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‘भगवान था मेरा दामाद’ – कहकर माओवादी नेता चलपति के ससुर लक्ष्मण राव ने दिला दी भगवान बिरसा की याद

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‘भगवान था मेरा दामाद’ - कहकर माओवादी नेता चलपति के ससुर लक्ष्मण राव ने दिला दी भगवान बिरसा की याद
‘भगवान था मेरा दामाद’ – कहकर माओवादी नेता चलपति के ससुर लक्ष्मण राव ने दिला दी भगवान बिरसा की याद

‘भगवान था मेरा दामाद’ पत्रकारों के सामने कहकर माओवादी नेता चलपति के श्वसुर श्री लक्ष्मण राव ने सरकार और पुलिसियों में हड़कंप मचा दिया है. इसके साथ ही इस बयान ने मोदी-शाह के कॉरपोरेटपरस्त हत्यारे चेहरा को नंगा कर दिया और एक बार फिर भगवान बिरसा मुंडा की याद दिला दिया, जिन्होंने आदिवासियों और मेहनतकश लोगों के लिए अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठाये और अंग्रेज़ी हुकूमत के जुल्म के खिलाफ लड़ते हुए शहादत को वरण किया.

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में पुलिसिया मुठभेड़ में ख़बर के मुताबिक़ 27 माओवादी शहीद हो गए. इन्हीं में से एक थे चलपति नाम से प्रसिद्ध सीपीआई (माओवादी) के केन्द्रीय कमेटी सदस्य जिनपर सरकार और पुलिस ने एक करोड़ रुपये का इनाम रखा था. चलपति के शव को लेने आए उनके श्वसुर श्री लक्ष्मण राव ने पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में दावा किये कि उनका दामाद चलपति जनता के भगवान थे, जिनकी पुलिस ने हत्या कर दी.

माओवादी नेता चलपति के अंतिम संस्कार में हज़ारों लोगों का लगा जमावड़ा

पत्रकारों के एक और सवाल के जवाब में लक्ष्मण राव बताते हैं कि ‘जो अपने और अपने परिवार के लिए जीता है उसे इंसान कहते हैं, लेकिन जो दूसरों के लिए जीता है, उसे भगवान कहते हैं.’ चलपति के श्वसुर लक्ष्मण राव के इस इंटरव्यू ने सरकार और उसके पुलिस के आदिवासी विरोधी कॉरपोरेटपरस्त चेहरों से नकाब खींच कर नंगा कर दिया है. आइये, लक्ष्मण राव के संक्षिप्त इंटरव्यू में उनके द्वारा उठाये गए महत्वपूर्ण सवालों को जानते हैं जिसने मोदी-शाह के हिन्दुत्ववादी फासीवादी सत्ता को जड़ से झकझोर दिया है –

चलपति बहुत बड़ा नाम था लक्ष्मण जी नक्सली के लिए. एक करोड का इनाम सरकार बता रही है. आपकी बेटीया से शादी हुई थी.

लक्ष्मण राव: शादी तो मैंने किया नहीं लेकिन जब मेरे बेटी भी मूवमेंट में गई थी मैंने अख़बारों में, टीवी चैनलों वाले प्रसारण को देखे तब पता चला कि चलपती से शादी कर लिया.

क्या नाम है आपकी बेटिया का ?

लक्ष्मण राव: अरुणा उर्फ़ चेतन्या वेंकेट रवि.

वो भी नक्सली संगठन में काम कर रही है ?

लक्ष्मण राव: जी, कर रही है.

लक्ष्मण जी, एक पिता के लिए सपने होते हैं हर पिता के कि उसका बच्चा बड़े होके डॉक्टर बने, इंजिनियर बने, समाज में नाम कमाए, आपकी बिटिया नक्सली संगठन में चली गई, पति (चलपति) की हालत आप देख ही रहे हैं. क्या है ? कुछ कहना चाहेंगे ? गलती हुई है जीवन में ?

लक्ष्मण राव: नहीं, नहीं, नहीं. मैं ऐसा नहीं सोच रहा हूं कि गलत हुई है. अपना होता है, अपनों के लिए सोचने वाला है, दुनिया के लिए सोचने वाला है वो. अपना पेट भरने वाले तो इंसान कहते है, लोगों का पेट भरने वाला को भगवान कहते हैं. इसे मैं भगवान मानता हूं.

क्यों भगवान मानते हैं चलपती को ?

लक्ष्मण राव: क्यों न मानूं ? जंगल में जंग चल रहा है, किसके लिए चल रहा है जंग ? किसके लिए ?  ज़मीन के नीचे जो खनिज होता है उसको किसके हवाले करने के लिए यह सरकार आदिवासियों को बाहर भगा रही है ? किसके लिए ? किसके पेट भरने के लिए ? किसके तिजौरी भरने के लिए सर ?

आप नहीं चाहते कि जंगल का विकास हो, आदिवासी का विकास हो, आप चाहते हैं कि भूखे नंगी बने रहे हैं आदिवासी ?

लक्ष्मण राव: आपके ख़्याल में विकास क्या है ? सड़कें बनाना विकास है ? अरे, कपड़े नहीं है लोगों को, भूख मिटती नहीं है, घर नहीं है, पढ़ाई नहीं है, नौकरी नहीं है. उसे विकास कहते हैं ? विकास माने फ़्लाई ओवर बनाना, बड़ी बड़ी सड़कें बनाना ? नहीं सर. विकास वह है जब मान सम्मान से जीता है ज़िंदा आदमी, विकास उसको कहते हैं सर.

आप नहीं चाहते कि आदिवासी का बच्चा अच्छे स्कूल में पढ़े ?

लक्ष्मण राव: क्यों नहीं. क्यों नहीं.

लेकिन उसी का तो विरोध है. सड़कें बने तो विरोध करे, मोबाइल टॉवर को जला देते हैं.

लक्ष्मण राव: अब बातचीत टाइम से आ गये. सड़क किसलिए बन रहा है ? अडानी साहब के बड़े बड़े वाहन चलने के लिए.

आम आदमी नहीं चलेगा उस पर ?

लक्ष्मण राव: क्यों चलेगा? आम आदमी के चलने के लिए सिक्स लेन सड़क चाहिए क्या सर ? नहीं है. गांव में देख लीजिए. कितने गांव हैं बिना सड़क के, बिना बिजली के, बिना पानी के है.

आपके जो दामाद हैं, वो भगवान हैं?

लक्ष्मण राव: मेरे लिए भगवान है. मैं मानता हूं भगवान है. जो दूसरों के सेवा के लिए घर से निकल गया, अपना कदम पीछे नहीं लिया. उन्हें कैसे पकड़ा गया, कैसे हिंसा से मारा गया, मैं नहीं जानता. जल, जंगल, ज़मीन के लिए लड़ रहा था वो.

एक अन्य मीडिया के पत्रकार के बयान में श्री लक्ष्मण राव ने बताया कि मेरा नाम लक्ष्मण राव है. मैं आंध्र प्रदेश का रहने वाला हूं. यहां क्यों आया आपने पूछा नहीं. वो अखबार में था गरियाबंद में एनकाउंटर हुआ था. उसमें 14 लोगों की लाश बरामद की गई है. मैं कल शाम के आंध्र प्रदेश से दुर्ग की गाड़ी पकड़ गुरुवार सुबह यहां उतरा था. सुबह न्यूज पेपर में पढ़ा तो पता चला कि लाशें यहीं है. मैं तो गरियाबंद जाने वाला था. अभी अधिकारियों ने कहा कि वह शव दे रहे हैं.

उन्होंने बताया कि कभी चलपति ने घर आने की कोशिश नहीं की है. यहां तो जंगलों में काम करता है. मेरी बेटी भी काम करती है. इस दौरान एक मीडिया पर्सन ने पूछा कि आपकी बेटी भी नक्सली में काम करती है ? इस पर ससुर लक्ष्मण ने बोला कि हां करती है. अखबार में लिखा है कि मेरी बेटी यानी चलपति की वाइफ भी अमर हो गए हैं. मैं यह सुनकर डर गया और इधर भाग के आ गया. बेटी की मौत पर बोला कि उसका पता नहीं चला है. उसकी फोटो दिखाई तो बोले अधिकारी बोले शव नहीं है. हो सकता है कि वह अभी जंगल में हो.

एनकाउंटर पर स्टेट का राज चलता है. मैं ये सोच रहा हूं कि राज्य वो जो क्वेश्चन करने वालों को दबा दो. यहीं हो रहा है. अब जो स्टेट का गवर्नमेंट होता है ना वो बड़ा गवर्नमेंट होता है. उसका मकसद एक है जंगलों से आदिवासियों को हटा देना है. जंगलों को खाली कर देना है और किसी बड़े कॉर्पोरेटर और अफसर को देना है.

उन्होंने बताया कि उसकी चलपति से कभी कोई बात नहीं हुई. एनकाउंटर पर बोले कि वे एक मकसद पर थे तो चले गए. जान खतरे पर भी डाल के चल रहे हैं. नक्सली सही रास्ते पर थे ? इस पर लक्ष्मण ने कहा कि सही रास्ते पर है. मर रहे हैं. केंद्र सरकार ने घोषित कर दिया अल्टीमेट फाइनल डेट दे दिया. फरवरी 2026 में माओवादी खत्म कर देंगे. नक्सलवादी खत्म कर देंगे. लेकिन वो सैडो से फाइट कर रहे हैं. असली मुद्दा क्या है ? असली मुद्दा बेरोजगारी है, महंगाई है, भ्रष्टाचार है. उसके खिलाफ लड़ना है. उसके खिलाफ जो बोलता है उसको खत्म कर देता है. मैं बहुत छोटा हूं. राजनीति पर कुछ नहीं बोलना है.

माओवादी के केन्द्रीय नेता चलपति के शव को लेने आये श्री लक्ष्मण राव के सीधे साधे बयान ने देश भर की मेहनतकश जनता को झकझोर कर रख दिया है. जल, जंगल, ज़मीन के लिए लड़ने वाले माओवादी चलपति में लोग भगवान बिरसा मुंडा का दर्शन कर रहे हैं, जिन्हें कॉरपोरेट के कारिंदों ने मौत की नींद सुला दिया. यही कारण है कि चलपति के अंतिम यात्रा में हज़ारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी और अश्रुपूरित श्रद्धांजलि देते हुए जयकारा लगा रहे थे. अपने भगवान को अंतिम विदाई दे रहे थे.

  • महेश सिंह 

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