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आधार के जरिए मुनाफा कमाना ही इस व्यवस्था का फाइनल डेस्टिनेशन है

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girish malviyaगिरीश मालवीय

सरकार ने आधार पर जारी एडवाइजरी वापस ले ली है. सरकार ने जो एडवाइजरी जारी की थी उसमे केवल मास्क्ड आधार कार्ड को दूसरे लोगों के साथ शेयर करने के लिए कहा था. अब कह रही है कि नागरिक अपने विवेक से निर्णय ले कि किसे देना है, किसे नहीं. आज आधार केवल एक पहचान संख्या मात्र नहीं है. बल्कि इससे हर व्यक्ति की हर तरह की बेहद निजी जानकारी (टेलीफोन नंबर, बैंक खाता, स्वास्थ्य, जीवन बीमा आदि) को भी जोड़ दिया गया है.

सिम लेने के लिए भी अब आधार की जानकारी मांगी जाती हैं. वोटर आईडी को भी आधार से जोड़ा गया है. यहां तक कि सरकार ने लोगों के आधार डेटा को उनके कोरोना के टीकाकरण से जोड़ दिया है, जबकि साल 2015 में कोर्ट ने सिर्फ़ छह योजनाओं के लिए आधार के इस्तेमाल को अनुमति दी थी, वो भी स्वेच्छा से पर मोदी सरकार उसे पूरी तरह से अनिवार्य बना दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने सिम लेने के लिए, एडमिशन के लिए, बैंक अकांउट खोलने के लिए आधार की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था लेकिन आज ये कार्य करने के लिए आधार देने से मना कर के देख लीजिए, आपकी चप्पले न घिस जाए तो बोलिएगा. दरअसल आधार की व्यवस्था न्यू वर्ल्ड ऑर्डर के निर्माण का सबसे जरूरी घटक है. तीसरी दुनिया के तमाम देशों में पिछ्ले 15-20 सालों में यह व्यवस्था लागू करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं. आधार के बारे में भी कहा जा रहा है कि आधार का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल पहचान मानकों के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.

फिलहाल आधार जैसी व्यवस्था को अफ्रीकी देशों में लागू करने पर जोर दिया जा रहा है और तर्क वही घिसा पिटा है कि सुरक्षा के लिए यह जरूरी है. अफ्रीका के 54 देशों में से कम से कम 50 में अनिवार्य सिम पंजीकरण कानून बनाए गए हैं, जहां आधार जैसी व्यवस्था की जा रही है.

आपको जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि नाइजीरिया में कुल 2 करोड़ मोबाईल धारक हैं. पिछले महीने उनमें से 73 लाख़ यानि एक तिहाई से अधिक लोगों को मोबाईल कॉल करने से रोक दिया गया है क्योंकि वे राष्ट्रीय डिजिटल पहचान डेटाबेस में पंजीकृत नहीं थे.

नाइजीरिया भी भारत जैसे लगभग एक दशक से 11-अंकीय इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी कर रहा है, जो किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत और बायोमेट्रिक डेटा को रिकॉर्ड करता है, जिसमें उंगलियों के निशान और फोटो शामिल हैं. इसलिए यह मानकर चलिए कि आधार एक ग्लोबल फिनोमिना है और इसके पीछे किए जा रहे षड्यंत्र बहुत गहरे हैं. आपको वक्त आने पर ही समझ आएंगे.

दरअसल आधार से जुड़ी जानकारियों की बाज़ार को बहुत ज़रूरत है. हम किस उम्र के हैं, हमारी आय कितनी है, हम कहां यात्रा करते हैं, हमारा बैंक खाता कहां है, ये सभी जानकारियां अलग-अलग कंपनियां अपना उत्पाद बनाने में इस्तेमाल करती है. जैसे बैंक हमसे जमा के बारे में बात करेगा, बीमा कंपनी बीमा की योजना पेश करेगी, निवेश कंपनी कहेगी आपके खाते में इतनी राशि है, ये हमें दे दीजिए, अस्पताल वाले इलाज की योजना देंगे; पूंजीवादी व्यवस्था आधार के जरिए हम में से हर एक से मुनाफा कमाना चाहती है और मुनाफा कमाना ही इस व्यवस्था का फाइनल डेस्टिनेशन है.

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