जमीन मात्र 144 रुपये प्रति एकड़ की दर से किराये पर नमक बनाने वाली कम्पनी को दे दी थी. (भले ही आम आदमी को इतने में एक एकड़ की फोटो भी नहीं मिलती मगर उस नमक बनाने वाली कम्पनी को तो मिल गयी, वो भी अपनी मोदीजी की कृपा से. अब भी अगर जो उस कम्पनी का नाम समझ नहीं पाये हैं तो भईया मुझसे उसका नाम पूछने से बेहतर है कि वो जाकर pogo चैनल देखे क्योंकि उसके दिमाग का लेबल वहीं तक काम करेगा).
ये तो हुई अपने ‘साहेब’ के खासमखास TATA की. अब मोदीजी के दूसरे खासमखास गौतम अदानी के बारे में भी जान लीजिये कि गुजरात सरकार के सीएम रहते अपने मोदीजी ने अडानी के पावर प्लांट, बंदरगाह और विशेष आर्थिक क्षेत्र सेज के लिये भी 131 हजार करोड़ रुपये दिये थे, जो मोदीजी को दहेज़ में नहीं मिले थे बल्कि वो गुजरात के टैक्स पेयर की गाढ़ी कमाई का कर था, जो उन्होंने गुजरात के विकास के लिये गुजरात सरकार को दिया था.
ये तो मुख्य घोटाला है असल में तो कई अन्य घोटालों में भी अदानी का नाम शामिल है. इतना ही नहीं अडानी की कम्पनियांं मुन्द्रा बन्दरगाह और सेज के इलाकों में पानी के बहाव को रोककर सदाबहार वर्षा वनों का नाश भी कर रही हैं और अपने मोदीजी भाषणों में पर्यावरण संरक्षण पर ज्ञान पेलते फिरते हैं.
नोट : मोदीपुराण में अडानी के दृष्टांत में उसके बेंकों से लिये कर्ज का जिक्र नहीं किया गया है, सो मैं भी सिर्फ उल्लेख करके छोड़ रहा हूंं, सुज्ञजन स्वयं ही पड़ताल करके समझ लेवे !
अपने मोदीजी के जीवनकाल में किस्सों और दृष्टांतों की कमी नहीं है लेकिन जैसे भक्त बताते हैं, वे सब निरर्थक और मिथ्या किस्से हैं. असली किस्से तो मैं लिखने की कोशिश कर रहा हूंं, जैसे उपरोक्त में वर्णन किया वैसे ही आगे और …
महुआ और भावनगर के 25 हजार किसानों की 268 हेक्टेयर भूमि अपने मोदीजी ने उनके विरोध के बावजूद निरमा कम्पनी को सीमेंट का प्लांट बनाने के लिए दे दी थी. और शायद आपको पता नहीं कि उस भूमि के 222 हेक्टेयर जमीन पर एक खूबसूरत झील भी मौजूद था. पहले भले ही उस झील का पानी गुजरात के गांवों के लोगों के पीने और किसानों के खेती करने के काम आता था, मगर निरमा कम्पनी ने उसे भर कर उसका नामोनिशान मिटा दिया.
ये जो रविश कुमार, अभिसार शर्मा जैसे लोग भी ऐसी खबरों को नहीं दिखाते लेकिन कैग और एनएसएसओ जैसी संस्थाओं की वजह से अपना विश्वास आज भी लोकतंत्र में टिका हुआ है क्योंकि उन्होंने न सिर्फ कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया बल्कि मोदीजी की असलियत को भी उजागर किया.
भले ही आज वे एजेंसिया दबाव में काम कर रही है लेकिन फिर भी काम तो कर ही रही है. जैसे ही दबाव हटेगा मोदीजी पर उनकी गाज गिरेगी क्योंकि सब कोई दीपक मिश्रा या गोगोई जैसे नहीं है, कुछ लोया भले ही बन जाये, मगर अभी भी ऐसे ईमानदार लोग हैं जो बिना डरे अपना काम करते हैं.
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