गुरूचरण सिंह
नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ लडी जा रही देशव्यापी लडाई अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है क्योंकि अब इस कानून के समर्थन में भी लोग सड़कों पर उतर आए हैं. लग रहा है जैसे लोगों को आमने-सामने खड़ा करके जन बल के आधार पर आर-पार की लडाई का फैसला लिया जा चुका है !
इधर विरोध प्रदर्शन भी बढ़ने लगे हैं और दमन चक्र भी. 29 दिसंबर को सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ने सीएए के विरोध में बैठक बुलाई थी, जिसमें मशहूर तमिल लेखक नेल्लई कन्नन ने भी भाषण दिया था. उस पर कार्रवाई करते हुए उन्हें बुधवार को गिरफ्तार कर लिया गया.
हालांकि मुंबई, चेन्नई, पुणे, हैदराबाद, नागपुर, भुवनेश्वर, कोलकाता और भोपाल में प्रदर्शनों पर कोई रोक नहीं लगाई गई है, गुरुवार को बेंगलुरु में होने वाले प्रदर्शनों पर रोक लगा दी गई है. दिल्ली और लखनऊ में भी विरोध प्रदर्शन पर रोक लगी हुई है ! इसके बावजूद दिल्ली के शाहीन बाग में धरने पर बैठी बुजुर्ग औरतों के हौसलों में कोई कमी नहीं आई है, उनका संकल्प वक़्त बीतने के साथ कुछ और मजबूत हुआ है.
धरने पर बैठी परवीन ने कहा कि जब तक यह कानून वापस नहीं लिया जाता, तब तक हम इसी तरह सड़कों पर रहेंगे. इसी धरना प्रदर्शन में शामिल 82 साल की बिलकीस कहती हैं, ‘हिंदुस्तान तो हमारी पहचान है और इसे हम कैसे छोड़कर जा सकते है. मेरे पास कोई सर्टिफिकेट नहीं है, न ही मैं ज्यादा पढ़ी लिखी हूं. ऐसे में हम अपनी नागरिकता कैसे साबित करेंगे ? जब देश आजाद हुआ था, तभी से इस भारत में हमारे पूर्वज रह रहे है.’
लेकिन अपनी ही बात पर अड़े संघ-भाजपा ने भी बड़े पैमाने पर देशव्यापी 30 रैलियां आयोजित करने का ऐलान किया है ! जोधपुर से शुरुआत हुई है इन बड़ी रैलियों की जिसमें गृहमंत्री अमित शाह ने भी भाग लिया और साफ कर दिया कि मोदी सरकार इस क़ानून को लागू करवाने में एक इंच भी पीछे नहीं हटेगी !
नागरिकता संशोधन क़ानून के समर्थन में हुई रैली में बेल्लारी सिटी के विधायक सोमशेखर रेड्डी ने कहा, ‘हम 80 फ़ीसदी हैं और तुम (CAA के ख़िलाफ़ प्रदर्शनकारी) सिर्फ़ 17 फ़ीसदी. सोचो अगर हम तुम्हारे ख़िलाफ़ हो जाएं तो तुम्हारा क्या होगा.’ बता दें कि श्री रेड्डी खनन घोटाले के आरोपी जी. जनार्दन रेड्डी के बड़े भाई हैं. जंगल की ज़मीन पर अवैध खनन का आरोप ती उन पर होने के साथ भाई की ज़मानत के लिए आंध्र प्रदेश के जज को रिश्वत देने की कोशिश करने का भी गम्भीर आरोप भी वे झेल रहे हैं. इस रैली में रेड्डी ने जोर देकर कहा कि ‘इस देश में रहना है तो हमारे हिसाब से रहना होगा !’ टकराव की राजनीति और किसे कहा जाता है ?
इस कानून के लिए समर्थन जुटाने के वास्ते संघ-भाजपा आज से हस्ताक्षर अभियान शुरू करने जा रहे हैं ! जनसंपर्क में तो वैसे भी इसका कोई सानी ही नहीं है ! डोर टू डोर चलने वाले इस हस्ताक्षर कराने की इस मुहिम में आपसे भी संपर्क किया जाएगा ! बेवजह उन्हें देहरी से लौटने का अनुरोध आपसे बिल्कुल नहीं करूंगा ! मेरा अनुरोध तो बस इतना ही है कि किसी भी किस्म के सामाजिक दबाव में आ कर हस्ताक्षर न करें ! केवल इसलिए हस्ताक्षर न करें कि मुहल्ले के ‘बड़े बड़े आदमी’ विधायक, निगम पार्षद के साथ आपके घर चल आए हैं ! आपको सचमुच अगर ऐसा लगता है कि यह कानून देश की सामासिक संस्कृति के लिए ठीक है तो जरूर हस्ताक्षर करें और अगर आपका दिल इसकी गवाही नहीं देता तो किसी भी तरह के पेपर पर हस्ताक्षर न करें और घर की औरतों को भी ऐसा न करने के लिए आगाह कर दें.
याद रहे आपका यह हस्ताक्षर बदन जमाती ठंड और पुलिस के बल प्रदर्शन का मुकाबला कर रही बुज़ुर्ग औरतों के खिलाफ जाएगा, उनके हौसले को तोड़ भी सकता है ! वोट का सही इस्तेमाल न करने का परिणाम आप देख ही चुके हैं ! कम से इस बार तो अपने हस्ताक्षर का सही इस्तेमाल करें !
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