Home लघुकथा ‘मेरी मां क्या सोचेगी इस जीत पर’

‘मेरी मां क्या सोचेगी इस जीत पर’

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एक दौड़ में केन्या का प्रतिनिधित्व कर रहा एथलीट ‘हाबिल मुताई’ चिन्हों को ठीक से नहीं समझने के कारण, ‘दौड़ पूरी हो गयी’ ये सोच कर फिनिश लाइन से सिर्फ कुछ ही फुट दूरी पे रुक गया.

उसके पीछे आ रहे स्पेनिश एथलीट ‘इवान फर्नांडीज’ ने चिल्लाकर रेस जारी रखने के लिए कहा लेकिन मुताई को स्पेनिश में कहा गया समझ में नहीं आया. इसके बाद स्पेनिश एथलीट ने उसे जीत के लिए धक्का दे दिया.

पत्रकार ने इवान से पूछा – आपने केन्याई को जीत क्यों दिलाया ?’

इवान ने जवाब दिया, ‘मैंने उसे जीत नहीं दिलाई, वह जीतने वाला था.’

पत्रकार ने फिर जोर देकर कहा, ‘लेकिन आप जीत सकते थे !’

इवान ने जवाब दिया, ‘लेकिन मेरी इस जीत से क्या होता ? ऐसी जीत से मिले पदक का सम्मान क्या होगा ? मेरी मां इस बारे में क्या सोचेगी ?’

मूल्य पीढ़ी दर पीढ़ी प्रसारित होते हैं. निर्णय हमारा है कि हम अपने बच्चों को क्या मूल्य सिखा रहे हैं.

  • गोलू वेद

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