जगदीश्वर चतुर्वेदी
मोदीरचित फासीवाद की विशेषता है कि इसने सभी रंगत की अनुदार शक्तियों को अपने साथ एकजुट कर लिया है. इसके निशाने पर हैं – उदार सभ्यता, उदार मूल्य और उदार संवैधानिक संस्थाएं. आज सभी रंगत के उदारवादियों को एकजुट होकर व्यापक मंच बनाने की जरूरत है.
मोदी रचित फासीवाद को परंपरागत फासीवादी अवधारणाओं से समझना मुश्किल है. मोदीसमूह मसीहाई अंदाज में बातें कर रहा है. उनके भोंपू मसीहाई अंदाज में बोलते हैं. वे जिस भाषा और नारे का इस्तेमाल कर रहे हैं उसमें सामाजिक भेद और नफरत के बीज भरे हैं. वे हमेशा एक सौ पैंतीस करोड़ लोगों के प्रतिनिधि के नाते बोलते हैं और यही उनकी असभ्यता के विमर्श की धुरी है.
गजब है भाजपा के लोग – पाक के लिए जासूसी करते पकड़े गए, जेएनयू से लेकर जम्मू कश्मीर के नौशेरा में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते पकड़े गए ! सवाल यह भाजपा वाले पाक पर इतने फिदा क्यों हैं ? देशद्रोह के ये सारे प्रमाण के बावजूद यदि आप भाजपा और मोदी पर फिदा हैं तो आप भी कमाल के आदमी हैं !
भाजपा के केन्द्रीय मंत्रिमंडल और सांसदों में कितने चोटीधारी-जनेऊधारी हिंदू हैं ? इनके चोटी-जनेऊ है क्या ? ये कभी संस्कृत पाठशाला में पढ़ने गए ? यह सवाल उठा है कि वैदिक युग के शुची-श्रुवा आदि पात्रों का इन दिनों हिंदू लोग पूजा-यज्ञ आदि में इस्तेमाल क्यों नहीं करते ? आरएसएस वाले खासतौर पर बताएं क्योंकि आजकल मोदी मंत्रीमंडल वेदों में विज्ञान खोज खोजकर बता रहे हैं. हम तो मांग करते हैं कि मोदी मंत्रीमंडल के सदस्य कम से कम वैदिक ऋषियों-मुनियों के दैनिक उपयोग के पात्रों के ही नाम बता दें !
वेद, पुराण और उपनिषदों के नाम पर झूठ बोलना, इन रचनाओं में विज्ञान की खोज करना, अक्षम्य अपराध है. असल में फ़ासिज़्म अपने स्वार्थ के लिए आए दिन परंपरा और धर्म को भ्रष्ट करता है, अंत में उनको नष्ट कर देता है .
मोदी युग की लाक्षणिक विशेषताएं
- मोदी जिस शब्द का प्रयोग करते हैं वह मर जाता है. जैसे- विकास, गुजरात, अच्छे दिन, हिन्दुत्व, महान भारत आदि.
- नरेन्द्र मोदी की भाषा में शब्द का अर्थ विलोम में रहता है. कम्प्लीट बायनरी अपोजीशन में.
- भाजपा में मोदी का दबदबा कम हो रहा है, ह्विप जारी करने के बावजूद भाजपा सांसद संसदीय दल की साप्ताहिक बैठक में नहीं आ रहे, संसद में भी यदा-कदा आते हैं. मोदी झल्लाए हुए हैं. पीएम का झल्लाना या सांसदों की हाजिरी लेना संसदीय मर्यादा के अनुकूल नहीं है. लोकतंत्र तो स्वैच्छिक शिरकत का तंत्र है, दवाब या आदेशों से शिरकत तो गंवारों के लिए या अधिनायकवादी दल में होती है.
- हर समय इलेक्शन मोड में रहो !
- मोदी के लिए संस्कृति के मानक हैं गजेन्द्र चौहान ! राजनीति में योगी आदित्य नाथ! आदर्श नागरिक हैं फेक न्यूज और उन्माद के सर्जक. ये उनके हीरो हैं ! मोदी उनके लिखे पर विश्वास करते हैं. पीएम मोदी की मुश्किल यह है कि उनके हाथ-पैर-जुबान सब संविधान की धाराओं से बंधे हैं, वरना उनका नेचुरल भावबोध वही है जो मोहन भागवत का है, मोदी की आत्मा में मोहन रहते हैं !
- मोदी शासन की अकुशल प्रशासन शैली का आदर्श नमूना यह है अनपढ़ मंत्री ने आईआईटी निदेशकों के इंटरव्यू लिए. अनिल काकोदकर जैसे विश्वविख्यात वैज्ञानिक को इस्तीफा देना पड़ा. अनपढ़ मंत्री ज्ञानीसमाज का अपमान होता है. सवाल यह है मंत्री क्यों रहेगा निदेशकों के चयन में ? रहेगा भी तो चुप रहे, विशेषज्ञ अपना काम करें, फैसले लें. लेकिन संघ की नीति है कि भारत में विगत 65 सालों में जो भी वैज्ञानिक, ज्ञान-विज्ञान का ढांचा बनाया गया है उसे क्षतिग्रस्त करो. मंत्री महोदया उसी लक्ष्य में निशाने साध रही हैं. मेक इंडिया, डंकी इंडिया ! गो मूत्र जिंदाबाद ! मसजिद विध्वंस, हत्या, दंगे आदि के केस वग़ैरह तो भाजपा के अलंकार हैं. जो इन अलंकारों से सजा है वह संगठन और सरकार के पदों को हासिल कर सकता है. नई राजनीतिक कल्चर है- अपराध को अपराध नहीं भगवत सेवा कहो. देश सेवा कहो. आक्रामक भारत महान भारत. शेर भारत. मोदी की नीतियों के प्रसंग में रघुवीर सहाय की यह कविता प्रासंगिक है- ‘समान अवसर’- ‘मैंने सबको/समान अवसर दिया/पर उसके पहले/मैंने एक पूरी पीढ़ी को बांट दिया/जो सीख सके और जो न सीख सके.’
- मोदी नियंत्रित साइबर सैल के मुस्लिम विरोधी कु-प्रचार ने देश और समाज का सबसे ज्यादा अहित किया है, खासकर नयी युवा पीढ़ी के दिमाग में मुसलमानविरोधी कु-संस्कार और नफ़रत पैदा की है. इससे आधुनिक समाज के निर्माण की प्रक्रिया बाधित हुई है. साइबर सैल का प्रचार है मुस्लिम शासक हिन्दू विरोधी थे, यह असत्य है. मुगल शासकों ने बड़े पैमाने पर हिन्दी के कवियों को अपने शासन से मदद दिलवायी. मसलन्, शहाबुद्दीन गोरी के यहां आश्रित कवि थे- केदार कवि. हुमायूं के यहां – क्षेम बंदीजन. सम्राट अकबर के आश्रित हिन्दी कवियों में प्रमुख हैं- गंग, नरहरि, करण, होल, ब्रह्म (बीरबल), अमृत, मनोहर, जगदीश, जोध, जयत, जगामग, कुम्हणदास, टोडरमल, माधौ और श्रीपति आदि. शाहजहां के यहां पंडितराज जगन्नाथ कविराज, हरिनाथ, कुलपति मिश्र, कवीन्द्र सुंदर, चिंतामणि, शिरोमणि, दुलह, वेदांगराय, सुकवि बिहारीलाल आदि. औरंगजेब के यहां -ईश्वर, इंद्रजीत त्रिपाठी, मतिराम, कालिदास त्रिवेदी, कृष्णपंथी घनश्याम, जयदेव आदि. पुराने जमाने की बात है देशभक्त मौलाना शौकत अली कानपुर पधारे थे. उन्होंने राष्ट्रीय विद्यालय के एक मुस्लिम छात्र को एक बहुमूल्य उपदेश दिया था. उन्होंने कहा था- ‘तुम जाकर दो हिन्दू लड़कों से दोस्ती करो और उनसे कहना कि वे दो मुसलमान बच्चों से दोस्ती करें. हिन्दू मुस्लिम ऐक्य का बीज मंत्र यही है. हम प्रसन्न होंगे यदि हिन्दू जाति बलबती होकर मनुष्य समाज की सेवा कर सके.’
- मध्य काल में चौर्यकला कहते थे, मोदी युग में इसे चौर्य विज्ञान कहते हैं. मध्यकाल में चोर शर्मिंदा होते थे, मोदी युग में सीना तानकर बोलते हैं. निर्लज्ज भाव से कहते हैं हम चोर हैं, मध्यकाल में चोर अकेला था, मोदी युग में चोर समूह में हैं. सुना था चोर चोर मौसेरे भाई, मोदी युग ने इसे सच कर दिखाया. पीएम के यहां चोर की इतनी प्रतिष्ठा पहली बार देख रहा हूं.
- हमारे देश में नेताओं की एक पीढ़ी ऐसी तैयार हुई है जो हर समय किसी के भी हाथों बिकने को तैयार है. जिस नेता ने कांग्रेस के मेनीफेस्टो पर चुनाव जीता, विधायक बना, वही नेता अब भाजपा में जाकर मंत्री – का मुख्यमंत्री बनने जा रहा है. इसे कहते हैं नीतिहीन नेता और नीतिहीन पार्टी. नरेन्द्र मोदी ने नीतिहीन नेताओं के निर्माण में सबसे बड़ी भूमिका निभायी है. इस तरह के नेता लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं. कम से कम विधायक-सांसद को दल बदलते समय अपने विधायक-सांसद पद से त्यागपत्र देकर दूसरे दल में प्रवेश करना चाहिए. जो ऐसा न करे उसे हमेशा के लिए लोकतंत्र में प्रतिबंधित कर देना चाहिए.
नया चलन है आरएसएस-मोदी सरकार के संरक्षण में रहो, लडकियों को परेशान करो. उनका उत्पीडन करो और मस्त रहो. रोज लडकियों को परेशान करो और हिंदुत्व की भक्ति करो. हिन्दू कठमुल्लावाद के वायरस ने हिंदू मध्यवर्ग को सीरियसली प्रभावित किया है. इस वायरस का असर भाजपा में आते ही या मोदी की मिठाई खाने के बाद तेजी से दिख रहा है.
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