1949 में आई फिल्म ‘पतंगा’ का गाना ‘मेरे पिया गए रंगून’ तो आप सभी को याद होगा. हां, इस गाने को शमशाद बेगम ने गाया था, लेकिन इस गाने से एक हस्ती ऐसी भी जुड़ीं, जो अपने दौर की बहुत खूबसूरत अदाकारा थीं. हम बात कर रहे हैं निगार सुल्ताना की. अगर आप अभी भी निगार सुल्ताना को नहीं पहचान पाए, तो बता दें कि निगार वही अदाकारा हैं, जिन्होंने ऐतिहासिक फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ में ‘बहार’ का किरदार निभाया था.
‘तेरे कदमों में सिर अपना झुका कर हम भी देखेंगे’ गाने में निगार ने जो एक्सप्रेशन दिए थे, वह आज भी नजरों के सामने घूमते हैं. एक असली कलाकार की पहचान यही होती है कि वह अपने हुनर से सालों साल तक जीवित रहता है. निगार सुल्ताना का नाम भी ऐसे ही कलाकारों में गिना जाता है. निगार सुल्ताना ने कम उम्र में ही अपने फिल्मी करियर की शुरुआत कर दी थी, लेकिन जब तक इनके पिता जीवित थे, तब तक इन्होंने कभी भी अदाकारी के बारे में सोचा तक नहीं था. हालांकि, स्कूल में छोटे-मोटे प्ले में जरूर भाग ले लिया करती थीं, लेकिन अभिनय को अपना प्रोफेशन बनाने का उन्होंने कभी सपना नहीं देखा था.
निगार सुल्ताना का जन्म 21 जून, 1932 में हुआ था. हैदराबाद से ताल्लुक रखने वालीं निगार सुल्ताना के पिता एक फौजी थे. पिता फौजी थे, इसलिए उनकी परवरिश भी ऐसे माहौल में हुई, जहां पर बालकों को सिर्फ निडरता सिखाई जाती थी. निगार सुल्ताना भी इसी माहौल में पली-बढ़ी थीं, जिसके कारण वह बहुत ही बेखौफ और बिंदास थीं. पर बिंदास और बेखौफ होने के साथ-साथ वह बहुत ही सलीकेदार भी थीं.
जाने माने लेखक राजकुमार केसवानी अपनी किताब ‘मुगल-ए-आजम’ में इस फिल्म और फिल्म से जुड़े कलाकारों के कई किस्से अपने प्रशंसकों के साथ साझा कर गए हैं. इस किताब में राजकुमार केसवानी ने ‘मुगल-ए-आजम’ की ‘बहार’ यानी निगार सुल्ताना का जिक्र भी काफी संजीदगी और विस्तार से किया है.
निगार सुल्ताना के बारे में राजकुमार केसवानी लिखते हैं- निगार उस समय बहुत छोटी थीं, जब अपने दौर के मशहूर कलाकार जगदीप सेठी उनके पिता से मिलने आया करते थे. दोनों काफी अच्छे दोस्त थे. एक दिन अचानक निगार के पिता चल बसे. अब घर में सबसे बड़ी निगार के कंधों पर सारी जिम्मेदारी आन पड़ी थी. जगदीश सेठी ने निगार को परिवार का जिम्मा उठाने की सलाह दी. निगार का एक भाई था, जो उसके लिए उसका सलाहकार और बहुत अच्छा दोस्ता था. भाई-बहन ने काफी सलाह-मशविरा करने के बाद फिल्मी दुनिया में कदम रखने का फैसला लिया. इसमें सबसे बड़ा योगदान जगदीश सेठी का रहा.
1946 में आई फिल्म ‘रंगभूमि’ से निगार का महज 14 वर्ष की उम्र में फिल्मी सफर शुरू हुआ. इसके बाद उनके पांव सिनेमा में जमते चले गए. 1948 में राज कपूर की फिल्म ‘आग’ में निगार, नरगिस और कामिनी कौशल के साथ तीसरी अभिनेत्री थीं. अब निगार का फिल्मी सफर बुलंदियों पर था. इसी दौरान उन्होंने मशहूर निर्देशक एस.एम. युसूफ से शादी कर ली. दोनों की एक बेटी भी हुई, जिसका नाम हीना कौसर है, जो आगे चलकर अपने दौर की नामी अभिनेत्री बनीं.
युसूफ और निगार की शादी को अभी कुछ चंद साल ही गुजरे थे कि मशहूर निर्देशक के. आसिफ ने निगार को अपनी फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ में बहार का किरदार दे दिया. इस किरदार को पाकर निगार काफी खुश थीं, लेकिन युसूफ इससे कतई भी खुश नजर नहीं आए. वह इसलिए क्योंकि वह के.आसिफ के रंगीन मिजाज को भली-भांति जानते थे. युसूफ, निगार से फिल्म न करने के लिए कहते, पर निगार उनकी एक न मानती. इसे लेकर दोनों मियां-बीवी में अक्सर तनातनी रहती थी. निगार जानती थीं कि बहार का किरदार उनके करियर को बुलंदियों पर पहुंचा सकता है. लिहाजा, उन्होंने इस किरदार को हर कीमत पर करने की ठान ली. निगार के इरादे इतने मजबूत थे कि युसूफ के साथ उनका तलाक भी उन्हें इस किरदार को करने न रोक सका.
अब फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ की शूटिंग शुरू हुई. निगार का काफी समय सेट पर गुजरा करता था. इस दौरान वह के. आसिफ के काम के प्रति जुनून पर मर मिटने लगी थीं. वह आसिफ के ईर्द-गिर्द मंडराती रहतीं. वहीं, आसिफ भी निगार की खूबसूरती और अदा पर फिदा हो चुके थे. दोनों तरफ मोहब्बत की आग ऐसी लगी थी कि फिल्म की शूटिंग खत्म भी नहीं हुई थी और दोनों ने शादी कर ली. हालांकि, निगार से शादी करते वक्त वह पहले से शादीशुदा थे. उनकी पत्नी का नाम सितारा था वो भी मशहूर डांसर थी जिन्हे हम सितारा देवी के नाम से जानते हैं, जिन्होंने फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ बनाने के पति के सपने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था.
निगार से शादी करने के लिए न तो उन्होंने सितारा से पूछा और न ही तलाक लिया था. शुरू से ही आसिफ अपने तौर तरीकों में यकीन रखते थे. पर वह नहीं जानते थे कि उनकी ये हरकतें एक दिन उन्हीं के लिए मुसीबत बन जाएंगी. जिस तरह बिना सितारा को इत्तिला दिए उन्होंने निगार से शादी कर ली थी. उसी तरह उन्होंने दिलीप कुमार की बहन अख्तर से भी निकाह कर लिया. हालांकि निगार, सितारा की तरह नहीं थीं, जो ऐसा होता देख चुप बैठ जाएं. निगार शुरू से ही बेखौफ किस्म की शख्सियत रहीं. अख्तर से शादी का मामला जब तूल पकड़ने लगा तो आसिफ ने निगार को तलाक दे दिया.
हालांकि, निगार अब भी चुप नहीं बैठीं. उन्होंने अदालत में इस बिना पर आसिफ के खिलाफ केस दर्ज करवाया कि आसिफ गुनहगार है. निगार ने दलील दी थी- सितारा के रहते मुझसे शादी कर ली और मेरे रहते अख्तर से. दोनों बार उन्होंने किसी से रजामंदी हासिल नहीं की, जो गैर-कानूनी और शरिया के खिलाफ है. काफी समय तक यह मामाल अदालत में चलता रहा.
इतना ही नहीं, जब आसिफ का निधन हुआ, तब निगार को संपत्ति में हिस्सा लेने के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ा. उन्होंने अपने और अपने बच्चों के हक की लड़ाई के लिए कई अदालती मुकदमे दायर किए. कानूनी पचड़ों के बीच वह 70 के दशक तक फिल्मों में काम भी करती रहीं और फिर बाद में उन्होंने एक फर्नीचर की दुकान खोल ली थी. आसिफ और निगार को दो बच्चे थे और पहले पति से निगार को बेटी हीना हुई थी, जो उन्हीं के साथ रहती थी. तीनों बच्चों की परवरिश के लिए निगार को काफी संघर्ष करना पड़ा था.
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