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मेरे बच्चे मुग़ालते में जी रहे हैं

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मेरे बच्चे
मुग़ालते में जी रहे हैं
उनको अब भी यक़ीन है
सबसे सुंदर कविता
अभी लिखी जानी बाक़ी है
जिसे पढ़ेंगे वो
दिनांत की डूबती रोशनी में
अपनी जवां आंखों के सहारे
जब ठिठका होगा वक़्त
रंग बदलते गिरगिट की तरह
आकाश और समुद्र के
संधिस्थल पर
यातना की संभावनाओं से परिपूर्ण
सजे हुए टियूलिप के खेतों का अभिमान
प्रेम का अमिट हस्ताक्षर है
मिट्टी के होने का सबूत
सबसे सुंदर कविता
शुरू में ही लिखी गई थी
जब
ज़मीं महज़ ज़मीं थी
आसमान महज़ आसमान था
हवा महज़ हवा थी
पानी महज़ पानी था
और आग महज़ आग थी
सबसे सहज कविता
तब लिखी गई थी
जब
शब्द नहीं थे
अर्थ नहीं थे
उदात्त प्राणों की थाती सी
बिछी हुई थी पृथ्वी
और
इच्छामृत्यु का वरदान पाकर
शरशैया पर लेटा था समय
एक प्रतिज्ञा की तरह.

  • सुब्रतो चटर्जी

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ROHIT SHARMA

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