कनक तिवारी, वरिष्ठ अधिवक्ता, उच्च न्यायालय, छत्तीसगढ़
नालंदा और तक्षशिला जैसे प्राचीन विश्वविद्यालयों को बिहार में आपने एक साथ स्थापित कर दिया. तक्षशिला बेचारा पाकिस्तान में है, फिर भी कई छात्र वहां आपके कारण एडमिशन लेने पहुंच गए ! आपने गुरु गोरखनाथ, कबीर और नानक को एक साथ आध्यात्मिक विचार विमर्श करने कह दिया. क्या गलत किया ? जैसे विमर्श आप मोहन भागवत और अमित शाह से एक साथ करते हैं, क्या तीनों महापुरुष शरीर नहीं, अपनी आत्माएं लाकर संघ की भाषा में बौद्धिक कर रहे थे ? लोग मेरे अलावा आपको लोग समझते क्यों नहीं ! जब आपके भक्तों को तकलीफ नहीं होती, तो समझदार लोगों को आपके नाम से क्यों बुखार चढ़ता है ?
आपको नेहरू के नाम से बुखार क्यों चढ़ता है ? हिचकी भी अक्सर आती होगी ? नेहरू ने श्यामाप्रसाद मुखर्जी को संविधान सभा में शामिल कर षड़यंत्र किया था, यह आप कह नहीं पाते हैं. बाबा साहब अम्बेडकर की मदद के बिना संविधान नहीं बन सकता था-ऐसा नेहरू ने कहा. आपके दलित नेता बनने के इरादे में भांजी मार दी ! अपनी ‘आत्मकथा’ नेहरू ने जानबूझकर पत्नी ‘कमला’ को समर्पित कर दी. आपको वहां भी फंसा दिया. पत्नी की छोड़छुट्टी करने के कारण आप इसीलिए अपनी मां को पत्र लिखवाते रहे.
नेहरू ने देश की नगदी खर्च कर बडे़-बड़े सार्वजनिक संस्थान बना दिए. उन्हें बाजार दर पर बेचना मुश्किल होने से अदानी, अम्बानी, वेदांता, टाटा, एस्सार को पटा-पटाकर उन्हें औने-पौने में आप बेच रहे हैं. माले मुफ्त दिले बेरहम खरीदार दोस्तों के साथ सहभोज, गलबहियां भी करनी पड़ रही हैं. नेहरू काजू के आटे की रोटी, मशरूम की सब्जी वगैरह क्यों नहीं खाते थे ? वह आपको मजबूरी में खानी पड़ रही है.
नेहरू में इतनी समझ नहीं थी कि अंग्रेजों बल्कि मुगलों की बनाई पुरानी इमारतें गिराकर सेन्ट्रल विस्टा दिल्ली में बनवा लेते. निर्माण सामग्री का बाजार भाव अब सेन्ट्रल विस्टा बनवाने के लिए कितना महंगा हो गया है ? नेहरू ने जानबूझकर कर एलोपैथी सिस्टम वाला एम्स अस्पताल बना दिया. ऋषि पतंजलि शोषण बाबा कोविड-19 का इलाज करने वाले डाॅक्टरों को भी गरियाया रहा. वही सलवारी बाबा आपको राष्ट्रऋषि कहता है. ट्रम्प ने आपको राष्ट्रपिता कहा.
आप ही सबको उकसाते हैं, फिर भी मौन रहते हैं. एम्स दिल्ली को रामदेव व्यापारी को औने पौने लीज़ पर दे दीजिए. लाल किला डालमियां को तो दे ही दिया न आपने ? उनसे कहिए डालमिया नाम से मियां शब्द हटा लें, आपको नाम बदलने में महारत हासिल है न ! कह दीजिए तू डाल डाल मैं पात पात.
आप एलोपैथी का नाम बदलकर कर दीजिए मृत्युवेद. आयुर्वेद बनाम मृत्युवेद. एलोपैथी डाॅक्टरों को संस्कृत नहीं आती. अनुलोम विलोम नहीं आता. दाढ़ी नहीं बढ़ाते. लंगोट नहीं पहनते. सलवार भी नहीं पहनते. देह पर गोबर नहीं लीपते. गो मूत्र नहीं पीते. अध्यादेश ले आइए – सरकारी धन केवल आयुर्वेद से इलाज कराने पर मिलेगा.
आपकी क्या आजकल अम्बानी के व्यापार पर आंख टेढ़ी है ? अदानी को आगे बढ़ा दिया गया है. अपनों को भी धोखा हो रहा है न ? आपको भी अटल बिहारी से हो गया था न ? मुझे तो आपके लिए अमित शाह, योगी, गडकरी, भागवत सबसे डर लगता है. मैं आपका अंधभक्त होना चाहता था लेकिन डाॅक्टर ने दोनों आंखों का मोतियाबिन्द ही निकाल दिया. कहता तुमको मोदियाबिन्द हो रहा था.
तब तक मुझे दुनिया दुरंगी दिखाई देती थी, अब तिरंगी क्यों दिखाई देती है ? गांधी, नेहरू, इन्दिरा, वहां से क्यों झांकने लगते हैं ? गांधी, मदन मोहन मालवीय, सरदार पटेल, सुभाष बोस, लालबहादुर शास्त्री और न जाने कितने नेताओं पर क्या कांग्रेस की मोनोपली है ? आपने ठीक किया कि इन सबकी तस्वीरें भाजपा के कार्यालयों में टांग दी हैं.
इतना करिए ये सभी फोटो दीवारों पर टंगी ही रहें. इन्हें पाठ्यक्रम से हटाइए. देश के बच्चे इन्हें पढ़कर बिगड़ जाएंगे. आठवीं क्लास तक हर बच्चे को पढ़ाना संविधान के कारण सरकारी मजबूरी है. उसके बाद क्यों पढ़ाना, जब संविधान ही नहीं कहता ! हर महापुरुष का अपनी छबि चमकाने में इस्तेमाल करिए. लोग आपसे सीखें. आप सिखाते हैं क्रांति होनी चाहिए, लेकिन पड़ोसी के घर से हो. आपके पूर्वज तो महान भगतसिंह को नहीं सिखा पाए ?
क्रांतिकारियों ने अंगरेजों को मारा लेकिन आपके सियासी पूर्वज अंग्रेजों के तलुए सहलाते रहे. लाल बहादुर शास्त्री में लाल, बहादुर और शास्त्री तीनों अच्छे शब्द हैं लेकिन मुगलसराय नाम के मुस्लिम शहर में क्यों पैदा हुए ? मुगलसराय में ही दीनदयाल उपाध्याय संदेहजनक ढंग से मरे इसलिए आपने मुगलसराय का नाम दीनदयाल रखकर शास्त्री जी को भी निपटा दिया !
दुनिया की सबसे ऊंची सरदार पटेल की मूर्ति आपने चीन से बनवा दी. वहां के राष्ट्रपति के साथ झूला झूलते रहे. वह अरुणाचल में झूला झुलाने आपकी राह देख रहा है, आप इसीलिए सबसे ज्यादा नौ बार चीन गए. गुजरात से ही मेहुल चौकसी, नीरव मोदी जैसे सैकड़ों बैंक लुटेरे क्या आपसे ही पनाह पा रहे हैं ? बैंकों, सरकारों, पुलिस अफसरों की निगाह उन पर क्यों नहीं पड़ती ? किसी मुस्लिम बैंक डकैत को क्यों नहीं पकड़ पाते ?
सरदार पटेल जब मरे, आप बमुश्किल चार माह के थे, फिर भी आपने कह दिया नेहरू उनकी अंतिम यात्रा में नहीं गए थे. आपको संघ के बौद्धिकों ने बताया होगा न ! संविधान बनने के बाद साल भर भी सरदार नहीं जी सके. आपको आईटी सेल ने गलत पट्टी पढ़ा दी इसलिए आपने कह दिया कि सरदार को नेहरू की जगह प्रधानमंत्री बनना था.
सरदार 75 साल में दुनिया छोड़ गए. नेहरू भी उसी उम्र गए. गांधी चार पांच साल ज्यादा खींच लिए इसीलिए आपके आराध्य हो चुके गोडसे ने उन्हें टपका दिया. तब से आपने तय किया होगा कि पचहत्तर पार नेता को मंत्री पद से टपकाना है. आडवाणी, मुरली मनोहर वगैरह की लाॅटरी आपने नहीं खुलने दी.
पाकिस्तान को सरदार के जरिए ही पचपन करोड़ गांधी ने दिलवाए. सरदार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध हटाए तो हक तो सरदार की मूर्ति लगने का ही बनता है न ? लेकिन आपने सरदार का नाम मिटाकर अहमदाबाद स्टेडियम अपने नाम कर लिया ! वैसे भी सरदार क्रिकेट कहां खेलते थे ! आप जैसी सियासती गुगली फेंकने के विश्व चैम्पियन कहां थे सरदार !
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अजय मोदी संवाद
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