दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बड़ा चौंकाने वाला खुलासा किया है कि मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से ठीक पहले शीतकालीन सत्र के दौरान दिसम्बर 2018 में Electricity Act 2003 में एक खतरनाक संशोधन ला रही है. इस संशोधन के जरिये सभी अधिकार राज्यों से छीनकर केंद्र सरकार अपने पास रख ले रही है.
इस नए बिल के जरिये मोदी सरकार सभी तरह की क्रॉस सब्सिडी/ स्लैब रेट खत्म करने जा रही है. सरल शब्दों में समझाया जाए तो इस वक़्त सभी राज्यों में बिजली के घरेलू उपभोक्ताओं को इंडस्ट्रियल उपभोक्ताओं की तुलना में सस्ती बिजली है, किसानों को सस्ती बिजली दी जाती है. हर राज्य में अलग-अलग स्लैब होने हैं 0-200 यूनिट पर एक रेट, 200-400 यूनिट बिजली का दूसरा रेट, 400 से अधिक यूनिट इस्तेमाल पर अलग रेट होता है, जिससे कम बिजली उपयोग करने वाले को कम बिल भरना पड़ता है. लेकिन इन सभी स्लैब को अब मोदी सरकार खत्म करने जा रही है जिसका ना सिर्फ देश की आम जनता गरीब जनता पर बल्कि राज्य सरकारों पर भी बहुत बुरा असर पड़ेगा.
बिजली के क्षेत्र में इतिहास में पहली बार मोदी सरकार सट्टा बाजारी यानी फ्यूचर ट्रेडिंग शुरू करने जा रही है. अब यहां भी जुआ चलेगा जिसका फायदा सिर्फ और सिर्फ मोदी के दोस्त और इसका बुरा असर पूरे देश की जनता को भुगतना पड़ेगा. जब कांग्रेस सरकार ने कमोडिटी मार्केट में सट्टा बाजारी शुरू की थी तो सबने देखा कि कितनी सारी चीजों के दाम अनाप-शनाप बढ़ गए थे. अब बिजली के क्षेत्र में भी यही होगा, देश में बिजली के बिल में अनाप-शनाप बढ़ोतरी हो जाएगी.
उदाहरण के लिए, दिल्ली में इस समय 200 यूनिट से कम बिजली इस्तेमाल करने वालों को 1 रुपये प्रति यूनिट की रेट पर और 200-400 यूनिट इस्तेमाल करने वालों को 2.5 रुपये प्रति यूनिट पर बिजली मिलती है, जो मोदी सरकार का नया कानून लगने पर बढ़कर 7.40 रुपये प्रति यूनिट हो जाएगी. और अभी तो इसमें सट्टा बाजारी के कारण बढ़ने वाले दाम नहीं जोड़े हैं. अगर वो जुड़े तो बिजली के दाम 10 रुपये प्रति यूनिट तक चली जायेगी. यानी कि इसकी सबसे जबरदस्त मार देश के गरीब और मध्यमवर्गीय जनता पर पड़ेगी और बिजली जैसी मूलभूत आवश्यकता की चीज उसके बजट से बाहर की बात हो जाएगी.
इस समय दिल्ली में सबसे सस्ती बिजली केजरीवाल सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है, जबकि देश के हर भाजपा शासित राज्य में बिजली की कीमतें आसमान छू रही है. मोदी सरकार के इस नए बिल के जरिये राज्य सरकारों के अधिकार छीनकर ना सिर्फ केजरीवाल सरकार द्वारा जनता को बिजली का हिसाब खत्म कर देगी बल्कि ये बिल सिर्फ चंद बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए लाया गया है.
केजरीवाल ने कहा कि “मैं देश के हर मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखूंगा और हर नॉन भाजपा मुख्यमंत्री से मिलकर उनको यह बताऊंगा की किस तरह से देश के पावर सेक्टर को खत्म किया जा रहा है. मैं सभी से अनुरोध करूंगा कि मिलकर इसका विरोध करें. हम इसको किसी हालत में राज्यसभा में पास नहीं होने देंगे. जरूरत पड़ी तो इस बिल के खिलाफ सड़कों पर भी उतरेंगे.”
कुछ चंद बिजली कंपनियों को फ़ायदा पहुँचाने के लिए मोदी जी देश के बिजली क़ानून में ख़तरनाक संशोधन कर रहे हैं। ये संशोधन पास हो गए तो दिल्ली में सबके लिए बिजली का एक ही रेट हो जाएगा- 7.50 रु प्रति यूनिट
इसे आप ही रोक सकते हैं।वोट डालते वक़्त याद रखना। ये विडीओ ज़रूर देखें और समझें https://t.co/1pVmC3bm09
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) October 7, 2018
अब सवाल खड़ा होता है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ऐसा आत्मघाती बिल क्यों लेकर आ रही है ? क्या मोदी सरकार को भी यकीन हो गया है कि अब 2019 में इनकी वापसी सम्भव नहीं है तो जाते-जाते अपने बिजली कम्पनी के मालिक दोस्तों का एहसान चुकाते जाएं ?
- तलहा खाना नदवी
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