सौमित्र राय
छोड़ दीजिए ये माया–मोह की बातें. ये सेल्फी और सालगिरह की दावतें. आपको इन सबसे कोई लेना–देना नहीं होना चाहिए, क्योंकि आप मरने वाले हैं, अगर आपने नरेंद्र मोदी की गारंटी, यानी कोविशील्ड का टीका लगवाया है.
भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ने जिस ब्रिटिश कंपनी के साथ मिलकर यह कोविड वैक्सीन बनाई है, उसने माना है कि इससे दिल के दौरे की आशंका है. एस्ट्राजेनेका ने कल कोर्ट में मान लिया कि उसकी वैक्सीन के जानलेवा साइड इफेक्ट हैं.
आज तक के रिपोर्ट के अनुसार, एस्ट्राजेनेका ने यूके हाईकोर्ट में दिए गए अपने अदालती दस्तावेजों में पहली बार माना है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन से TTS सिंड्रोम जैसे दुर्लभ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. यह सिंड्रोम शरीर में खून के थक्के जमने की वजह बनती है. इसके चलते व्यक्ति में ब्रेन स्ट्रोक, कार्डियक अरेस्ट होने की आशंकाएं बढ़ जाती है.
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोविड वैक्सीन को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है. इसे बनाने वाली एस्ट्राजेनेका ने यूके( यूनाइटेड किंगडम) हाईकोर्ट में दिए गए अपने अदालती दस्तावेजों में पहली बार माना है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन से TTS जैसे दुर्लभ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. बता दें एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को कई देशों में कोविशील्ड और वैक्सज़ेवरिया ब्रांड नामों के तहत बेचा गया था.
थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) शरीर में खून के में खून के थक्के जमने की वजह बनती है. बॉडी में ब्लड क्लॉट बनने के चलते व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक, कार्डियक अरेस्ट होने की आशंकाएं बढ़ जाती है. इसके अलावा यह सिंड्रोम बॉडी में प्लेटलेट्स गिरने का एक कारण भी बन सकती है.
बता दें कि एस्ट्राजेनेका कंपनी को क्लास-एक्शन मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है. इस मुकदमे को जेमी स्कॉट नाम के शख्स ने ने दायर किया, जो अप्रैल 2021 में यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर बनाई गई एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लेने के बाद ब्रेन डैमेज का शिकार हुए थे. इसके अलावा कई अन्य परिवारों ने भी अदालत में इसको लेकर शिकायत की थी कि वैक्सीन लेने के बाद उन्हें इसके साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़ा. अब ये परिवार इसको लेकर वैक्सीन को लेकर हुई परेशानियों को लेकर मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
सेफ्टी इश्यूज के चलते एस्ट्राज़ेनेका-ऑक्सफ़ोर्ड वैक्सीन अब यूके में नहीं दी जाती है. अब जब फार्मास्युटिकल कंपनी ने इस वैक्सीन से होने वाले दुर्लभ साइड इफेक्ट्स को स्वीकार कर लिया है तो इससे प्रभावित होने वाले व्यक्ति और परिवार के लोग वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट्स के लिए उचित मुआवजे की भी मांग कर रहे हैं. हालांकि, वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट्स को स्वीकार करने के बाद भी कंपनी इसे होने वाले बीमारियों या बुरे प्रभावों के दावों को विरोध कर रही है.
भारत में आपके सामने ही सैकड़ों लोग अचानक टपके और मर गए. लोगों ने हल्ला मचाया तो सरकार ने झूठ बोलकर चुप करवा दिया. अब आप यह भी जानते हैं कि नरेंद्र मोदी ने दवा कंपनियों से हजार करोड़ से अधिक चंदा लिया था. सीरम इंस्टीट्यूट ने भी 52 करोड़ दिए थे.
लेकिन, आप कह सकते हैं कि हम तो अभी ज़िंदा हैं, कुछ नहीं हुआ. लेकिन, वैक्सीन तो भीतर कहीं तो होगी ? जैसे वायरस प्रभावित हार्ड डिस्क को फॉर्मेट करने के बाद भी कुछ डेटा कभी नहीं मिटता. अब आप ही बताएं, आपने मोदी की मौत की गारंटी ही तो ली है, फिर तो मरना सुनिश्चित है. आज नहीं तो कल.
मित्रो, अब आप मोदी को मौत का सौदागर मानेंगे या नहीं ? जो वैक्सीन का राजनीतिक प्रचार करने में जुटा है. मुझे मिलाकर भारत में वैक्सीन ठुकवाने वाले 100 करोड़ से ज्यादा लोगों के लिए ये डेथ सर्टिफिकेट बन गया है.
आज भी भोपाल समेत देश में 3 अकाल मौत की खबर है. इनके डेथ सर्फिकेट पर भी मोदी की फोटू होनी चाहिए क्योंकि, मौत का परवाना ही मोदी की गारंटी है. कसम खाएं कि अब मरते दम तक बीजेपी को वोट नहीं देंगे.
कोविशील्ड के रूप में मौत का सर्टिफिकेट बांटकर मोदी सत्ता अब मंगलसूत्र भी छीनने पर उतर आई है. सोना गिरवी रखकर लोन लेने वालों की संख्या 5 गुनी बढ़ी है. अब बस, बहुत हुआ 400 पार. अब बीजेपी तड़ीपार.
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