‘आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों का वेतन अगर बढ़ाया गया तो उसका मन बढ़ जायेगा और फिर वह काम नहीं करेगा. इसलिए किसी भी कीमत पर आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों का वेतन नहीं बढ़ाया जाये.’
– मनीष मंडल, चिकित्सा अधीक्षक-I, IGIMS, पटना
खुद को स्वतंत्रता सेनानी का पोता कहने वाला कुख्यात मनीष मंडल के ये अनमोल विचार आईजीआईएमएस के निदेशक आशुतोष विश्वास के उस प्रस्ताव पर आया जिसमें उन्होंने आईजीआईएमएस के आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के वेतन को पटना एम्स के बराबर करने का प्रस्ताव रखे थे. लेकिन मनीष मंडल (चिकित्सा अधीक्षक), अनिल कुमार चौधरी (लेखा अधिकारी), सुरेश कुमार यादव (मुख्य प्रशासनिक अधिकारी) जैसे कुख्यात गिद्दों के गैंग के भारी विरोध के कारण प्रस्ताव उनका गिर गया और महज कुछ हजार रुपयों की बढ़ोतरी पर आकर टिक गया.
कुख्यात मनीष मंडल के आपराधिक कारनामों से बदनाम होता IGIMS
सामंती मिजाज यह गिद्ध मनीष मंडल जब से आईजीआईएमएस चिकित्सा अधीक्षक के पद पर पदस्थापित हुए हैं, तब से ही आईजीआईएमएस की प्रतिष्ठा और कार्यशैली पर बुरा प्रभाव पड़ा है और इसकी कुख्याति बिहार के दूर-दराज के गांवों तक सुनी जाने लगी है. इस बात की स्वीकारोक्ति उप-निदेशक विभूति प्रसाद सिन्हा के उस बयान में भी झलकती है जिसमें उन्होंने कहा है कि ‘उनकी प्राथमिकता लोगों के खोये हुए विश्वास को कायम करना है.’
और लोगों में इस विश्वास खोने का प्रधान कारण है आईजीआईएमएस में घुसपैठ कर चुके यह सामंती गिद्ध मनीष मंडल. आईजीआईएमएस से अपनी माता को ऑटो से अपने घर नालंदा के लिए जा रहे एक पुत्र ने आईजीआईएमएस की कुव्यवस्था और मनीष मंडल के बारे में जिस प्रकार अपनी राय रख रहे थे वह आईजीआईएमएस पर से लोगों के हिलते विश्वास का द्योतक है. उक्त महिला मरीज के परिजन उनके पुत्र ने बताया –
‘अगर मैं अपनी मां को लेकर आईजीआईएमएस से नहीं भागता तो, कुछ दिन में मेरी मां मर जाती. अब हम अपनी मां का ईलाज किसी अन्य जगह करवाऊंगा. वहां कोई सुनने वाला नहीं है. कहीं बोलने पर मनीष मंडल (असल में चिकित्सा अधीक्षक-I) नामक एक डॉक्टर सीधे मारने की धमकी देता है. वह अपने साथ चार पांच बाऊंसर लेकर चलता है, जो उसके इशारे पर किसी भी मरीज के साथ, उसके परिजनों के साथ मारपीट करने लगता है. यह सब देखकर मैं डर गया और अपनी मां को लेकर भाग निकला. अब घर जाकर पैसे लेकर आऊंगा तब किसी अन्य जगह दिखाऊंगा.’
विदित हो कि ऐसी घटना आईजीआईएमएस में अक्सर होती रहती है. जैसा कि मनीष मंडल कर कहना है कि ‘मीडिया उसके पिछवाड़े में रहता है,’ तो अनेकों घटनाओं का कहीं पता भी नहीं चलता है. फिर भी कभी कभार कुछ घटनाएं प्रकाश में आ ही जाती है, उसी में से एक खबर इस प्रकार है. दैनिक भास्कर, प्रभात खबर आदि अखबारों में 17 जनवरी, 2019 को एक खबर छपी थी. इस खबर का सीधा संबंध आईजीआईएमएस, पटना के एमएस मनीष मंडल और उसकी गुण्डागर्दी से है. खबर के अनुसार –
आईजीआईएमएस, पटना में आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज कराने हिलसा से आए रवीन्द्र मांझी के परिजन के साथ गार्ड ने मारपीट की. काउंटर पर भीड़ थी. रवीन्द्र मांझी के साथ आए दीपक ने गार्ड से जल्द दिखाने की व्यवस्था कराने की बात कही क्योंकि रवीन्द्र मांझी को लकवा की शिकायत थी. इसको लेकर गार्ड के साथ पहले बकझक हुई. बाद में दीपक वीडियो बनाने लगा तो बात बढ़ गई और गार्ड ने दीपक की पिटाई कर दी.
दीपक को कुछ देर के लिए कमरे में बंद कर दिया गया था. अंत में उसे वीडियो डिलीट करना पड़ा. रवीन्द्र को आयुष्मान भारत योजना का कार्ड रहते हुए बगैर इलाज घर लौटना पड़ा. मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि घटना की जानकारी मिली है. पर किसी ने इस बाबत शिकायत नहीं की है.’
इस तरह की घटनायें अक्सर ही आईजीआईएमएस, पटना में घटती रहती है, जिसका कहीं कोई संज्ञान नहीं लिया जाता है. पीड़ित मनीष मंडल के गुण्डागर्दी से डर कर चुपचाप चले जाते हैं फलतः घटनाओं की कहीं कोई रिर्पोटिंग तक नहीं हो पाती है.
इसी तरह की एक अन्य घटना इस संस्थान में घटित हुई जिसका संयोगवश लोगों ने वीडियो बना लिया था, जिसमें अंतिम सांस ले रहे मरीज को उसके परिजनों के लाख गुहार के बावजूद गार्ड द्वारा किस तरह अपमानित किया जा रहा है, उसकी एक बानगी देखिए –
और ये आज की बानगी है, आईजीआईएमएस के वार्ड में गार्ड ने मरीज के परिजनों की पिटाई कर दिया. इस गंभीर वाकया को देखकर जन अधिकार पार्टी के संस्थापक नेता पप्पू यादव को भी आना पड़ा –
आईजीआईएमएस, अब मनीष मंडल के निजी गुंडों का अड्डा बन गया है
आईजीआईएमएस अपनी स्थापना काल से ही अपनी बेहतरीन स्वास्थ्य व्यवस्था और उच्चकोटि के ईलाज के लिए बिहारवासियों के बीच बेहद लोकप्रिय हुआ. यहां तक की बिहार से बाहर जाने वाले मरीजों का भी उच्चकोटि का इलाज बेहद ही सस्ते खर्च पर होने लगा. लेकिन जब से इस संस्थान में मनीष मंडल को चिकित्सा अधीक्षक के पद पर सुशोभित किया गया है, तब से यह संस्थान दिनों दिन कुख्यात होता जा रहा है. लोग अब यहां इलाज कराने से कतराने लगे हैं.
अहंकारी मनीष मंडल इस कदर हैवानियत पर उतर आये हैं कि उन्होंने निजी ‘सुरक्षा’ गार्ड का एक गैंग तैयार कर लिया है, जो मरीजों से वसूली, परिजनों के साथ मारपीट के साथ-साथ वहां कार्यरत कर्मियों के साथ भी हैवानियत के साथ पेश आते हैं. इतना ही नहीं इसके गुंडे गैंग से तो वरिष्ठ अधिकारी भी थर्राते हैं, इसके खिलाफ कोई भी कदम उठाने से हिचकते हैं. मनीष मंडल बताते हैं कि –
‘उसका जांच पहचान भारत के प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के जजों के साथ-साथ अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ भी है. वह जब चाहे, जिसको चाहे, बर्बाद कर सकता है. दुनिया से उठा सकता है.’
मनीष मंडल की यह परिचय कोई कोरी गप्प नहीं है, बल्कि वास्तविक सच्चाई है. एक अपराधी का एक प्रतिष्ठित मेडिकल संस्थान का चिकित्सा अधीक्षक बनने की परिघटना बिहार जैसे राज्यों में ही संभव है. इसकी एक झलक आईजीआईएमएस के पूर्व निदेशक को भी मिल चुकी है, जब इन्हें छात्रों के जबर्दस्त विरोध के बाद चिकित्सा अधीक्षक के पद से हटा दिया गया था, और एक अन्य डॉक्टर को चिकित्सा अधीक्षक का चार्ज सौंपा था. लेकिन मनीष मंडल ने आनन-फानन में अपने गुंडा गिरोह के साथ तत्कालीन निदेशक के चैंबर में घुसकर जबरन अपना सस्पेंशन वापस कराया और चिकित्सा अधीक्षक-I के पद पर वापस बहाल हुआ. कहा जाता है कि मनीष मंडल ने पूर्व निदेशक को जान से मारने का भी धमकी दिया था.
मामला क्या था ?
खबर के अनुसार, कॉलेज कैंपस में एक मेडिकल छात्रा के साथ छेड़खानी के बाद मेडिकल स्टूडेंट्स आंदोलन पर उतर आए. छात्रों का यह आन्दोलन 2 दिनों तक चलता रहा. छात्रों का कहना था कि चिकित्सा अधीक्षक मनीष मंडल से मामले की शिकायत की, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की, उल्टे छात्राओं को ही नसीहत दे डाली कि ‘छात्राएं देर रात बाहर न घूमा करे. हर व्यक्ति को सुरक्षा देना प्रबंधन के बस में नहीं.’ मनीष मंडल के इसी रवैये से छात्र बौखला गए और प्रदर्शन पर बैठ गए. छात्रों के इसी जबरदस्त विरोध और मांग के बाद मनीष मंडल को चिकित्सा अधीक्षक के पद से हटा दिया गया था.
विदित हो कि छेड़खानी की शिकार मेडिकल छात्राओं को जब रात्रि नौ बजे के बाद बाहर न निकलने का नसीहत मनीष मंडल दे रहे थे, कि वह कैंपस के अंदर हर किसी को सुरक्षा नहीं दे सकते, उसी समय वह आईजीआईएमएस में कार्य करने वाली महिलाकर्मियों को रात्रि ग्यारह बजे, बिना किसी परिजनों को बुलाये, ड्यूटी छोड़ने का हुक्म जारी कर रहे थे. उनका कहना था कि अगर कोई भी महिलाकर्मी रात्रि ग्यारह बजे के पहले ड्यूटी से बाहर आई तो उसकी नौकरी छीन ली जायेगी.
मनीष मंडल नामक यह हैवान कितना खतरनाक हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपने ही कैंपस में रात्रि नौ बजे ही अपनी छात्राओं को सुरक्षा देने में नाकाम यह कुख्यात मनीष मंडल महिलाकर्मियों को रात्रि ग्यारह बजे के बाद ही ड्यूटी से बाहर अपने घर जाने को मजबूर कर रहे थे, जबकि रात्रि ग्यारह-बारह बजे पटना की सड़कों पर एक अकेली महिला का चलना कितना खतरनाक है, यह किसी से ढंकी-छुपी बात नहीं है. और फिर जल्दी ही एक घटना भी घट गई जब रात्रि ड्यूटी से घर जा रही एक महिलाकर्मी की नृशंस हत्या अपराधियों ने कर डाला. कई महिला कर्मियों के साथ छिनछोड़ की घटनाएं भी हुई, मगर मजाल है जो मनीष मंडल के चेहरे पर शिकन भी आई हो !
बहरहाल, मेडिकल छात्रों के जबरदस्त विरोध के बाद मनीष मंडल को चिकित्सा अधीक्षक पद से तो हटा दिया गया लेकिन तुरंत ही मनीष मंडल ने अपने गैंग को एकजुट कर तत्कालीन निदेशक के चैंबर में घुसकर उन्हें पकड़ लिया और जबरन अपने पद पर वापसी किया. क्या अब भी आपको बेहद खतरनाक मनीष मंडल की बातों पर कोई संदेह है ? अगर हां, तो निःसंदेह आप अपनी मौत या बर्बादी का इंतजार कर रहे हैं.
अपनी पत्नी के कैंसर का इलाज आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के वेतन से कराते हैं मनीष मंडल ?
जब से मनीष मंडल आईजीआईएमएस में मनीष मंडल पधारे हैं उनकी दो ही इच्छा है – धन और औरत. धन के लिए वह अपने बाउंसर गिरोह के साथ मिलकर लूट का बाजार गर्म किये हुए हैं, जहां हर पल आप मौत के करीब पहुंच रहे होते हैं. जानकार बताते हैं आऊटसोर्सिंग कम्पनियों से भारी घूस लेकर उसको टेंडर दिया जाता है. घूस की यह रकम करोड़ों में होती है, जिसका बड़ा हिस्सा मनीष मंडल खुद रखता है और छोटा हिस्सा अपने गिरोह में बांट लेता है. अगर आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों को उचित वेतन मिल जाये तो उसे घूस के रुप में मिलने वाली करोड़ों की राशि से वंचित रहना पड़ेगा.
दूसरा कारण यह है कि कम वेतन में काम करने वाले कर्मचारी खासकर महिला कर्मचारियों का वेतन बढ़ जाने की सूरत में प्रलोभन देकर या डराकर उसका शोषण नहीं कर पायेंगे. जानकार बताते हैं कि ये महिला कर्मियों के शोषण के लिए उसपर तरह तरह का दवाब बनाते हैं, और जो इनकी इच्छा के मुताबिक नहीं चलती है उसे यह परेशान करते हैं, नौकरी से निकालने की धमकी देते हैं.
लाखों का वेतन और करोड़ों रुपये भ्रष्टाचार से अर्जित करने वाले मनीष मंडल का दिमागी संतुलन बिगड़ गया है. खुद मनीष मंडल के शब्दों में ‘लाखों का वेतन व अन्य सुविधा मिलने के कारण उनका मन बढ़ गया है, कि वह काम नहीं करना चाहते हैं.’ (जैसा कि उन्होंने आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए कहा है). ऐसे असभ्य, भ्रष्ट, अर्कमण्य गालीबाज मनीष मंडल को आईजीआईएमएस जैसी प्रतिष्ठित संस्थान का चिकित्सा अधीक्षक बनाकर सरकार आखिर किसका हित साध रही है ? आखिर इनपर कार्रवाई क्यों नहीं होती है ?
वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर मनीष मंडल से मिलने गये कर्मचारियों से मनीष मंडल कहता हैं कि ‘मेरी पत्नी को कैंसर की बीमारी है. उसमें बहुत खर्च होता है…’. बहरहाल, यह देखना मजेदार रहेगा कि आखिर कबतक आऊटसोर्सिंग कर्मचारी अपने वेतन से मनीष मंडल की पत्नी के कैंसर का इलाज करते रहेंगे ? इसके साथ ही यह भी जानना मौजूं रहेगा कि आईजीआईएमएस के आकाश में मंडराते इस गिद्द मनीष मंडल को बिहार सरकार कब तक बर्दाश्त करती रहेगी ? शायद तब तक जब तक कि यह शानदार संस्थान बुरी तरह बदनाम न हो जाये अथवा जब तक बिहार की जनता इस गिद्द के खिलाफ न उठ खड़ी हो जाये !
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