हटो हटो पीछे निज़ाम तुम
किसान बढ़ रहे आगे
नहीं लड़ाई रुकेगी अब
ये लोग जा रहे जागे
तेरी तानाशाही को देंगे धक्के पर धक्के
तेरी मनमानी के बुल्डोजर के थमेंगे चक्के
खींचो खींचो पीछे क़दम तुम
निज थूके को चाटो
सैलाब नहीं फटेगा बीच से
जितना भी तुम बांटो
तीनों कृषि क़ानून को वापस लिये कि जो हैं काले
बाक़ी को भी वापस लो जनरोष के पड़े हो पाले
सीएए एनआरसी सब को
क़ब्रों में दफ़नाओ
भागो ऐ भगवा निज़ाम
तुम अपनी जान बचाओ
किसानों के हत्यारों, ख़ून से रंगे हैं हाथ तुम्हारे
लिये जायंगे एक एक कर तुम से बदले सारे
मुआवजा तो दोगे ही तुम
रो कर दो या हंस कर
हिटलर से भी हालत तेरी
जनता करेगी बदतर
न्यूनतम समर्थन मूल्य की तत्क्षण करो जी तुम गारंटी
छोड़ो अब बकबास झूठ ख़तरे की बज रही घंटी
चालबाज़ियों मक्कारी
हर झूठ का दामन छोड़ो
बढ़े हुए बिगड़े क़दमों को
तत्क्षण पीछे मोड़ो
निजीकरण जिन सेक्टरों के किये उन्हें करो सरकारी
दिख न रही क्या तुम्हें भुखमरी, मौतें और बेकारी ?
अडानियों अंबानियों के संग
भारत से तुम भागो
गद्दी कांटों की है बन गई
जान की ख़ैरियत मांगो.
- वासुकि प्रसाद ‘उन्मत्त’
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