मदर्स डे

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मदर्स डे
मदर्स डे
आभा शुक्ला

राखी पर सोशल मीडिया पर हम देखते हैं कि बहन कितनी प्यारी और आदरणीय होती है….

मातृदिवस पर सोशल मीडिया पर हम दिखाते हैं कि मां कितनी प्यारी और आदरणीय है….

करवाचौथ पर हम सोशल मीडिया पर दिखाते हैं कि पत्नी कितनी प्यारी और आदरणीय है….

और बाकी दिन सोशल मीडिया पर हम तेरी मां का, तेरी बहन का करते हैं…. सोनिया गांधी और स्मृति ईरानी का चरित्र हनन करते हैं…. औरतों पर जोक्स बनाते हैं…. औरतों को मुसीबत बताते हैं….

है कि नहीं……

हम भारतीय जिस तरह से और जितना दोहरा जीवन जीते हैं, वैसा और उतना कोई नहीं जी सकता…हम भारतीय ढोंग, आडंबर और धूर्तता के चैंपियन हैं… अब आप मदर्स डे को ही ले लीजिए….

मदर्स डे वो भी मना रहे हैं जो पता नहीं कब से अपनी मां के साथ आधे घंटे बैठे नहीं होंगे…. जिनके लिए हर रात चलती 40 साल के आस पास की छरहरी काया वाली औरत मांस की बोटी से ज्यादा कुछ नहीं है…. जिनके लिए घर से देर सवेर निकलने वाली हर औरत बाजारू है…. जिनके लिए हर ऐसा घर फाइव स्टार कोठा है जिस घर में कोई मर्द न हो, सिर्फ औरत हो…..

पता नहीं हम किस मुंह से मातृ दिवस मनाते हैं….!

प्रेम और सम्मान का कोई विशेष दिन नहीं होता…. बस मां की गाली देना बंद कर दीजिए, जायदाद में बहन बेटी को हिस्सा देना शुरू कर दीजिए, पत्नी को बराबरी का दर्जा दे दीजिए….लड़कियों को माल समझना बंद कर दीजिए…. बस हो गया मातृ दिवस……

इतना कर लिया तो संसार की समस्त मातृशक्ति पर बड़ा एहसान होगा आपका…

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