भूख सबको लगता है, गला सबका सूखता है, चाहे वह भाजपा भक्त ही क्यों न हो. बेशक यह बेहद दुःखद और डरावना है, परन्तु भाजपा के शासनकाल की यही असलियत है. उत्तर प्रदेश के बागपत का एक हिन्दू व्यापारी राजीव तोमर, जो भाजपा के कट्टर समर्थक थे, कर्ज से जूझते हुये फेसबुक लाइव पर आते हैं और जहर खा लेते हैं. उनकी पत्नी उन्हें रोकने की बहुत कोशिश करती हैं लेकिन राजीव तोमर के जहर खाने के बाद उनकी पत्नी ने भी जहर खा ली और मौत को गले लगा ली. उनकी पत्नी तो मर गई पर व्यवसायी राजीव तोमर आईसीयू में जीवन मौत से लड़ रहे हैं.
बेहद रुआंसे स्वर में निराश होकर भाजपा के कट्टर समर्थक राजीव तोमर अपने फेसबुक लाइव पर आकर कहते हैं, ‘इस वीडियो को शेयर कर देना. वह कोई देशद्रोही नहीं हैं, उन्हें देश पर विश्वास है और अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शर्म है तो वह आज से ही अपनी चीजें बदल लें.’ तोमर कहते हैं कि ‘वह यह नहीं कहते कि प्रधानमंत्री ने सारे काम खराब किए हैं लेकिन वह छोटे दुकानदार, किसान के बिल्कुल हितैषी नहीं हैं.’ वीडियो में राजीव तोमर अपनी पत्नी से कहते हैं कि ‘वह उनकी बात मान ले, सरकार तो किसी की बात नहीं मानती.’
यह आरोप किसी विपक्षी दल के नहीं व्यापारिक घाटे और कर्ज से निराश भाजपा के कट्टर समर्थक एक व्यापारी के हैं. मर्द को दर्द नहीं होता की तर्ज पर गढ़े गये जुमला ‘भक्त को दर्द नहीं होता’ कहकर दूसरों के दर्द का मजाक उड़ाने वाले भाजपाई के सामने राजीव तोमर की आत्महत्या की यह कोशिश बेहद दर्दनाक तस्वीर है. भाजपा समर्थक राजीव तोमर ने अपनी मौत का जिम्मेदार सीधे भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी जनविरोधी नीतियों को बताया है, जहां किसान, छोटे फुटकर व्यापारी के खिलाफ कार्य किया जा रहा है.
मेरे कम्पनी से जुड़े एक मजदूर मुझे कह रहे थे कि ‘हम सपरिवार भूख से मर जायेंगे लेकिन वोट मोदी को देंगे.’ यह कहने के कुछ ही दिन बाद उनकी 15 वर्षीय बेटी की मौत इलाज के वगैर हो गई. यह हकीकत है, भाजपा के उन समर्थकों का जिन्होंने मोदी भक्ति में न जाने कितनों का दिल दुखाया, न जाने कितनों के दुःखों का मजाक उड़ाया और न जाने कितनों की हत्याओं में भी शामिल रहे.
बेशक भाजपा के कट्टर समर्थक राजीव तोमर और उनकी पत्नी की असामयिक मौत का दुःख सभी को होना चाहिए परन्तु, इस देश में ऐसे हजारों लाखों राजीव है जो सरकार की गलत नीतियों के कारण बर्बाद हो गए. व्यापार के कारण कर्ज में डूबे पड़े हैं. लेकिन देश की जनता को धर्म की अफीम के नशे में इस प्रकार अंधा किया जा चुका है कि वह रोजगार, महंगाई की जगह हिजाब, बुरखा, भगवा गमछों के लिए लड़ रहे है. हिन्दू मुसलमान, पाकिस्तान, श्मशान के लिए लड़ रहे हैं, उनके लिए राजीव तोमर की मौत एक सबक है. आखिर मरता हुआ कट्टर भाजपा समर्थक कारोबारी राजीव तोमर यूं ही नहीं कह गया कि ‘मोदी छोटे दुकानदारों और किसानों के हितैषी नहीं और मोदी मेरी मौत का जिम्मेदार है.’
[ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें]