‘मैं देश नहीं बिकने दूंगा’, मोदी का ये नारा याद कीजिये. भरोसा दिया था. लेकिन आज खुद मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद देश की संपत्तियों को बेचने निकल पड़े हैं. मोदी ने डिसइन्वेस्टमेंट ( सरकारी संपत्तियों को बेचकर) के जरिये इसी वित्त बर्ष ( 2019-20) में 90,000 कऱोड जुटाने का लक्ष्य बनाया है. इसी प्रकरण में नीति आयोग ने DIPAM यानी ‘डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट्स मैनेजमेंट’ को एक लिस्ट भेजी है, जिसमे 50 PSU कंपनियों के कुछ यूनिट बेचने या पूरी कंपनी को ही बेचने को लेकर जारी की गई है.
देश की जीडीपी नीचे जा रही, बेरोजगारी चरम पर है. नोटबन्दी, जीएसटी के कारण अर्थब्यवस्था में धक्का लगने के बाद बैंकों की हालत पहले ही बिगड़ गयी थी. ऊपर से ये NPA (नॉन-परफार्मिंग एसेट्स) ने बैंक की हालत और बदतर कर दी है. कुछ दिन पहले ही रिपोर्ट आई थी कि 16 PSU बैंकों में 14 बैंकों की लगातार इस बर्ष 74277.44 कऱोड का घाटा हुआ है. इसके अलावा पिछले एक वर्ष में ही 71,500 कऱोड का बैंक फ्रॉड हुआ है. मतलब ये कि पिछले 5 बर्षों से लगातार बैंक बर्बाद होती चली गयी. अब सरकार की नज़र आरबीआई की रिज़र्व मनी पे है, कुछ दिन के बाद उससे भी पैसे निकालने की खबर आएगी ही.
अब डिसइन्वेस्टमेंट के जरिये पैसे जुटाने की मुहिम चल रही है. इससे मोदी सरकार के पास भी पैसा आएगा और पार्टी फंड में भी. आपको जो 24 घंटे 365 दिन बिकाऊ मीडिया अखबार सब सरकार की स्तुति गान सुनाने में लगे होते हैं, वो मुफ्त में नहीं होते. भाजपा के प्रचार तंत्र और चुनावी युद्ध में खर्च का मुकाबला दूर-दूर तक कोई विपक्षी पार्टी नहीं कर सकती. इन सबका पैसा कहीं न कहीं से निकाला ही जायेगा.
नीति आयोग ने 50 PSU कंपनियों की जो लिस्ट जारी की है, उसमें से कुछ के नाम इस प्रकार है –
- एनटीपीसी – इसके बदरपुर यूनिट और 400 एकड़ जमीन बेची जाएगी.
- भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड – कुछ यूनिट या जमीन बेचे जायेंगें.
- स्टील ऑथोरिटी ऑफ इंडिया – कुछ यूनिट या जमीन बेचे जायेंगें.
जो PSU पूरी तरह से बेच दिए जाएंगे –
- एयर इंडिया
- पवन हंस
- स्कूटर इंडिया
- भारत पंप एंड कंप्रेसर
- प्रोजेक्ट एंड डेवलोपमेन्ट इंडिया लिमिटेड
- हिंदुस्तान फ्री फैब
- हिंदुस्तान न्यूज़ प्रिंट
- ब्रिज एंड रूफ कंपनी
- हिंदुस्तान फ्लोरोकारबस
- हिल लाइफ केअर
- सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिकस
- नगरनार स्टील प्लांट
इन सभी PSU का गठन कब हुआ था ?
- एनटीपीसी, 1975
- बीईएमएल, 1964
- सैल, 1954
- एयर इंडिया, 1946
- पवन हंस, 1985
- भारत पम्प एंड कम्प्रेसर, 1970
- प्रोजेक्ट एंड डेवलेपमेंट इंडिया लिमिटेड, 1978
- हिन्दुस्तान प्रिलैब लिमिटेड, 1953
- हिन्दुस्तान न्यूजप्रिंट लिमिटेड, 1983
- ब्रिगेज एंड रूफ कम्पनी, 1920
- हिन्दुस्तान फ्लोरोकार्बन लिमिटेड, 1983
- हिल लाईफ केयर, 1966
- सेन्ट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स, 1974
- नागरनार स्टील प्लांट, 2009
डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक एंटरप्राइजेज (DPE) ने जनवरी 2017 की एक रिपोर्ट में सार्वजनिक उपक्रमों की परिभाषा बताई है. यहां बता दें कि सार्वजनिक उपक्रम यानी पीएसयू का ही CPSE भी एक पार्ट होता है. पीएसयू का मतलब पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग होता है तो सीपीएसई का मतलब सेंट्रल पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज होता है. दोनों का आशय सरकारी स्वामित्व की कंपनियों से है. कंपनी एक्ट, 2013 में दी परिभाषा के मुताबिक वे कंपनियां, जिनमें 50 प्रतिशत से अधिक इक्विटी शेयर्स केंद्र सरकार के होते हैं. इन कंपनियों की सहायक कंपनियां भी अगर भारत सरकार में पंजीकृत हैं तो इन्हें भी CPSE में वर्गीकृत करते हैं.
नरेंद्र मोदी तो क्या पूरी भाजपा ने इनमें से एक भी कंपनी का गठन नहीं किया है. नेहरू और पिछले 70 साल की सत्ता को दोष देने वाली पार्टी उसी 70 साल में बने भारत को बेच रहा है और फिर नारा दिया जा रहा ‘मैं देश नहीं बिकने दूंगा.’
- अज्ञात
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