यहां पूजा जाता है लिंग
और..
योनियों में ठूंस दी जाती है
मोमबत्तियां…
प्लास्टिक की बोतलें..
कंकड़ पत्थर..
लोहे की सलाखें तलक….!!
चीर दिया जाता है गर्भ…
कर दी जाती है बोटी-बोटी
अजन्मे भ्रूण की…
और भालों पर उछाला जाता है दूधमुंहा नवजात…
दौड़ाया जाता है जिस्म कर नंगा सरेबाजार…
बता डायन खीँच ली जाती है सलवार…
और बना देवदासी भोगा जाता है बार बार…
और आप
मुझे भाषा की श्लीलता अश्लीलता
सिखाये जाने को मरे जा रहे है !
मर्यादा के नाम पर
सच को ढाके-तोपे रखने की
यह सांस्कृतिक विरासत रखे अपने पास…
विद्रोह मर्यादा में बने रहना नहीं…
मर्यादाएं तोड़ देना है…!!
- आर. एस. पटेल
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