भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने महात्मा गांधी को ‘चतुर बनिया’ बता अपनी दिवालिया और आपराधिक सोच का बखूबी परिचय दिया है. इसी के साथ वह पूरे संघ और प्रधानमंत्री मोदी के अनैतिक सोच को भी सार्वजनिक कर दिया है. गांधी पर इस टिप्पणी ने यह तो साफ कर दिया है कि संघ, भाजपा और मोदी के लिए गाय, गोबर, गोमांस, भारत माता, हिन्दुत्व, संविधान आदि जैसे प्रतीकों का इस्तेमाल महज अफीम की तरह आम जनता को मुग्धमय बनाये रखने मात्र के लिए करती है. उसे देश की आम जनता के हितों से कोई मतलब नहीं है. मोदी की महत्ता बस इस बात को लेकर बढ़ जाती है कि वह अपने मुख्य एजेंडे को लागू करने में इन प्रतीकों को बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर पा रहे हैं और देश भर में फैले उसके पिट्ठु और दलालों ने मीडिया और सोशल मीडिया का बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल कर आम जनता को डराने-धमकाने में झूठे मुद्दों के सहारा लेकर एक नये प्रकार का आतंक पैदा कर रहा है.
हमारे देश में एक कहावत है कि ‘जिसका बात एक नहीं होता है उसका बाप भी एक नहीं होता है’ अर्थात्, वह नाजायज होता है. वह कुल और देश के लिए बेहद ही खतरनाक होता है. ऐसे में जब हम मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पूर्व और बाद के वक्तव्यों को ही एक साथ समेट कर रख दें तो उसकी हर बात एक दूसरे से उल्टी नजर आती है.
मसलन, 23 जनवरी, 2014 को करेंसी बदलने का विरोध करती है, पर 8 नवम्बर, 2016 को एकाएक करेंसी बदल डालती है. 2013 में 85 रूपये किलो की दर से मिलने वाली तुर दाल पर देश भर में मंहगाई के नाम पर तमाशा खड़ा करती है वही मोदी के शासनकाल में तुर दाल 150 से लेकर 200 रूपये प्रति किलो की भाव से मिलने पर अच्छे दिन का जश्न मनाती है. 60 रूपये चने का बेसन बिकने पर ‘थाली बजाओं’ आन्दोलन चलाने वाली बीजेपी अब जनता को 150 रूपये किलो चने का बेसन बेच रही है और अच्छे दिन आने का अहसास दिला रही है.
गो-हत्या के विरोध करने वाली पार्टी अब देश के एक हिस्से में गो-हत्या और गोमांस को सहज उपलब्ध करवाने का वादा करती है तो दूसरी तरफ गो-हत्या और गोमांस के नाम पर आदमी की हत्या को जायज ठहरा रही है. इसके साथ ही उसके ही पार्टी के बड़े नेताओं और समर्थित उद्योग घरानों के माध्यम से गो-मांस की बिक्री और विदेशों में निर्यात को आसान बनाने के लिए कानूनों में नये संशोधन करती है और गोमांस के निर्यात में रिकार्ड बढ़ोतरी करती है.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नवाज शरीफ से हाथ मिलाने पर मोदी उनका मजाक उड़ाते हुए ‘गंवार महिला’ की संज्ञा से विभूषित करते थे पर प्रधानमंत्री बनने के बाद बिना बुलाये नवाज शरीफ के जन्म दिन पर केक और बिरयानी खाने पाकिस्तान पहुंच जाते हैं. 2014 के पहले रेल किराया में 1 रूपये की भी बढ़ोतरी होने पर मंहगाई के नाम पर हंगामा खड़ा करती थी पर प्रधानमंत्री बनते ही महज दो साल में 60 से 70 प्रतिशत किराया बढ़ा दिया.
एफडीआई, जीएसटी, आधार कार्ड, मनरेगा, कोयला खान निलामी आदि का कड़े रूप से विरोध करने वाले मोदी सत्ता पर आते ही उन्हीं सारी योजनाओं का गुणगान करते हुए पूरी ताकत से न केवल लागू करते हीं करते हैं वरन् सुप्रीम कोर्ट तक के विरोध को भी ताक पर रख देते हैं. निर्भया के मामले में तीन महीने तक आन्दोलन करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने अपने शासन के दौर में मध्यप्रदेश में 12 और दिल्ली में औसतन 7 बलात्कार प्रतिदिन होने के बावजूद कान पर जूं तक नहीं रेंगती. इतना ही नहीं इस बलात्कार में तो कई बार स्वयं भाजपा के ही लोग भी शामिल होते हैं.
कांग्रेस के शासनकाल में अन्तराष्ट्रीय बाजार में 125 से 140 डाॅलर प्रति बैरल मिलने वाली कच्चा तेल खरीद कर 70 से 75 रूपये प्रति लीटर पेट्रोल मिलने पर भाजपा विरोध में बैलगाड़ी मार्च निकालती थी पर अब जब अन्तराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 50 से 60 डाॅलर प्रति बैरल मिलने लगा है तब भी पेट्रोल का बाजार भाव 70 से 75 रूपये प्रति लीटर ही रहना खुले तौर पर मोदी की दोगलापन को दर्शाता है.
भ्रष्टाचार के नाम पर छाती पीटने वाले मोदी अब अपनी शासनकाल में भ्रष्टाचार को ही सदाचार में बदल डाला है. अब यह कोई मुद्दा ही नहीं रह गया है. व्यापम घोटाला और उसके आड़ में 50 से 60 गवाहों ही हत्या, बसुंधरा राजे का ललित मोदी घोटाला, रमण सिंह का 34 हजार करोड़ रूपये का अन्न वितरण घोटाला कोई मसला ही नहीं बनता है. इसके अलावे रोज पकड़े जाने वाले नये-नये घोटाले तो अब खबर भी नहीं बनती है. बात-बात पर कांग्रेस के मंत्रियों से इस्तीफा मांगने वाले अब मोदी सरकार खुलेआम घोषणा करती है कि एनडीए सरकार में कोई इस्तीफा नहीं देता.
100 दिन में काला धन विदेश से लाकर हर एक को 15 लाख की धनराशि देने वाले मोदी को 900 दिन बाद भी काला धन लाना तो दूर की बात, कितना काला धन है, है भी या नहीं, पता नहीं है. किसानों को स्वामीनाथन आयोग के हिसाब से लागत का 50 प्रतिशत लाभ देने का वचन देने के बाद भी किसानों को 1 रूपये का भी रेट नहीं बढ़ाया. उल्टे भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के द्वारा अनुशंसित अरहर दाल के न्यूनतम समर्थन मूल्य 6 हजार रूपये को मोदी सरकार ने घटाकर 5 हजार पचास रूपये कर दिया है.
सेना में नाम पर अपनी अश्लीलतम राजनीति का उत्कृष्ट प्रदर्शन कर चुकी मोदी सरकार कांग्रेस शासन काल में एक भारतीय जवान के सर के बदले 10 पाकिस्तानी सेना का सर काटकर लाने का दावा कर रही थी, अब तक कितने ही भारतीय सैनिकों के सर काटे जा चुके हैं परन्तु मोदी सरकार की 56 ईंची सीना वाले प्रधानमंत्री अब सेना को ही राजनीति का अखाड़ा बना दिया है. भ्रष्टाचार और खून की नदियों में सेना को बहाया जा रहा है.
इसके साथ ही भारतीय सभ्यता और संस्कृति की दुहाई देते नहीं अघाने वाले भाजपा के कार्यकर्ता, भक्त और मंत्री मां-बहन की गालियां के बिना अपना एक वाक्य भी पूरा नहीं करते. कब किस महिला की इज्जत सरेआम उतार दे, कहा नहीं जा सकता. शेहला रशीद, शहीद सेना के जवान की बेटी तक को अश्लीलतम शब्दों से निरूपित करने वाले भाजपा आखिर किस सभ्यता और संस्कृति की दुहाई देती है ?
सर्विस टैक्स लगाने का विरोध करने वाली भाजपा मोदी के नेतृत्व में केन्द्र की सत्ता में आते ही 2.5 प्रतिशत सर्विस टैक्स बढ़ा दी है तो वहीं काले धन की बात करने वाली भाजपा 11 हजार करोड़ रूपये चुनाव मे खर्च कर डालती है.
किसानों के नाम पर छाती पीटने वाली भाजपा की मोदी सरकार अब मंदसौर में 8 किसानों की हत्या पर ऐसे खामोशी की चादर ओढ़ ली है मानो वह इस धरती पर है ही नहीं. वही उसके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पहले तो किसानों को असमाजिक तत्व कहकर बदनाम करने की कोशिश करते हैं, फिर उसे 1-1 करोड़ का मुआवजा देते हैं और फिर उस किसान के ही खिलाफ 10 करोड़ रूपये खर्च कर उपवास पर बैठ जाते हैं. इतने पैसों में हजारों किसानों का कर्ज माफ हो सकता था.
ऐसे में हमारे प्राचीन कहावतों को एक बार फिर याद कर लेना जरूरी है कि जिसका बात एक नहीं होता है, उसका बाप भी एक नहीं होता है अर्थात्, वह नाजायज होता है, जो देश और काल दोनों के लिए बेहद ही खतरनाक होता है. भाजपा और उसकी मोदी सरकार आज देश के लिए बेहद ही खतरनाक है. अगर इसे पुनः औकता में नहीं लाया गया तो हमारा देश अतीत में हस्ताक्षर करता नजर आयेगा क्योंकि अमित शाह ने गांधी जैसी शख्शीयत को चुतर बनिया बता कर अपनी सोच का परिचय दे दिया है.
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Masihuddin Sanjari
June 12, 2017 at 4:18 pm
मोदी सरकार की अब तक की कारगुज़ारियों को बहुत ही कम शब्दों में समेट कर वास्तविक तस्वीर जनता के सामने लाने के लिए बधाई। गांधी जी को ‘चतुर बनिया’ कह कह कर अमित शाह ने उनके प्रति संघियों/ भाजपाइयों के मन में जो जहर है उसे उगल दिया है। जिसकी कथनी और करनी में कोई मेल ही न हो उससे गांधी जी का ‘सत्य के साथ प्रयोग’ कहां से हज़म होगा।