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माफिया, मुसोलिनी, ला कोसा नोस्त्रा…

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माफिया, मुसोलिनी, ला कोसा नोस्त्रा...
The Italian fascist leader Benito Mussolini circa 1935. (Photo by Popperfoto/Getty Images)
मनीष सिंह

आज का इटली कभी रोमन राज हुआ करता था. पर जब रोम गिरा, तो वह दौर भी आया जब इस पर तमाम दूसरे आक्रांताओं ने कब्जा जमाया. यहां छोटे छोटे राज्य हो गए, और बहुत से राजे महाराजे. 1850 के बाद गैरीबाल्डी ने इटली का एकीकरण किया औऱ मौजूदा इटली अस्तित्व में आया. इसमें मेनलैंड से अलग आइलैंड भी शामिल था, इसे सिसली कहते हैं.

सिसली में बड़े छोटे जमींदार थे, कानून व्यवस्था बनाकर रखते मगर जब नेशन स्टेट बन गया, उनके अधिकार छिन गए. पुलिस रखी गयी, जो नाकाफी थी. जमींदारों के अत्याचार से परेशान गरीब सिसली वाले बागी बन जाते. गैंग बनाते, धनिकों को मारते, लूट लेते. ये करने वाले बहादुर थे, जनता के हीरो थे.

माफिया का मतलब ‘बहादुर’ या ‘जांबाज’ ही होता है. आगे चलकर यह बेरोजगार लड़कों का धंधा बन गया. ये अमीरों को लुटेरों से बचाने लगे, बदले में वसूली करते. इनके संगठन बन गए, इलाके बांट लिए. बहुत धनी, ताकतवर हो गए. सफेदपोश होकर आपराधिक व्यवसाय करने लगे. ये माफिया तन्त्र की ईजाद थी.

इन माफिया बॉस का एक संगठन बना. ये संगठन ‘ला कोसा नोस्त्रा’ कहलाता. याने ‘हमारी चीज’ … हमारी से मतलब, इसमें सरकार का कोई दखल नहीं. इसका सबसे बड़ा कानून था- ओमेर्ता याने – चुप्पी. सरकार, न्यायालय, जजों, पुलिस से न कोई शिकायत करेगा, न गवाही देगा. हमने एक दूसरे को मारा लूटा, हम लोग आपस में सुलटेंगे. ओमेर्ता अपराधियों के बीच सम्मान की बात थी. मुंह खोला, तो दुश्मन ही नहीं, दोस्त ही मार देंगे. ऐसे में कानून के लिए माफिया एक अबूझ पहेली थी.

तो इस तरह सिसली में माफिया सुखी जीवन व्यतीत कर रहा था. तभी मुसोलिनी भाई सत्ता में आ गए. ये 1922 का साल था. दो साल बाद वे सिसली दौरे पर आये.

अब मैगलोमानियक तानाशाह सुरक्षा का ख्याल रखता है. शहंशाह मुसोलिनी के साथ युद्धक पोत, विमान, सबमरीन, हजारों गार्ड का दस्ता था. वहां ला कोसा नोस्त्रा के डॉन ने स्वागत किया. उसे ये अपनी इन्सल्ट लगी. कह दिया- भला इतनी फ़ौज लाने की क्या जरूरत थी, आप यहां तो मेरे प्रोटेक्शन में हो. आपको कोई खतरा नहीं.

यह पहली गलती थी. मुसोलिनी को बात पसन्द नहीं आई, डांट लगा दी. डॉन बुरा मान गए. मुंह फुला कर चले गए. उन्होंने मुसोलिनी को सबक सिखाने की सोची.

अगले दिन भाषण का कार्यक्रम था. मुसोलिनी भाषण देने आए, तो सामने मुट्ठी भर भीड़ थी. तमाम मसखरे, भिखारी, छोकरे.. वो भी उनको मुंह चिढ़ाते हुए ट्रोल कर रहे थे. माफिया, दरअसल मुसोलिनी को सिसली में औकात बता रहा था.

एक तानाशाह का भाषण उत्सव खराब करना. ये दूसरी और आखरी गलती थी.

फासिस्ट पार्टी, खुद सबसे बड़ी माफिया थी. फिर तो अभी सरकार में थी. गुण्डई में माफिया उसका क्या ही मुकाबला करता। !

मुसोलिनी ने सिसली के पुलिस चीफ को बुलाया. सीजर मोरी नाम था उसका. एनकाउंटर स्पेशलिस्ट थे. बेचारे के सामने कानून आ जाता था. मुसोलिनी ने आदेश दिया- किसी भी कीमत पर माफिया का सफाया करो. कानून, नियम, न्यायालय, मानव अधिकार सबकी ऐसी तैसी… और हां, तुम खुद कानून बना सकते हो. खुद बनाओ, खुद पालन करवाओ.

अब रोज नए कानून बनते. दस हजार से ऊपर एनकाउंटर हुए. हजारों जेल में ठूंस दिए गए. जाहिर है इसमे अधिकांश मासूम लोग थे. माफियाओं के पत्नी बच्चे, शरण देने वाले या जिस ओर भी ऐसा शक हो, जेल या कब्र में पहुंचा दिये गए.

मतलब यहां तक हुआ कि जहां 2-4 माफिया के छुपे होने की खबर मिलती, गांव को पुलिस घेर लेती, जैसे किले घेरे जाते हैं. हफ़्तों तक गांव का खाना पानी बंद कर दिया जाता. पशु मार दिये जाते. पूरे गांव को तब तक तड़पाया जाता, जब तक इच्छित आदमी उनके हवाले न होते. फिर उन्हें वहीं गोली मार, लाश चौपाल पर छोड़कर पुलिस लौट आती. खबर सुनकर, डुचे मुसोलिनी प्रशंसा पत्र भेजते.

इन सीज में वो मशहूर कारलियोनि गांव भी था. सिसली में माफिया की कमर टूट गयी. बड़े माफिया सब अमेरिका भाग गए. बचे वही, जो खुलकर फासिस्ट पार्टी के सपोर्टर थे. पांच साल तक सिसली में तांडव चला.

पांच साल बाद यह मानकर कि माफिया पर पूर्ण विजय प्राप्त हो चुकी है, इटली के अखबारों से, माफिया की खबरे फ्रंट पेज पर आनी बन्द हुई. मोरी साहब को मुसोलिनी जी ने सांसद नियुक्त किया.

वक्त का पहिया घूमता है. मुसोलिनी के लिए भी घूमा. जनता ने उसे मारकर चौराहे में टांग दिया. उधर अमेरिका पहुचे माफिया ने वहां अमरीकन माफिया को जन्म दिया. इसी बैकग्राउंड में गॉडफादर जैसे कैरेक्टर बने.

इनके हाथ मे अब एक नई ताकत थी- सफेद पाउडर, हेरोइन…! माफिया छुपकर काम करना सीख चुका था. जमीन के भीतर मजबूत हो रहा था, इंटरनेशनल हो रहा था.

माफिया पनपते हैं गरीबी, अत्याचार, करप्शन औऱ न्याय व्यवस्था की नपुंसकता पर. जमीन में माफिया की उर्वरता खत्म किये बगैर, मुसोलिनी ने भरजोर प्रयत्न तो किया, मगर माफिया उससे कभी खत्म न हो सका. अलबत्ता कुछ माफिया मारकर, उसने नये माफिया के लिए जगह जरूर तैयार की. मुसोलिनी के बाद उसने सिसली पर फिर कब्जा जमाया. इस बार ज्यादा ताकतवर, चतुर, धनी, अदृश्य और सरकार के साथ सामंजस्य में था.

वह ठेके ले रहा था, बड़े बिजनेस चला रहा था. वह पुलिस, कोर्ट, नेता औऱ सरकारों से गठजोड़ करता, सरकारें बनवाता. सरकार बनता.

याद रहे।, मर्डर, वसूली, दादागिरी, अनैतिक व्यापार, कब्जा, गुंडागर्दी, गलतबयानी, धोखा, जालसाजी, गवाहों को धमकाना, ये सब जब कानून के खिलाफ होती है, उसे माफिया कहते हैं.

यह बुरी चीज है. मगर जब यह कानूनी ताकत के साथ होता है, तो इसे सरकार कहते हैं. यह अच्छी चीज है क्योंकि कि इसे हमने चुना है.

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