पटियाला हाऊस कोर्ट जिस तत्परता से पुलिस के इस फर्जी चार्जशीट पर दिल्ली सरकार को तलब कर रही है, उससे तीगुने ताकत से पटियाला हाऊस कोर्ट के परिसर में कैमरों के सामने जेएनयू के छात्रों, शिक्षकों, पुलिसकर्मियों और पत्रकारों पर भाजपाई गुंडों के हमले और जान से मारने की कोशिश के मामलों का संज्ञान लेना चाहिए.
दिल्ली की पटियाला हाऊस कोर्ट जेएनयू के छात्रों पर मोदी सरकार की दलाल बनी दिल्ली पुलिस के फर्जी चार्जशीट पर जिस प्रकार तत्परता दिखा रही है, और दिल्ली सरकार पर फर्जी चार्जशीट का अनुमोदन करने के लिए दवाब बना रही है, पर वहीं, पटियाला हाऊस कोर्ट के परिसर में जेएनयू के छात्रों, शिक्षकोकं, पुलिसकर्मियों, पत्रकारों की बजाप्ता कैमरा के सामने पिटाई के मामले पर चुप्पी साध गई. न तो इस सवाल पर पटियाला हाऊस कोर्ट ने पुलिस को फटकार ही लगाई और न ही मामलें की गंभीरता को ही अपना आईना बनाया. पटियाला हाऊस कोर्ट अपने ही बनाये आईने में नंगी खड़ी हो गई, जो पटियाला हाऊस कोर्ट के न्यायधीशों पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है.
मोदी सरकार की दलाली व गुंडागर्दी में मशगूल दिल्ली पुलिस की काली कारतूत देश की जनमानस में छाई हुई है, जिसे कोई भी कोर्ट या सत्ता धो नहीं सकती. आये दिन अपनी काली कारतूतों की सुर्खियां बटोरने वाली दिल्ली पुलिस आम आदमी पार्टी के नेत्त्व में बनी दिल्ली सरकार के विधायकों, मंत्रियों, मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री पर सैकड़ों की तादाद में न केवल फर्जी मुकदमें ही करती है, बल्कि उनकी गिरफ्तारी को इस प्रकार अंजाम देने की घृणित कोशिश करते हैं, मानों वह जनप्रतिनिधि नहीं, आतंकवादी हो. दिल्ली में कार्यरत् दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली किसी से छिपी हुई नहीं है कि किस प्रकार पटियाला हाऊस कोर्ट में जेएनयू के छात्रों, शिक्षकों, पत्रकारों की पिटाई के मामले को एक दुर्घटना का शक्ल दे दिया और गिरने से लगी चोट बता दिया. यह दिल्ली पुलिस की नीचता और इस पर पटियाला हाऊस कोर्ट की चुप्पी बहुंत कुछ कहती है.
दिल्ली पुलिस केन्द्र की सरकार के अधीन है और केन्द्र सरकार केवल मोदी का पर्याय बनकर रह गया है, जिसके खुद के हाथ हत्या और बलात्कार में डूबे हुए हैं. ऐसे में दिल्ली पुलिस आज हत्यारों और बलात्कारियों का संरक्षक बनकर रह गयी है. सीधे शब्दों में कहें तो दिल्ली पुलिस हत्यारों और बलात्कारियों का एक लठैत बन गई है, जो हर उस शख्स पर टुट पड़ती है, जो जनता के शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, बिजली आदि जैसे बुनियादी सवालों को हल करना चाहती है. सीधे शब्दों में कहें तो दिल्ली पुलिस की न तो कोई नैतिकता ही बची है और न हीं आम जनता के प्रति कोई लगाव ही रह गया है.
कहा जाता है कि दिल्ली पुलिस में ट्रांसफर-पोस्टिंग से लेकर अन्य गतिविधियों में लाखों-करोड़ों का खेल होता है. जो जितना ज्यादा भ्रष्ट और चापलूस होता है, वह उतना ही ऊंच पद पाता है. अब जब देश की सत्ता एक अपराधियों और हत्यारों के हाथ में आ गई है तो निःसंदेह पुलिस के महकमों में ऊंचे पदों पर सबसे ज्यादा भ्रष्ट और अपराधी अधिकारी ही अपना स्थान सुरक्षित रख रहे हैं, जिनका नैतिकता और ईमानदारी से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं होता.
जब से दिल्ली की सत्ता आम आदमी पार्टी के हाथों में आई है, हत्यारे और अपराधियों का सरगना मोदी सरकार आम आदमी पार्टी को मिटाने के लिए दिल्ली में ऐड़ी-चोटी का जोर लगा लिया है केवल इसलिए कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी को समझते हुए दिल्ली की जनता की – शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी जैसी बुनियादी समस्याओं को हल करने के लिए दिन-रात काम में लगी हुई है. चूंकि केन्द्र की अपराधकर्मियों की मोदी सरकार निर्लज्जतापूर्वक देश की उद्योगपतियों के हित में काम करने का न केवल ऐलान ही करती है, वरन् आम जनता की जान के कीमत पर भी इन औद्योगिक घरानों की सेवा कर रही है, जिस कारण देश में चारों तरफ बेरोजगारी फैल गई, छोटे-मंझोले उद्योग-धंधे बंद हो गये, व्यवसाय बर्बाद हो गया है और देश की आम जनता त्राहिमाम् कर रही है.
मोदी सरकार के प्रति घृणा और नफरत फैल गई है. पिछले 3 राज्यों के चुनाव में भाजपा की भारी धांघली के बाद भी भाजपा सत्ता से च्यूत हो गई. इससे हताश केन्द्र की मोदी सरकार देश की जनता का ध्यान दूसरी ओर भटकाने के लिए जेएनयू का फर्जी देशद्रोही-देशभक्ति का खेल खेल रही है. और इस घिनौनी साजिश में साथ दे रही है पटियाला हाऊस कोर्ट के न्यायाधीश, जो या तो बिक चुके हैं अथवा जज लोया के आत्मा का दर्शन कर लिये हैं. देश की आम जनता के सामने यह सारा कुछ साफ झलक रहा है.
पटियाला हाऊस कोर्ट को केन्द्र की हत्यारे और अपराधियों की सरकार के इस देशद्रोही-देशभक्ति के इस फर्जी खेल का मोहरा बनने से बचना होगा. वह जिस तत्परता से पुलिस के इस फर्जी चार्जशीट पर दिल्ली सरकार को तलब कर रही है, उससे तीगुने ताकत से पटियाला हाऊस कोर्ट के परिसर में कैमरों के सामने जेएनयू के छात्रों, शिक्षकों, पुलिसकर्मियों और पत्रकारों पर भाजपाई गुंडों के हमले और जान से मारने की कोशिश के मामलों का संज्ञान लेना चाहिए. तभी पटियाला हाऊस कोर्ट की प्रतिष्ठा देश के सामने बची रह सकती है. वरना पटियाला हाऊस कोर्ट समेत कानून-व्यवस्था केवल चोंचले की चीज बनकर रह जायेगी जो देश भर में केवल हंसी का पात्र बनेगी और कुछ नहीं क्योंकि भाजपा के सारे मोहरे पिट चुके हैं, अब केवल कोर्ट ही बचा है.
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S. Chatterjee
February 9, 2019 at 8:40 am
ये समझना होगा कि संघी विचारधारा के लोग हमेशा से ही अनेक संस्थाओं में थे, मोदी आने के बाद इनको पंख लग गए