गुरूचरण सिंह
जिस तरह के रामराज का सपना दिखाया गया था, देश की भोली-भाली जनता को और फिर शो केस में रखे माल की जगह उनके हाथ में कुछ और ही थमा दिया गया था, उसे देखते हुए अब पूछने का वक़्त आ गया है कि किस राम की बात कर रहे हैं आप !! वैसे भी संहार का काम शिव को दिया गया है और इसके बावजूद वे तुरंत माफ कर देने और प्रसन्न हो जाने वाले औघड़ दानी देवता हैं. विष्णु के अवतार राम का तो काम ही सबको आश्वस्ति देना है, भय से मुक्ति देना है, प्रत्येक जीव का भरण-पोषण करना है लेकिन उसका नाम लेकर सत्ता में आए लोगों के लिए तो एक खास तबके की रक्षा और तरक्की के लिए ही है यह आश्वस्ति. और वह भी इस तबके के अंदर सिर्फ उन लोगों के लिए जिन्हें आपके राम के उग्र स्वरूप के अनुसार ही उग्रता का तांडव करना मंजूर हो. बाकी की सारी आबादी तो आज भी भय और आतंक के साए में जिंदगी गुजर बसर कर रही है !
शेर की सवारी करने वाले अक्सर भूल जाते हैं कि उन्माद की उम्र ज्यादा लंबी नहीं हुआ करती, ज्वार के बाद तो भाटा आता ही है, यही प्रकृति का नियम है. इसके चलते उग्र हिंदू एजेंडा भी अब भाजपा को बहुत दूर तक नहीं ले सकता इसलिए भाजपा भी भाटे की तरह उतार पर है. एक-एक कर फिसल रहे हैं राज्यों में उसके हाथ से सत्ता सूत्र. नागरिकता कानून के खिलाफ पुलसिया दमन के बावजूद देशव्यापी आंदोलन और उग्र हिंदू एजेंडे के बड़े-बड़े वादों के बावजूद झारखंड में हार का सबक तो यही दिखाता है. 43% दागदार छवि वाले 350 सांसदों के प्रचंड बहुमत पर इतराएं मत आप, इससे भी कहीं बड़ी संख्या में (400+) सांसद जिता लाए थे राजीव गांधी.
हालांकि एक कड़वा सच यह भी है कि जीत तो उनकी भी ऐसे ही सांप्रदायिक एजेंडे से तय हुई थी. कांग्रेस के कंधे पर बन्दूक रख कर किए गए संघ प्रायोजित 84 के दंगों के चलते सिखों के खिलाफ जनभावना को ही तो भुनाया था उन्होंने आनंदपुर मते पर चुनाव लड़ कर. जो काम राजीव के लिए सिखों ने किया, वही काम तो कर रहे हैं भाजपा के लिए मुसलमान. लेकिन राजीव के बाद कांग्रेस की जो दुर्गत हुई है, उसे बताने की भी जरूरत नहीं है. खैर, अब भी केवल 10 राज्यों में ही पूर्ण बहुमत प्राप्त है भाजपा को, बाकियों में तो बस जुगाड ही चल रहा है !
आदमी जब डूबने लगता है तो अपने हाथ पांव कुछ ज्यादा ही चलाता है. नफ़रत और आपसी मनमुटाव पैदा करके जो लोग सत्ता में आए हों, गोएबल्स सिद्धांत ही जिनके सत्ता में टिके रहने का आधार हो, ऐसे लोग तो सत्ता की बागडोर हाथ से छूट जाने की सम्भावना मात्र से ही सिहर उठते हैं. इसे बचाए रखने के लिए वे तो वे कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हैं. जिस उग्र हिंदू एजेंडे ने उन्हें सत्ता की देहरी तक पहुंचाया है, उसको और भी उग्र करने का प्रयास तो आजमाए फार्मूले की तरह वे करेंगे ही. सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों में एक दूसरे से बढ़ कर खुद को उग्र हिंदुत्ववादी साबित करने की होड़ सी भी लग जाएगी ! CAA, NCR, जनसंख्या नियंत्रण बिल लाए जाने संकेत और मोदी-शाह के हाल ही के बयानों को इसी नजरिए से देखे जाने की जरूरत है !
शाह बोलते हैं, ‘कांग्रेस की अगुवाई वाला टुकड़े-टुकड़े गैंग दिल्ली की शांति भंग करने के लिए जिम्मेदार है उन्हें सजा देने का समय आ गया है !’ आप ही बताएं भड़काऊ बयान और किसे कहा जाता है ? टुकड़े गैंग के सदस्य तो सरकार में ही बैठे हैं ; कश्मीर के टुकड़े किसने किए, नागालैंड को अलग झंडे वाला लगभग स्वतंत्र “देश” किसने बनाया ? फिर भी टुकड़ा गैंग और अर्बन नक्सली इन्हीं का वैचारिक विरोध करने वाले लोग !! दाद देनी होगी ऐसे लोगों की हिम्मत की !!!
कारण कुछ भी रहा हो,आर्मी चीफ ने शर्मशार किया है फिर से एक राजनीतिक बयान दे कर. हालांकि साबित अभी तक कुछ भी नहीं हुआ कि हिंसा,आगजनी करने वाले छात्र और उनके समर्थन में सड़कों पर उतरे लोग थे (जामिया से पकड़े गए 10 लोग तो दंगा करने वाले प्रशिक्षित गुंडे निकले थे फिर भी), उनके खिलाफ मीडिया और सरकारी मशीनरी ने कोरस में रोना गाना शुरू कर दिया कि यही लोग शांति भंग कर रहे हैं, हिंसा आगजनी कर रहे हैं, राष्ट्रीय संपत्ति जला रहे हैं. जाट आंदोलन, गुर्जर आंदोलन, मराठा आंदोलन, करणी सेना का देश को बंधक बना लेना, आरक्षण के पक्ष विपक्ष में हुए हंगामे में जली राष्ट्रीय संपत्ति पर तो मीडिया और नेता दोनों ही खामोश थे !! क्यों ? तब वे लोग हिंसा आगजनी नहीं कर रहे थे ? शांति का संदेश दे रहे थे क्या या फिर उनके वोटों पर आपकी नज़र थी ? छात्रों ने वैचारिक आधार पर विरोध प्रदर्शन किया तो वे हिंसक भीड़ बना दिए गए, पुलिस को खुली छूट दे दी गई !!!
अच्छा लगा यह सुन कर कि अब CAA पर छात्रों से बात करेंगे मंत्री और खुद को और उग्र हिंदुत्ववादी दिखाने के लिए लाए जाने वाले जनसंख्या नियंत्रण कानून को ठन्डे बस्ते में दिया गया है. आखिरकार कुछ तो सद्बुद्धि आई !!
खैर, जिस ओर आकर्षित करना चाहता था आपका ध्यान, वह एक खास तरह की विशेषता है हिंदू जीवन पद्धति की. वह मध्यम्मार्गी है, किसी भी अतिवाद में उसका मन नहीं रमता. अगर कभी भटक कर चला भी जाता है घड़ी के पेंडुलम की तरह, तो वापिस उसी जगह आ कर ठहर जाता है. बिल्कुल संगीत के सम की तरह जहां से अरोह अवरोह का सिलसिला शुरू होता है और स्वर संतुलन बना रहता है इसीलिए उसका राम भी मर्यादा पुरुषोत्तम राम है, सब पर बराबर कृपा बनाए रखता है. अपने दायरे में ही रमे रहने की इस प्रवृत्ति के चलते ही भारत के किसी भी सम्राट ने कभी किसी दूसरे देश पर हमला नहीं किया सम्राज्य विस्तार के लिए. हर हाल में मस्त रहना ही शांतिप्रिय हिंदू समाज की खासियत है इसलिए बहुत दिन तक दूर नहीं रह सकता वह अपने मूल स्वभाव से.
इसलिए जरूरी है आने वाले वक़्त की आहट को सुनें और अपना रुख और नजरिया सुधार लें, अगर सत्ता में बने रहने की इच्छा है ! हिंदू समाज का स्थाई भाव नहीं है, उग्रता जैसे राम का योद्धा रूप भी उनका स्थायी स्वरूप नहीं है. औसत हिंदू शांति के साथ, संतोष और आंनद के साथ जीवन व्यतीत करना चाहता है. आंदोलित रहना उसका स्वभाव नहीं है. शस्त्र उठाना तो उसका आखिरी विकल्प है. ‘जेहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए’ यही संतोषी प्रकृति तो उससे ‘सर्वेभवन्तु सुखिन:’ की कामना करवाती है !
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