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मोरबी : हादसा या चुनाव जीतने के लिए दूसरा पुलवामा

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मोरबी : हादसा या चुनाव जीतने के लिए दूसरा पुलवामा
मोरबी : हादसा या चुनाव जीतने के लिए दूसरा पुलवामा

‘सत्ता के लिए कुछ भी करेगा’ – के सिद्धांत पर चलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का इतिहास आम निरीह लोगों के खून से सना हुआ है. ताजा मामला गुजरात के मोरबी इलाके का है, जहां झुलते पुल के टूटने से तकरीबन 137 लोग ‘मोदी के गाल’ में समा गये. इससे भी हैरतअंगेज यह है कि गुजरात सरकार ने जहां दोषियों को मुक्त कर दिया तो वहीं मोदी ने 137 लोग के इस नृशंस हत्या को जश्न में बदल दिया.

इससे भी नीचतापूर्ण हरकत मीडिया की है जिसने मोरबी हादसे को मोदी के चुनावी प्रचार अभियान से जोड़ते हुए खबर चला रही है कि – मोरबी, माच्छू नदी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रिश्ता बहुत पुराना है और मोरबी ही वह जगह है जहां से मोदी ने सार्वजनिक जीवन में अपनी पहचान बनानी शुरू की. वहीं एक और न्यूज चैनल ने तो नीचता की इंतहा करते हुए मरने वाले को ही दोषी ठहरा दिया.

हम सभी जानते हैं मोदी का दुनिया के सभी जगह से कोई न कोई सम्बन्ध जरूर रहा है. कभी उसे गंगा बुलाती है तो कभी महाकाल. इसके साथ ही वह सालों भर चुनाव प्रचार में लगा रहता है. इसके लिए देश का विकास का मतलब है अदानी का विकास, जिसके लिए इसने देश के सार्वजनिक सम्पत्तियों को बेचकर उसे दे दिया है, वहीं देश की जनता ताली-थाली बजाने और मौत का नंगा नाच देखने में मशगूल है.

देश में जब-जब चुनाव आता है और भाजपा को अपने हारने का अहसास होता है, वह लोगों के खून की प्यासी हो जाती है. लोगों के लाश पर राजनीति करने वाले इस गिद्धों का अस्तित्व ही लोगों की लाशों पर है. 2019 के लोक सभा में आसन्न पराजय को देखकर इसने पुलवामा में 40 सैनिकों की बलि ले ली और पूरी ढिठाई के साथ बकायदा पुलवामा में मरे 40 सैनिकों की लाशों पर वोट मांगा और अब मोरबी के मृतकों के नाम पर वोट मांगेगा.

अब जब गुजरात के विधानसभा चुनाव में भाजपा के हारने की पूरी संभावना है, तब इसने साजिश रच कर 137 गुजरातियों की बलि ले ली. जिस तरह आज तक पुलवामा के दोषियों का पता नहीं चला, ठीक उसी तरह मोरबी के भी दोषियों का पता नहीं चलने वाला क्योंकि दोनों ही जगह हुई नरसंहार में केन्द्र के मोदी सरकार की खुल्लमखुल्ला मिलीभगत है.

मोरबी रंगारंग इवेंट और मोदी

याद होगा, दिल्ली में आम आदमी पार्टी की आयोजित एक सभा स्थल के समीप राजस्थान के एक किसान ने फांसी लगा ली. उस मृत किसान और आम आदमी पार्टी के बीच कोई संबंध न होने के बावजूद दलाल मीडिया ने आम आदमी पार्टी को अपमानित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. ऐसा शमां बांधा गया मानो उसकी मौत का जिम्मेदार आम आदमी पार्टी और उसके संयोजक अरविन्द केजरीवाल हो.

परन्तु अब जब गुजरात के मोरबी में मरे 200 लोगों की मौत का जिम्मेदार सीधे तौर पर केन्द्र की मोदी सरकार और 27 वर्षों से गुजरात की सत्ता पर काबिज भाजपा की सरकार है, तब मीडिया खामोश है या मृतकों को ही दोषी बता रहा है, मोदी की तारीफों का पुल बांध रही है और मोदी के स्वागत में इवेंट आयोजित कर रही है.

पुलवामा में 40 सैनिकों की मौत पर जश्न मनाता और फिल्म की शूटिंग में व्यस्त मोदी मोरबी में 137 लोगों की मौत पर जश्न मनाने गुजरात पहुंच गया और आननफानन में रातों-रात मोरबी के अस्पताल का रंगरोगन कर मोदी के चुनावी इवेंट में जुट गया.

मोरबी के 137 लोगों के मौत का जिम्मेदार है मोदी

गुजरात के मोरबी में गिरने वाले पुल और उसमें मरने वाले 137 लोगों की मौत का सीधा जिम्मेदार देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं क्योंकि नरेन्द्र मोदी के संबंध इस पुल के जीर्णोद्धार करने वाली ओरेवा ग्रुप के साथ कितने मधुर संबंध हैं, इसका गवाह उपरोक्त फोटो है. पत्रकार गिरीश मालवीय लिखते हैं –

ओरेवा ग्रुप के साथ कितने मधुर सम्बन्ध मोदी के साथ रहे हैं इसका अंदाजा आप इसी तस्वीर से लगा सकते हैं. यह एक पुरानी तस्वीर है, इसमें आप गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ओरेवा के संस्थापक ओधवजी पटेल (अब स्व.) को देख सकते हैं. यही कारण है कि फिलहाल मोरबी केबल ब्रिज हादसे के संबंध में दर्ज की गई एफआईआर में ओधव जी के पुत्र और ओरवा के सर्वेसर्वा जयसुख पटेल या ओरेवा ग्रुप का नाम कहीं दर्ज नहीं किया गया है.

गुजरात में रविवार की रात देश की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक देखी गई, जब मोरबी में माचू नदी पर 140 साल पुराना केबल सस्पेंशन ब्रिज गिरने से 137 से अधिक लोगों की जान चली गई, जिसके जीर्णोद्धार का ठेका एक घड़ी बनाने और इलेक्ट्रिक सामान बनाने वाली कंपनी को दिया गया था. दरअसल क्रोनी केपिटिलिज्म इसे ही कहते हैं. हर ठेका अपने वाले को देकर उसे उपकृत करो, एक घड़ी बनाने वाली कंपनी का एक ब्रिज बनाने से क्या वास्ता हो सकता है ? लेकिन नहीं ! वो कहते हैं न कि गाड़ी तेरा भाई ही चलाएगा.

मोरबी के जिला कलेक्ट्रेट की वेबसाइट पर इस ब्रिज के विवरण के अनुसार, इसे ‘इंजीनियरिंग चमत्कार’ कहा जाता था. उसकी प्रकृति को देखते हुए देश की किसी जानी मानी इंजीनियरिंग फर्म को रिनोवेशन का ठेका देना था. लेकिन नहीं, ठेका दिया गया ओरेवा समूह की अजंता मैनुफैक्चरिंग को जिसे इस काम का पहले कोई अनुभव नहीं था. अजंता वालों ने पहले कॉन्ट्रैक्ट लिया और फिर मरम्मत के काम का जिम्मा देवप्रकाश सॉल्यूशन को सौंप दिया.

अगर आप या आपके मित्र किसी भी हिंदी भाषी राज्य में सरकारी ठेके लेते रहे हैं तो आप अच्छी तरह से जानते होंगे कि पिछले कुछ सालों में गुजराती उद्योगपतियों की कंपनियों को अपेक्षाकृत आसानी से सरकारी ठेके दिए जाते हैं जबकि लोकल कंपनियों को वही टेंडर पास कराने में दिक्कत आती हैं. हालांकि सबलेट कर के ठेके में दिया गया काम लोकल कंपनी ही करती हैं, गुजराती उद्योगपतियों की कंपनियां सिर्फ पेमेंट उठाती है.

मोरबी ब्रिज के जीर्णोद्धार का कार्य एक सरकारी निविदा के तहत किया गया था, ऐसे में ओरेवा ग्रुप को कराए गए कार्य की विस्तृत जानकारी नगरपालिका को उपलब्ध करानी चाहिए थी. उन्हें पुल को दोबारा शुरू करने से पहले क्वालिटी जांच भी करवानी चाहिए थी, पर ऐसा नहीं किया गया. लेकिन उसके बाद भी बकायदा एक प्रेस कांफ्रेंस कर इस ब्रिज को खोला गया, जहां जयसुख पटेल ने घोषणा की थी कि ‘लंबे समय तक पुल को कुछ नहीं होगा.’ इसके बावजूद 140 लोगों की मौत के इस मामले में जो प्राथमिकी दर्ज की गई है उसमें ओरेवा या जयसुख पटेल का कोई जिक्र नहीं है.

इस ब्रिज के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप के पास ही थी. इस ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 यानी 15 साल के लिए मोरबी नगर पालिका के साथ एक समझौता किया है. समझौते के मुताबिक, पुल के प्रबंधन के लिए आय-व्यय ओरेवा की ओर से वहन किया जाएगा और इसमें सरकारी, गैर-सरकारी, नगर पालिका, निगम या किसी अन्य एजेंसी का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा. ग्रुप के पास ब्रिज की सुरक्षा, सफाई, रखरखाव, टोल वसूलने, स्टाफ का प्रबंधन है. सफाई और यहां तक कि कर्मचारियों की तैनाती भी. समझौते की अवधि के दैरान ओरेवा को व्यावसायिक गतिविधियां चलाने और ब्रांडिंग करने की अनुमति दी गई थी. यानी हर तरह से ओरेवा ग्रुप की जिम्मेदारी नजर आ रही है लेकिन उन्हें बचाया जा रहा है. ऊपर आपने मोदी जी की तस्वीर देखी ही होगी.

अब ये भी जानिए कि पिछले साल 7 अक्टूबर 2021 को ही जयसुख पटेल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी.
जयसुख पटेल ने शाह जी के सामने 200 करोड़ रुपये की परियोजना का प्रस्ताव दिया था, जिसमें कच्छ क्षेत्र के 4,900 वर्ग किलोमीटर के छोटे रण को रण सरोवर नामक एक विशाल मीठे पानी की झील में बदलने का प्रस्ताव दिया था. बताया गया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसका समर्थन किया था. दरअसल जयसुख पटेल के लिए यही सच है कि जब सईयां ही कोतवाल है तो डर किस बात का.

एक्ट ऑफ गॉड नहीं, यह एक्ट ऑफ फ्रॉड है

बहुत दिन नहीं बीता है जब पं. बंगाल चुनाव के ठीक पहले पं. बंगाल के एक पुल गिरने की घटना पर इसी नरेन्द्र मोदी ने घृणास्पद बयान दिया था, जो आज गुजरात के इस मोरबी पुल की घटना पर सटीक बैठता है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उस वक्त कहा था –

‘पुल टुटा, यह एक्ट ऑफ गॉड नहीं, यह एक्ट ऑफ फ्रॉड है फ्रॉड. यह एक्ट ऑफ फ्रॉड का परिणाम है. यह एक्ट ऑफ गॉड उस मात्रा में जरूर है कि यह पुल तब गिरा जब चुनाव का माहौल है ताकि लोगों को यह पता चले कि आपने कैसी सरकार चलाई है. पुल गिराकर भगवान ने लोगों को संदेश दिया है कि आज यह पुल टुटा कल यह पूरा बंगाल खत्म कर देगी. इसको भगाओ, यह भगवान ने संदेश भेजा है.’

‘ये एक्ट ऑफ गॉड नहीं एक्ट ऑफ फ्रॉड है’ – उपरोक्त वाक्य प्रधान मंत्री मोदी ने 2016 में पश्चिम बंगाल में हुई एक चुनावी रैली में बोला था. दरअसल 2016 में पश्चिम बंगाल में चुनाव होने वाले थे उसी दौरान पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक निर्माणाधीन फ्लाई ओवर गिर गया था. पुल के ऊपर कोई नहीं था. एक दिन पहले ही पुल की गर्डर डाली गई थी वह ढह गई और पुल के नीचे लोग दब गए. इस हादसे में 42 लोगों की मौत हुई थी.

पत्रकार गिरीश मालवीय आगे लिखते हैं – मोदी ने एक चुनावी रैली में ‘बेनिफिट’ लेने के इरादे से विशुद्ध राजनीति करते हुए कहा कि था यह दैविक कृत्य इस मायने में है कि यह हादसा चुनाव के ऐन वक्त पर हुआ है, ताकि लोगों को यह पता चल सके कि उन पर किस तरह की सरकार शासन कर रही है. ईश्वर ने यह संदेश भेजा है कि आज यह पुल गिरा है, कल वे पूरे बंगाल को खत्म कर देंगी. आपके लिए ईश्वर का संदेश बंगाल को बचाना है. आज गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने मोरबी पुल हादसे पर कहा है इस मामले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए ! बिलकुल राजनीति नहीं होगी जी ! इस देश में राजनीति करना केवल एक ही पार्टी को तो आता है.

गुजरात के मोरबी में हुए एक पुल हादसे में अब तक 137 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है. मोरबी नदी पर बने इस पुल को झूलता पुल भी कहते थे. इसे महज 5 दिन पहले ही इसे जनता के लिए रिनोवेशन के बाद चालू किया गया था. इस पैदल पुल पर टिकट लेकर लोगों को जाने की अनुमति दी गई थी, जहां पुल टुट कर नदी में गिर जाने से 137 लोग मर गये. अतएव, प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में – मोरबी पुल गिरा कर भगवान ने साफ संदेश दिया है कि गुजरात से भाजपा और उसके सरगना नरेन्द्र मोदी गिरोह का सफाया कर दिया जाये, इसको भगाओ, वरना यह पूरा देश खत्म कर देगा.

सिर्फ मोरबी ही नहीं और भी कारनामे हैं मोदी के

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