Home गेस्ट ब्लॉग महाशक्तिशाली पाकिस्तान !

महाशक्तिशाली पाकिस्तान !

14 second read
0
0
456

महाशक्तिशाली पाकिस्तान !

साम्राज्यवादियों ने भारत विभाजन कर देश को रिसता जख्म दे गया, जिसे दोनों ही देश के शासक बारी-बारी से भुनाकर अपनी सत्ता को कायम रखते हैं, परन्तु 2014 में भारत की सत्ता पर कब्जा जमाने वाली प्रतिक्रियावादी संघी मूरखों ने बकायदा इस रिसते जख्म पर नमक रगड़ दिया है, और नरेन्द्र मोदी अनपढ़ गुंडों के हाथ देश सौंप दिया. वहीं, पाकिस्तान जैसे अराजकतावादी देश में एक होशियार व पढ़ा-लिखा चेहरा इमरान खान देश की गद्दी पर आसीन हुआ, और देश का चेहरा बदल दिया.

भारत के मूर्ख, अनपढ़, गुंडा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को 1947 के बाद वाले साम्प्रदायिक पाकिस्तान के रुप में ढ़ाल दिया तो वहीं पाकिस्तान के पढ़े लिखे होशियार प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तान को 1947 वाले लोकतांत्रिक भारत के रुप में बदल रहा है.

आज भारत का मूर्ख, अनपढ़, गुंडा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के नागरिकों को पाकिस्तान का भय दिखाकर इतना ज्यादा भयाक्रान्त कर दिया है कि भारत के लोग पाकिस्तान को महाशक्ति मान लिया है. अपनी व्यंग्यात्मक शैली के प्रसिद्ध विद्वान और राजनीतिक विश्लेषक सुब्रतो चटर्जी सोशल मीडिया पर लिखते हैं –

ज़्यादातर पाकिस्तानी लोगों को नहीं मालूम कि हम पाकिस्तान को महाशक्तिशाली (सुपर पावर) मानते हैं. अब देखिए, भारत में जो भी गड़बड़ होता है, पाकिस्तान करवाता है.

कश्मीर से शुरु करते हैं. जो पाकिस्तान पीओके और बलूचिस्तान में अपना शासन नहीं चला पाता है, वह हमारे कश्मीर में तीस सालों से नाक में दम कर रखा है. जो पाकिस्तान पाई-पाई के लिए चीन और अमरीका पर निर्भर है, वह हमारे करेंसी की नक़ल कर हमारी अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर रहा है.

पाकिस्तान जब चाहे तब मुंबई पर हमला कर सकता है. हमारे संसद को टार्गेट करना पाकिस्तान के बांएं हाथ का खेल है. पाकिस्तान जिसे चाहे एक प्रेशर कुकर में पटाखे भर के दिल्ली दहलाने की कोशिश कर सकता है. पाकिस्तान हमलावर टिड्डियों को भेज कर हमारी खेती बर्बाद कर सकता है.

पाकिस्तान जेएनयू, जामिया मिलिया, एएमयू जैसे विश्वविद्यालयों में जब चाहे तब अपने गुर्गों को चुनाव जीताकर भारत में टुकड़े टुकड़े गैंग बना सकता है. पाकिस्तान शाहीन बाग में आंदोलन करवा सकता है. पाकिस्तान जब चाहे , जहांं चाहे पुलवामा करवा सकता है. पाकिस्तान के चाहने पर राहुल गांधी प्रधानमंत्री भी बन सकता है.

संक्षेप में, पाकिस्तान भारत की नियति लिख सकता है. हो गया न पाकिस्तान सुपर पावर ? हम तो अहमक हैं कि चीन, अमरीका, रूस को सुपर पावर समझते रहे. असल सुपर पावर कौन है जानने के लिए भक्तों से पूछो.

व्यंग्यात्मक शैली में व्यक्त किये गये इन विचारों से परे जब हम वाकई में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के कार्यशैली व चिंतन शैली को देखते हैं, तब दांतों तले उंगली दबानी पड़ जाती है. यहां हम केवल कोरोनानामा और उससे उपजी लॉकडाऊन जैसी बातों का ही तुलनात्मक अध्ययन करते हैं.

भारत का अनपढ़, गुंडा आवारागर्द प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जो गुंडों की तरह आश्चर्य में डालने वाला कार्यशैली अपना कर देश में यकवयक लॉकडाऊन लागू कर लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया है, करोड़ों लोगों को बेरोजगार कर भूख से मरने के लिए सड़कों पर छोड़ दिया है, वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने काफी सोचसमझकर ठोस कदम उठाए हैं. वाचस्पति शर्मा सोशल मीडिया पर लिखते हैं :

कोरोना और लॉकडाऊन के सवाल पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान पहले दिन से कुछ बातों पर पूरी तरह स्पष्ट थेे.

पहला – पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति के हालात को देखते हुए हम टोटल लॉकडाउन अफोर्ड नहीं कर सकते.
दुसरा – कोरोना संकट के दौरान असंगठित क्षेत्र में मुद्रा का द्रवीय प्रवाह बना रहे.
तीसरा – चीन से हर सम्भव मदद के लिए बिना शर्त तैयार रहे क्योंकि चीन मार्च तक ही कोरोना के सबसे बुरे दौर और उससे निपटने के प्रयासों का अनुभव कर चुका था और वो अपने राजनीतिक समझौतों के तहत पकिस्तान को हर सम्भव मदद भी दे रहा था (जबकि भारत के आपराधिक गुंडों के सरगना नरेन्द्र मोदी और तड़ीपार अमित शाह ने फर्जी तलवारें भांज-भांज कर चीन को अपना दुश्मन बना लिया.)

आज पांच महीने बाद पकिस्तान में कोरोना का ग्राफ नीचे जा चुका है. कोरोना के मरीज प्रतिदिन चार पांच सौ से ज्यादा नहीं आते.

पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को कुछ ख़ास नुकसान नहीं पहुंचा उल्टे बहुतेरे सेक्टर्स में उछाल आया है. फ़ूड इंडस्ट्री और टेक्सटाइल में निर्यात बढ़ा है.
प्रवासी मज़दूरों को पलायन नहीं करना पड़ा. कोरोना की वजह से कोई अफरा-तफरी नहीं मची. रोडवेज, ट्रेन और लोकल यातायात सब खुला रहा।

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि –

  • इमरान खान आदमी पढ़ा-लिखा है और अपनी हालात समझता है.
  • उसकी सरकार हमेशा विक्ट्री मोड में नहीं रहती. ऐसा नहीं कि कोई भी घोषणा कर दी और अगले दिन ही उसकी सफलता घोषित करके उत्सव मानना शुरू.
  • उसकी सरकार ने एक टीम के रूप में काम किया. उसने पूरे मुल्क को एक ‘लाला की दूकान टाइप प्रतिष्ठान’ बना के फैसले नहीं लिए.
  • उनकी सरकारों ने अपनी असफलता छुपाने के लिए पड़ोसी देशों की बर्बादी की झूठी ख़बरें नहीं फैलाई.
  • सबसे बड़ी बात, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ‘आईएसआई’ या ‘आर्मी’ का खिलौना भले हो सकते हैं लेकिन वे किसी सरमायेदार के हाथों नहीं खेल रहा है, ये पता चल रहा है.

आज पांच महीने बाद तस्वीर आपके सामने है. कोरोना संकट वास्तविक है या नहीं, ये बहस का मुद्दा हो सकता है लेकिन आर्थिक मोर्चे पर भारत और पाकिस्तान के वर्तमान आंकड़े का जमीनी अध्ययन किया जाना चाहिए.

इसके अतिरिक्त हमें पाकिस्तान के बारे में कुछेक बातों को गद्दार मीडिया से इतर जान लेना चाहिए क्योंकि भारत की बर्बादी में साझेदार भारतीय मीडिया सच्चाई से बेलाग बचकर आंखों में धूल झोंक रही है. प्रदीप कुमार मिश्रा इस बारे में बताते हुए सोशल मीडिया पर लिखते हैं :

हमारा पड़ोसी जन्मजात शत्रु राष्ट्र पाकिस्तान की न्यायपालिका व मीडिया हमसे यानी भारत से बहुत बेहतर है. पाकिस्तान में कई आला दर्जे के हुक्मरानों को फांसी दी गयी है हमारे यहांं जैसे मृत महापुरुषों की चरित्र हत्या की जाती है, ऐसा पाकिस्तान में तो कतई नहीं है. जितनी गालियां हमारे यहांं महात्मा गांधी को दी जाती है, वहांं ऐसा नहीं होता.

यह कड़वा सच है कि पाकिस्तान में मीडिया इमरान सरकार या किसी का, यहांं तक कि वहांं की सेना या आईएसआई या सेना अध्यक्ष तक का गुलाम नहीं है. वहांं सभी सरकारी संस्थायें हमारे यहांं से ज्यादा स्वतंत्र है, चाहे उनकी गुप्तचर एजेंसियां हो, चुनाव आयोग हो या रिजर्व बैंक हो या न्यायालय हो सब स्वतंत्र है.

पाकिस्तान में अंधभक्त गुलाम चमचे आईटी सेल के जरिये झूठे मनगढ़ंत किस्से कहानी नहीं बनाते. कभी भी मुस्लिम एक दूसरे को देशद्रोही नहीं कहते. कभी कोई राष्ट्र अध्यक्ष उधोगपति या पूंजीपतियों का गुलाम नहीं होता.

वहांं हर शाम को जहरीली बहस नहीं होती. वहांं के न्यूज एंकर अर्नव गोस्वामी, सुचिता कुकराती जैसे लोग देश का माहौल नहीं बिगाड़ पाते. वहांं संबित पात्रा जैसे लोग ज्यादा दिन जुबान नहीं चला पाते.

पाकिस्तान में नोट बन्दी यदि की गई होती तो ऐसा करने वाले राष्ट्र अध्यक्ष आज जेल में होते. राफेल घोटाला जैसा मामला पाकिस्तान में होता तो अभी तक वहांं की न्यायपालिका दोषियों को सलाखों के पीछे सड़ा देती.

जबकि भारत में ऐसे दोषियों को सम्मानित किया जाता है, उसके कशीदे गाये जाते हैं. पनामा पेपर्स कांड में देख चुके हैं, कि पाकिस्तान की न्यायपालिका ने प्रधानमंत्री की न केवल कुर्सी ही छीन ली, अलबत्ता उसे जेल के सलाखों में डाल दिया, जबकि भारतीय न्यायपालिका मोदी जैसे गुंडों के न केवल तलबा ही चाटती है अपितु, हजारों घोटालों की तरह पनामा पेपर लीक कांड भी हवा में विलीन हो जाता है और अमिताभ बच्चन जैसा नौटंकीबाज लोगों की दुआएं लेने लगता है.

अंत में हम देखते हैं पाकिस्तान से लड़ने की सनक ने भारत को एक पेशेवर हत्यारे और गुंडों के हाथों का खिलौना बना दिया है, यही कारण है जब चेतन भगत जैसा संघी अंग्रेजी लेखक यह कहने को मजबूर हो जाता है कि ‘हमने भाजपा को वोट मुसलमानों को मिटाने के लिए दिया था,लेकिन मुसलमान तो नहीं मिटे पर हम खुद बर्बाद हो गये.’

एक बात तो निःसंदेह स्पष्ट है, अगर भारत और पाकिस्तान दोनों के ही निजाम अगले 10 साल तक अपने-अपने जगह पर टिके रह गये तो वह दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान एक ताकतवर राष्ट्र बन जायेगा और भारत जैसा विशाल देश पाकिस्तान के सामने निचुड़े हुए कंगाल की भांति खड़ा रहेगा और थरथर कांपेगा.

Read Also –

सोशल एक्सपेरिमेंट प्रैंक : भारत-पाकिस्तान की आम आवाम
राम मंदिर से शुरू होकर वाया पुलवामा पाकिस्तान के बालकोट तक
पाकिस्तान : भारतीय वीजा के इंतजार में हिन्दुओं का अस्थिकलश
नीरो एंड कंपनी’ के लॉकडाऊन-अनलॉक का मकसद 

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

 

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

किस चीज के लिए हुए हैं जम्मू-कश्मीर के चुनाव

जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए चली चुनाव प्रक्रिया खासी लंबी रही लेकिन इससे उसकी गहमागहमी और…