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नरेन्द्र और विश्वकर्मा

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नरेन्द्र और विश्वकर्मा

कहते हैं बाल नरेंदर में बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा थी. एक बार वे खेलते कूदते तालाब के तरफ चले गए. जैसे ही पानी मे पैर रखा, उन्हें कुछ महसूस हुआ. हाथ लगाकर उसे पकड़ा और एक झटके में बाहर निकाल लिए. उसे वे खींचते हुए अपने घर ले आए.

आंगन में बैठी मां जब यह देखी तो घबरा गई. उसने कहा कि ‘अरे नरेंदर ! यह तो घड़ियाल है, बहुत ही खतरनाक होता है.’ बाल नरेन्द्र मुस्कुराते हुए बोले ‘नहीं मां, देखो यह हमसे खुद ही डरा हुआ है.’ खैर ! मां के आग्रह पर वे उसे उसी तालाब में छोड़ आये लेकिन घड़ियाल के मां ने बाल नरेंदर को एक श्राप दे दिया – ‘जब कभी लोगों को तुम्हारी जरूर होगी तो तुम उनकी मदद नहीं करोगे अपितु तुम घड़ियाली आंसू जरूर बहाओगे.’

बात आगे बढ़ी और उनकी शादी हो गई. तभी उनमें बुद्ध बनने की प्रबल इच्छा हुई. वे पत्नी को छोड़कर जंगल की तरफ निकल गए. उधर ही कुछ बर्षों तक तपस्या करते रहे. लेकिन अद्भुत बात देखिए कि वे अपना शरीर तो जरूर जंगल मे ले गए लेकिन उनकी आत्मा इधर पढ़ाई करती रही और वे एंटायर साइंस में डिग्री भी हासिल किए.

बचपन से ही वे इतने दैवीय शक्ति से ओत-प्रोत थे कि जब वे स्टेशन पर चाय बेचे, कोई देख नहीं पाया. उनकी लीला अपरम्पार रही.

आगे चलकर वे देश के महान के शासक हुए. उनमें एक बुरी लत थी बहुमूल्य समान को बेचने की. उनकी इसी लत के कारण उनके जन्मदिन के ही दिन विश्वकर्मा भगवान की जन्मदिन भी मनाया जाना लगा ताकि कुछ कम्पनसेट हो सके. शायद आपको पता ही होगा कि कोई भी हिन्दू त्यौहार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नहीं होता है, सिवाय विश्वकर्मा पूजा के..उसका कारण भी ही यही नरेंदर जी ही हैं.

उनके बारे में कहा जाता है कि जो उनका नाम सुबह और शाम साफ मन से जपता है जल्द ही वो मंत्री, मुख्यमंत्री बन जाता है. जो उनके नाम लेने में संकोच करता है या लफ्फाजी करता है, उसकी मंत्रिपद और मुख्यमंत्री की कुर्सी भी चली जाती है.

उनमें चमत्कारिक गुण हैं, यह बात किसी से छुपी नहीं है. इस कहानी को जो लोग भी लाइक शेयर और कमेंट करेंगे, उनको शाम तक अच्छी खबर मिल सकती है. जो लोग इसे देखकर इग्नोर करेंगे, उनको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. अभी अभी कुछ दिन पहले कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने ऐसी गलती की थी. बाकी आपकी मर्जी, हमारा काम था बताना हम बता दिए.

  • अखिलेश प्रसाद

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