सोशल मीडिया, खासकर फेसबुक, ह्वाट्स एप, ट्विटर, यू-ट्यूब आदि का इस्तेमाल देश के सबसे प्रतिक्रियावादी राजनीतिक गिरोह आरएसएस-भाजपा जितने वृहद पैमाने पर झूठ फैलाने के लिए कर रहा है, देश के प्रगतिशील ताकत उतना ही कम इसका उपयोग सच फैलाने के लिए कर रहा है. आज जब विज्ञान के विकास ने हर हाथों में सोशल मीडिया की पहुंच दे रखी है, ऐसे में इस माध्यम को अछूता छोड़ देना या कम इस्तेमाल करना, दरअसल झूठ को प्रसारित करने का एक मौका ही देना होता है.
ऐसे अनेक मौके आये हैं जब सोशल मीडिया ने संघियों के झूठ के खिलाफ सच की रक्षा में अपनी उपयोगिता साबित किया है, तब भी अगर प्रगतिशील ताकतें सच की रक्षा और अपनी राजनीतिक को जनता तक ले जाने में इसके इस्तेमाल में संकोच करते हैं तब वे जनता के प्रति, सच के प्रति, क्रांति की निष्ठा के प्रति अपराध कर रहे होते हैं. प्रस्तुत आलेख इसी विषय को मजबूती से स्थापित करती है – सम्पादक
मुनेश त्यागी
आजकल मीडिया और संचार के माध्यमों पर देश और दुनिया के लुटेरे पूंजीपतियों और उनकी कॉरपोरेशंस ने कब्जा कर लिया है और इन माध्यमों को भी अपने शोषण, जुल्म, अन्याय, लूट और भेदभाव को बरकरार रखने का माध्यम बना लिया है. और इन्हें पैसा कमाने, झूठ परोसने, अपने विरोधियों की आवाज को दबाने और खत्म करने का माध्यम बना लिया है. आज इन माध्यमों की कार्यप्रणाली से, इनके इरादों से और इनके कर्मों से, देश और दुनिया की जनता परेशान हैं.
मगर इसी के साथ-साथ फेसबुक और व्हाट्सएप व इंस्टाग्राम जैसे आधुनिक माध्यम मानो जनता की रक्षा करने के लिए, उसे सुरक्षा प्रदान करने के लिए, उसे अपनी बात कहने के लिए और लुटेरे पूंजीपतियों और कारपोरेशन्स द्वारा फैला रहे झूठ और असत्य का सामना करने के लिए, उसके हाथों में आ गए हैं. आज फेसबुक और व्हाट्सएप, अपनी बात कहने के लिए शोषित-पीड़ित जनता के हाथ में बहुत बड़े कारगर हथियार हैं.
उनका प्रयोग हम, ज्ञान विज्ञान का प्रचार प्रसार करने के लिए कर सकते हैं. फेसबुक आज अज्ञानता के विध्वंस का माध्यम भी बन गया है. यह प्रगतिशील शिक्षा के प्रचार-प्रसार का एक उम्दा माध्यम बन गया है. फेसबुक और व्हाट्सएप आज अंधविश्वासों और धर्मांधता के घनघोर साम्राज्य को धराशाई करने के सशक्त माध्यम बन गए हैं.
फेसबुक और व्हाट्सएप के माध्यम आज आधुनिकतम विचारों जैसे जनता का जनतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, न्याय और समाजवाद के विचारों के विस्तार का बेहतरीन माध्यम बन गए हैं. आज हम देख रहे हैं लुटेरा पूंजीवाद और साम्राज्यवाद जनता को गरीबी, अंधविश्वास, शोषण, अन्याय और अभावों से मुक्ति नहीं दिला सकते. इस बारे में हमें फेसबुक और व्हाट्सएप के माध्यम से जनता को समझाना होगा और उसे मुक्ताकारी ज्ञान विज्ञान और तकनीकी जानकारियों से ओतप्रोत करना होगा.
फेसबुक के माध्यम से हम जनता के प्रहरी, जनता के दोस्त, समर्थक और सहयोगी बनकर पूरे देश और दुनिया की जनता को, दुनिया के मुक्तिदाता विचारों से, लेखकों कवियों से, वैज्ञानिकों वकीलों और जजों से, अवगत करा सकते हैं. इनके माध्यम से हम शोषित और पीड़ित जनता को क्रांतिकारी विचारों की और क्रांतिकारी विचारकों की जानकारियां दे सकते हैं. इन के माध्यम से हम क्रांतिकारी और वैज्ञानिक समाजवादी समाज की रूपरेखा जनता के सामने पेश कर सकते हैं.
फेसबुक और व्हाट्सएप गाली गलौज, धर्मांधता, अंधविश्वास झूठ और सेक्सुअल विकृतियां फैलाने के माध्यम नहीं हो सकते. हमें जनता को बचाने के लिए, इन सशक्त माध्यमों को का प्रयोग करना होगा. जनता को सावधान और जागरूक करने के लिए इन प्रभावकारी माध्यमों का प्रयोग करना होगा. आज जब पूंजीपतियों द्वारा अपने अखबारों और मीडिया के माध्यम से जनता के संघर्षों का गला घोट दिया गया है, जनता के संघर्षों को अखबारों और चैनलों के माध्यम से, उनके सामने आने से रोक दिया है, ऐसे में फेसबुक और व्हाट्सएप जनता के संघर्षों को, जनता के सामने लाने और प्रदर्शित करने में, बहुत बड़ी भूमिका अदा कर रहे हैं.
फेसबुक के माध्यम से हम अपने समाज देश और दुनिया से पीड़ित वंचित किसानों, मजदूरों और मेहनतकशों को, छात्रों नौजवानों को बता सकते हैं कि वे दुनिया के बेहतरीन लेखकों, कवियों, दार्शनिकों, वैज्ञानिकों और जजों के लेखन का अध्ययन करें. इनमें हम शामिल कर सकते हैं – गौतम बुध, रविदास, कबीर दास, गुरु नानक, अशोक महान, टीपू सुल्तान, 1857 के भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बहादुर शाह जफर, नाना साहेब, तात्या टोपे, अज़ीमुल्ला खान, मौलाना अहमद शाह, महारानी लक्ष्मी बाई, और भारत के क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल अशफाक उल्ला खां और सुभाष चंद्र बोस.
इस सूची में हम शामिल कर सकते हैं दुनिया के महान चिंतक लेखक और क्रांतिकारी दार्शनिक कार्ल मार्क्स, फ्रेडरिक एंगेल्स, लेनिन, स्टालिन, हो ची मिन्ह, माओ त्से तुंग, फिदेल कास्त्रो, दुनिया के महान वैज्ञानिक कोपरनिकस, गैलीलियो, डार्विन, यशपाल, महान लेखक और कवि शेक्सपियर, वोल्तायर, चैर्नेशैवस्की, प्रेमचंद, सुभद्रा कुमारी चौहान, रवीन्द्र नाथ टैगोर, निराला, फैज अहमद फैज, हबीब जालिब, मायाकोवस्की, पाब्लो नेरुदा, मैक्सिम गोरकी, दिनकर, दुष्यंत कुमार, भारत के महान न्यायमूर्ति कृष्णा अय्यर.
और इसमें हम शामिल कर सकते हैं भारत के स्वतंत्रता सेनानी जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधीजी, गरीबों के मसीहा बाबासाहेब आंबेडकर, समाजवादी चिंतक जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, मधुलीमिय और भारत के कम्युनिस्ट आंदोलन के महान नेता और मुख्यमंत्री पीएमएस नंबूद्रीपाद और ज्योति बसु जिन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में भारत के किसानों, मजदूरों और मेहनतकशों को सीमित शक्तियों के बावजूद, मजदूर कानून उपलब्ध कराएं और महान भूमि सुधार किए और किसानों और खेतिहर मजदूरों का कल्याण किया.
फेसबुक और व्हाट्सएप के माध्यम से, यह काम हम एक वाक्य से शुरू कर सकते हैं, फिर धीरे-धीरे छोटे छोटे पैराग्राफ लिखकर जनता के सामने पेश कर सकते हैं, फिर इसे एक लेख का रूप दे सकते हैं. यही काम हम छोटी-छोटी वीडियो डालकर भी कर सकते हैं. यहीं पर हमारा अनुभव कह रहा है कि हम फेसबुक और व्हाट्सएप पर बहुत बड़े-बड़े लेख ना लिखें, इन्हें किताब बनाने से बचें. बड़ी-बड़ी रचनाओं से लोग, इनसे बचने लगते हैं और दूर भागने लगते हैं.
हमारा मानना है कि ज्यादा से ज्यादा 400-500 शब्दों में अपनी बात खत्म कर देनी चाहिए. अगर विषय लंबा है तो हम अपनी बात को कई हिस्सों में बांट कर जनता के सामने रख सकते हैं. इन दोनों माध्यमों से हम जनता के सामने, दुनिया के बेहतरीन और क्रांतिकारी लेखकों, कवियों और वैज्ञानिकों की कविताओं और लेखों और वैज्ञानिक खोजों का दुनिया के सामने प्रचार और प्रसार कर सकते हैं और हमें यह काम अवश्य ही करना चाहिए.
आइए, हम सब मिलकर फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे बेहतरीन माध्यम को अपने संघर्षों का अपनी बात कहने का, एक बेहतरीन विकल्प बनाएं. इन्हें ज्ञान, विज्ञान, तर्क, विश्लेषण, लॉजिक, बहस, खोज, शिक्षा, अन्वेषण, शिक्षण प्रशिक्षण और ज्ञान-विज्ञान की संस्कृति का प्रचार प्रसार करने का एक बेहतरीन माध्यम बनाएं. फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे आधुनिकतम बेहतरीन और अनमोल माध्यम से हम, एक नए इंसान का, नए समाज का और नए देश और दुनिया का निर्माण कर सकते हैं, जिसमें शोषण जुल्म ना हो, अन्याय न हो, भेदभाव ना हो, हिंसा और अपराध न हों, गरीबी अमीरी ना हों, धर्मांधता और अंधविश्वास ना हों.
इन्हीं फेसबुक और व्हाट्सएप के माध्यम से हम पूरे समाज देश और दुनिया में ज्ञान विज्ञान का साम्राज्य पैदा कर सकते हैं, जनता को अंधविश्वासों से बचा सकते हैं और उनके अंदर समता, समानता, न्याय, भाईचारे, जनता का जनतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, क्रांति और समाजवाद के आधुनिकतम मूल्यों का प्रचार प्रसार कर सकते हैं.
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