Home कविताएं माओ त्से-तुङ की कविता संख्या – 1 : छाङशा1

माओ त्से-तुङ की कविता संख्या – 1 : छाङशा1

4 second read
0
0
253

मैं एकाकी खड़ा
शरद की शीतलता में,
जहां श्याङ नद2 का जल
उत्तर ओर बह रहा,
नारंगी टापू3 के तट को
छूता कलकल.
देख रहा रक्ताभ शैलमालाएं ऊपर,
जहां गुलाबी रंग लिए वन
पंक्ति बनाए जमे खड़े हैं;
और पारदर्शी-से नीले जल में
भरती हिचकोले सब,
स्पर्धा में हैं दौड़ रही
शतशत नौकाएं.
विशद गगन में पंख पसारे
पवन चीर उड़ती हैं चीलें,
छिछली जलधारा में
खेल रही हैं मीनें;
जहां कोटिशः जीव
तुहिनमय नभ के नीचे
स्वतंत्रता के साथ
सभी संघर्षलीन हैं.
यह असीमता !
जिसके चिन्तन में डूबा मैं
पूछ रहा हूं :
इस अनंत धरती तल पर
है कौन यहां
उत्थान-पतन का निर्णय करता ?

खूब याद है मुझे आज भी
बीते वर्ष महीने-अनुपम
जब मैं अपनी मित्र-मण्डली लिए साथ में
पहुंचा कभी यहां था प्रमुदित !
युवा छात्र थे सभी
एक विद्या-मंदिर के,
था जीवन प्रसून हम सबका
पूर्ण प्रफुल्लित;
छात्रोचित उमंग से हमने,
सारे अवरोधों को अपने
दूर किया पूरे साहस से.
स्वयं पर्वतों नदियों को
इंगित कर हमने,
जोश भरा सबमें
बुलन्द स्वर देकर अपना;
नहीं धूल से अधिक
कभी समझे थे हमने,
बड़े-बड़े सत्ताधारी बलशाली भूपती.
याद अरे क्या नहीं आज
जब एक बार हम बीच धार थे,
और उछाली लहरें सबने
जल में मार थपेड़े कैसे ?
रोकी दौड़ रही नौकाएं
चंचल लहरों ने फिर कैसे ?

  • छिन य्वान छुन छन्द की लय में / 1925
  1. हुनान प्रांत की राजधानी, जहां अध्यक्ष माओ ने अपनी युवावस्था में शिक्षा प्राप्त की थी और.क्रांतिकारी कार्यवाहियां की थी.
  2. हुनान प्रांत की एक बड़ी नदी, जो छाङशा नगर से होती हुई उत्तर में तुङथिङ झील में जा गिरती है.
  3. श्याङ नदी का एक छोटा टापू.

साभार –

‘माओ त्से-तुङ की कविताएं’ पुस्तक
विदेशी भाषा प्रकाशन गृह, पेकिंङ
प्रथम संस्करण : 1978
चीनी लोक गणराज्य में मुद्रित

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध

    कई दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण ये शहर अब अपने पिंजरे में दुबके हुए किसी जानवर सा …
  • मेरे अंगों की नीलामी

    अब मैं अपनी शरीर के अंगों को बेच रही हूं एक एक कर. मेरी पसलियां तीन रुपयों में. मेरे प्रवा…
  • मेरा देश जल रहा…

    घर-आंगन में आग लग रही सुलग रहे वन-उपवन, दर दीवारें चटख रही हैं जलते छप्पर-छाजन. तन जलता है…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) भाकपा (माओवादी) से बर्खास्त

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पंजाब और बिहार के अपने कामरेडसद्वय जोसेफ (दर्शन पाल…