ग्रेटा ने हैशटैग स्टैंड विद दिशा रवि का इस्तेमाल करते हुए ट्वीट किया है. अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने फ़्राइडेस फ़ॉर फ़्यूचर इंडिया नामक संगठन के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए टूलकिट मामले में गिरफ़्तार की गई पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि के समर्थन में ट्वीट करते हुए कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ऐसा मानवाधिकार है जिस पर किसी भी क़ीमत पर समझौता नहीं किया जाता सकता है.
उन्होंने ट्वीट में लिखा है, ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों का अधिकार और उसके लिए इकट्ठा होना कुछ ऐसे मानवाधिकार हैं, जिस पर किसी भी क़ीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता है. ये किसी भी लोकतंत्र के मूलभूत हिस्से होने चाहिए.’
Freedom of speech and the right to peaceful protest and assembly are non-negotiable human rights. These must be a fundamental part of any democracy. #StandWithDishaRavi https://t.co/fhM4Cf1jf1
— Greta Thunberg (@GretaThunberg) February 19, 2021
परन्तु, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश कहलाने वाला देश भारत अब पुराने राजतंत्र की ओर लौट रहा है, जहां एक ओर राजा होंगे और दूसरी ओर होंगे उसकी आलोचना करने वाले देशद्रोही जनता, जिसे पकड़ पकड़कर जेलों में डाला जायेगा, आतंकित किया जायेगा. वहीं दिशा रवि जोसफ की तरफ से अदालत में कहा गया है कि अगर किसानों के आंदोलन का समर्थन करना देशद्रोह है, तो बेहतर है कि वह जेल में रहे.
लोकतंत्र से राजतंत्र की ओर तेजी से लुढ़कते इस देश में लॉकडाऊन के नाम पर लाखों लोगों के प्राण छीन लिये जाते हैं, करोड़ों लोगों को आतंकित किये जाते हैं, करोड़ों लोगों (किसान आंदोलनकारियों) को आतंकवादी, देशद्रोही बताया जाने लगता है, उनको उनके घरों से उठाया जाने लगता है, षड्यंत्रों का एक नया दौर चल निकलता है, और भांड बने मीडिया इसके समर्थन में गीत गाने लगता है, भला इस देश में कोई कैसे सम्मान के साथ जी सकता है ?
इसी कड़ी में आंदोलनकारी किसानों के पक्ष में सक्रिय होने के कारण राजीव भूषण सहाय को आतंकित करने का प्रयास किया गया हैै, जिसे उन्होंने सोशल मीडिया पर जाहिर किया है, जो इस प्रकार है –
19 फरवरी, 2021 के शाम लगभग 5 बजे एक सज्जन जिन्होंने अपना नाम सीटी थाना, बोकारो स्टील सिटी, के इन्सपेक्टर संतोष कुमार (जो वर्दी में नहीं थे) बताया, मुझे घर से गाड़ी (जिस पर Police लिखा हुआ था) से बिना Legal Intimation बोकारो के पुलिस अधीक्षक से मिलवाने ले गये. उसके बाद का विवरण निम्नलिखित है –
बोकारो (झारखंड) के पुलिस अधीक्षक, श्री चंदन कुमार झा, ने मुझे बताया कि कुछ पत्रकारों ने उन्हें मुझसे मिलने का सुझाव दिया था. मैंने जानबूझकर नहीं पूछा कि किन पत्रकारों ने सुझाव दिया था, ना ही उन्होंने बताया.
उन्होंने बताया कि उनके पिताजी आकाशवाणी, पटना से मुख्य समाचार संपादक के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद गांव में रहते हैं.
यह भी बताया कि दूरदर्शन के सुप्रसिद्ध सेवानिवृत्त पत्रकार, श्री सुधांशु रंजन, से उनकी रिश्तेदारी बनती है.
मैंने उन्हें बताया कि मैं किसी मीडिया का रिपोर्टर नहीं हूंं, उसका कारण भी पूर्व में मेरे साथ हुए बेइमानियों एवं घटनाओं का विवरण देकर बताया लेकिन यह बताया कि उच्च न्यायपालिका में, और संविधान के साथ हो रहे आपराधिक कृत्यों पर मैं शोध करने के बाद अनछुए पहलुओं पर लिखता हूंं. उदाहरण के लिए, अनुच्छेद-370 पर संविधान में हुए आपराधिक (भारतीय दंड संहिता के धारा-464 के अनुसार) जालसाजी पर लिखने की योजना के बारे में उन्हें बताया.
मेरे स्थाई निवास का पता उन्होंने पूछा तो पीरमोहानी, पटना में अपने घर का पता बता दिया.
मैंने उन्हें यह बताया कि Lockdown एवं मेरे दाहिने घुटने में गड़बड़ी हो जाने के बाद मेरे खराब स्वास्थ्य के कारण एक वर्ष से भी अधिक समय से बोकारो स्टील सिटी में अपनी बहन के घर पर हूंं.
बातचीत बिल्कुल सौहार्दपूर्ण रहा. उन्होंने चाय भी पिलायी तथा कभी भी जरूरत पड़ने पर नि:संकोच फोन करने को कहा. मेरे घुटने की तकलीफ का इलाज करवाने के लिए उन्होंने अस्थिरोग विशेषज्ञ के पास पहुंचाने का भी Offer दिया जिसे मैंने सलीके से टाल दिया.
भीमा-कोरेगांव मामले में फंसे रोना विल्सन के कम्प्यूटर में हैकिंग कर जालसाजियों का मामला उजागर होने के बाद हमारे देश में किसी भी स्तर के सरकारी पक्ष और कुछेक जजों को छोड़कर सुप्रीम कोर्ट को भी संविधान सम्मत और दोषरहित समझना बिल्कुल आत्महत्या जैसी है इसलिए बातचीत बिल्कुल सौहार्दपूर्ण रहने के के बावजूद भी निम्नलिखित कारण शंका पैदा करती हैं –
- उपरोक्त सौहार्दपूर्ण वातावरण मेरे सामर्थ्य के सीमाओं के आकलन तथा अतिरिक्त जानकारियां खोदने के लिए भी बनाया गया होगा.
- उन्होंने सबसे पहला Call मेरे नंबर पर नहीं, बल्कि मेरी बहन के नंबर पर शाम लगभग 4 बजे किया. अर्थात उन्हें मेरा नंबर पहले से नहीं मालूम था.
- मेरी बहन बोकारो स्टील प्लांट (SAIL) के शिक्षा विभाग में अंग्रेजी की सीनियर मास्टर के पद से 2017 में सेवानिवृत्ति के बाद साहित्यिक कार्य, पुस्तक लेखन, आदि, में व्यस्त हो गयी. अभी तक अंग्रेज़ी में एक पुस्तक, तथा हिन्दी में (एक उपन्यास सहित) तीन पुस्तकें दिल्ली से प्रकाशित हो चुकी हैं.
- सीटी थाना के इन्सपेक्टर संतोष कुमार ने कहा कि मेरी बहन का नंबर फेसबुक में मिला, तो उन्हें कैसे पता चला कि मेरी बहन फेसबुक पर भी है ? तथा यह पता लगाने की जरूरत क्यों, या कैसे पड़ी ?
- मेरे पास कोई भी मोटर वाहन नहीं है लेकिन घुटने में गड़बड़ी हो जाने के बाद जब भी बोकारो स्टील सिटी आता हूंं तो अपनी बहन की गाड़ी पर चलता हूंं, खुद हीं चलाता हूंं. हो सकता है कि बोकारो स्टील सिटी के सक्रिय आंदोलनकारियों को मेरे साथ उस गाड़ी में देखा गया हो.
- बोकारो में CAA-NRC के खिलाफ आंदोलन में मैं सक्रिय था, उस कारण से उक्त गाड़ी अनेकों बार आंदोलन स्थल पर ले गया था. वहांं पुलिस हमेशा रहती थी, जो निश्चित हीं जासूसी कर सम्बन्धित उच्चाधिकारियों को खुफिया रिपोर्ट भेजी होगी, तो उसी गाड़ी के नंबर के जरिए परिवहन कार्यालय से मेरी बहन का फोन नंबर और सेवानिवृत्ति के बाद छोड़े गये क्वार्टर का Location पता लगाया गया होगा.
- पटना में भी ‘बाकी है अभी सम्पूर्ण क्रांति’ नाम से कुछ जेपी सेनानियों का एक छोटा समूह बना कर जेपी के रुके हुए योजनाओं को फिर से आगे बढ़ाने का प्रयास हमलोग कभी भी नहीं छोड़ते हैं.
राजीव भूषण सहाय, देश का एक जागरूक नागरिक हैं. अपनी मातृभूमि के प्रति अपनी चिंता जाहिर करना देश के एक नागरिक का कर्तव्य है, परन्तु, देश के नागरिकों की चिंता करना और सत्तारूढ़ शासक से सवाल करना आज एक अपराध बन गया है. ऐसे में देश के तमाम जागरूक लोगों को एकजुट होना जरूरी है, वरना, एक एककर सब मारे जायेंगे. दिशा रवि और राजीव भूषण सहाय तो केवल एक उदाहरण मात्र हैैं.
[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]