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मोदी के सवाल पर बहुजन युवा भ्रमित क्यों ?

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मोदी के सवाल पर बहुजन युवा भ्रमित क्यों ?

बहुजन समाज के एक ग्रुप में चर्चा करते हुए किसी ने पूछा कि ‘2019 के संसदीय चुनाव में कौन जीतना चाहिए ?’ एक युवा ने तुरंत जवाब दिया, ‘मोदी..!!’

मैं सोचने लगा की आख़िर क्यों हमारे युवा मोदी/भाजपा का समर्थन करने लगते हैं ? उसी बात को समझने के लिए यह लेख लिखा हूं. लेख बड़ा है क्योंकि इससे छोटे में बता पाना संभव नहीं है, वैसे भी…यह लेख सबके लिए है भी नहीं..!!

जिसने जवाब दिया था उसका नाम संजय है और वह OBC समाज से है. मुंबई में रहता है, लगभग 26 साल का मध्यमवर्गीय परिवार का होनहार नौजवान लड़का है.




संजय अगर कहता है कि ‘मोदी आना चाहिए, वही फिर से प्रधान मंत्री बनना चाहिए’ तो यह उसकी ग़लती नहीं है. संजय जैसे युवा लोगों को क्या मालूम है कि मोदी OBC और SC के लिए कितना नुक़सानदायक है ?

संजय को नहीं पता है कि पिछले साल हज़ारों OBC बच्चे डॉक्टर बनने से रह गए क्योंकि उनकी सीट सामान्य वालों को दे दी गई थी. संजय को नहीं पता कि वह अपने बच्चों को चाहे जितना पढ़ा-लिखा ले, पर 13 पॉइन्ट रोस्टर की वज़ह से उन्हें कभी प्रोफ़ेसर नहीं बना पाएगा. संजय को नहीं पता कि IIT की फ़ीस 90 हज़ार से बढ़ा कर 2 लाख सालाना कर दी गयी है और जल्द ही 5 लाख सालाना करने वाले हैं. मतलब 20 लाख के इन्तजाम करने पड़ेंगे, इंजीनियरिंग की पूरी पढ़ाई के लिए.

अभी OBC/SC होने की वजह से उन्हें फ़ीस में बहुत छूट मिलती है इसलिए संजय अपने बच्चों को फिर भी IIT करा सकता है, पर अगर आरक्षण ख़त्म हो गया तो क्या संजय 20 लाख रुपए अपने एक बच्चे के लिए ख़र्च कर सकता है ? उसका बच्चा कितना भी टैलेंटेड हो तो भी पैसे की कमी की वजह से पढ़ नहीं पाएगा. यह सिर्फ़ कुछ उदाहरण हैं…वस्तुस्थिति के अहसास के लिए.




आप कहेंगे आरक्षण की ज़रूरत क्यों है ? ज़रूरत है क्योंकि संजय थोड़ा ही कमाता है, उसके पिताजी उससे भी कम कमाते हैं, दादाजी और कम कमाते थे और उसके परदादा जी उनसे भी कम कमाते थे. लेकिन सामान्य श्रेणी वाले ख़ानदानी समृद्ध होते हैं. उनके दादा, परदादा लोगों के पास पहले से ही पैसे होते हैं. संजय की उम्र का उनका बच्चा ज़्यादा पढ़ा लिखा होगा, अच्छी जगह काम करेगा तो ज़ाहिर है वह 20 लाख आराम से ख़र्च कर लेगा क्योंकि पीढ़ियों से वह लोग शिक्षा पर खर्च कर रहे हैं, पर संजय और उसके जैसे बहुत से लोग नहीं कर सकते हैं. इसीलिए आरक्षण की ज़रूरत होती है ताकि सभी लोगों को मौक़ा मिले, पर संजय को यह सब बातें पता नहीं हैं … इसलिए उसे नहीं समझ आता कि यह सब क्या है ?

संजय को नहीं पता कि अंग्रेज़ों के आने के पहले और आज़ादी के बाद से इन्हीं सामान्य श्रेणी वालों का राज है इस देश में. वही लोग देश के संसाधनों पर क़ब्ज़ा कर रखे हैं. एक रिपोर्ट भी आयी थी जिसमें बताया गया कि इस देश की सारी दौलत का 75% हिस्सा सिर्फ़ 1% लोगों के पास है और यह लोग वही सामान्य श्रेणी वाले हैं. आज़ादी के बाद से ऐसी व्यवस्था है कि OBC और SC वालों को उनका हक़ ना मिले और सामान्य श्रेणी वाले ऐसे ही राज करते रहें. पर संजय को यह नहीं समझ आता क्योंकि वह शहर में रहता है और उसे किसी ने कभी कुछ बताया ही नहीं है. संजय को लगता है कि उसके पास संसाधन की कमी है तो यह भगवान की मर्ज़ी है, उसे नहीं पता चलता कि यह सब … देश जो लोग चलाते हैं उनकी वजह से है. वे नहीं चाहते हैं कि SC/OBC वाले आगे बढ़ें.

इसलिए संजय उन लोगों का समर्थन करता है जो लोग उसकी जड़ों को ही काट रहे हैं क्योंकि उसे पता ही नहीं है कि कौन उसके और उसकी आने वाली पीढ़ियों को नुक़सान पहुंचा रहे हैं ?




संजय मोदी को समर्थन करता है, इसके कारण हैं …

पहला कारण – संजय के हम उम्र जो सामान्य श्रेणी वाले हैं उन्हें बचपन से ही इन सब चीज़ों के बार में पता होता है. उनके घरों में इन सब पर चर्चा होती है. सभी भाग लेते हैं. ये बच्चे आनुवंशिक रूप से मुखर होते हैं क्योंकि पीढ़ियों से ऐसा चला आ रहा है. संजय का हम उम्र साथी भाजपा और मोदी के समर्थन में इतना कुछ बता देगा कि संजय को मानना ही पड़ेगा और संजय को इन सब के बारे में कुछ पता ही नहीं होता है. पहले उसका सारा ध्यान पढ़ाई में, फिर सारा ध्यान नौकरी में  … ! यह सब क्या है ? उसे इसका शून्य ज्ञान है क्योंकि कभी सोचा ही नहीं … समय ही नहीं मिला इन सब बातों के लिए. ऐसे में जब उसके हम उम्र साथी एकदम विश्वास से भाजपा और मोदी की तारीफ़ करेंगे तो संजय के पास ऑप्शन क्या बचेगा ? उसे भी मोदी का समर्थन करना पड़ेगा … उसके पास वैसे भी बोलने के लिए कुछ नहीं है इसीलिए संजय मोदी का समर्थन करता है.




दूसरा कारण – जो शहरों में रहते हैं. वह जहां काम करते हैं उनके आसपास कोई भी नाई, धोबी, गुप्ता, पासी, वर्मा, यादव व चमार आदि नहीं होते हैं … जो होते हैं लोअर लेवल पर होते हैं. आप लोग अपने ऑफ़िस का नज़ारा देखिए. जितनी ऊंची पोस्ट हैं … सब पर उच्च जाति के लोग काबिज़ हैं. ज़ाहिर है वह भाजपा और मोदी समर्थक होंगे … तो अपना संजय जब इन लोगों बीच में रहेगा, इतने बड़े बड़े लोग पढ़ें-लिखे लोग जब मोदी समर्थक होंगे तो अपना संजय क्या कर सकता है ? उन लोगों को देख कर उन्हें ही सही मानेगा क्योंकि उसे वैसे भी जानकारी नहीं है तो वह मोदी को ही समर्थन करेगा … !

तीसरा कारण – जो गांवों में रहते हैं, बाज़ार का कोई अड्डा या चाय की दुकान क्षेत्र की राजनीति सोच तय करती है. चाय की दुकान पर जाते सभी लोग हैं, पर चलती पंडित जी और ठाकुर साहब की ही है. अपना संजय भी वहां जाता है पर उसके पास कुछ कहने के लिए ज़्यादा है नहीं. और पंडित जी और ठाकुर साहब ऊंची आवाज़ में और विश्वास के साथ बताते हैं, प्रूफ़ भी देते हैं कि मोदी और भाजपा क्यों अच्छे हैं और मोदी क्यों…वापस प्रधानमंत्री बनना चाहिए ? हफ्तों और महीनों यही बातें सुनते-सुनते संजय को भी यही सही लगता है क्योंकि उसके पास जानकारी नहीं है कि मोदी उसके लिए ख़तरनाक है. और जिनके पास जानकारी है वह उस चाय की दुकान पर जा कर बता नहीं सकते क्योंकि पंडित जी और ठाकुर साहब उसे ही ग़ायब करवा देंगे.

ऐसे में … अब संजय के पास ऑप्शन क्या बचता है ? वह तो मोदी का ही समर्थन करेगा इसलिए … संजय की बिल्कुल भी ग़लती नहीं है इसमें.

  •  राजेश पासी, मुम्बई (RCP टीम)




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