Home कविताएं चाकू से पसलियों की गुज़ारिश तो देखिये !

चाकू से पसलियों की गुज़ारिश तो देखिये !

0 second read
0
0
212

तय है
लड़ाई तो है
लेकिन लड़ने वाले
लड़ाकों की तादाद
कितनी है

लड़ाई की खबर
ठीक से फैली नहीं
या फैलने से रोक दी गयी

और इसकी खबर
खबर नहीं है तो
इस खबर को
खबर बनाने की
ज़िम्मेवारी किस की है

निर्णय तो लेना है
कवि बनना है
कि खबरी बनना है

क्या पता है
कि यह लड़ाई
किस के विरूद्ध
किसके लिये है
और नहीं पता है
तो दुखद है

भीड़
युद्ध के मैदानों में होनी थी
और भीड़
मंदिर परिसर में है
आईपीएल के मैदानों
और कांवर यात्राओं में है

उद्घोषणा युद्ध की
राम की खाल में छिपा
जिस ठग रावण के विरूद्ध होनी थी
क्या ऐसी कोई उद्घोषणा है

या यह कि जो
विद्वता भीड़ को
समझाने में खर्च होनी थी
खर्च नक़ली और दिखावटी
सेमिनारों पर तो नहीं हो रही है

हम लड़ाई लड़ रहे हैं
या लड़ाई लड़ने के ढोंग
या साफ़ कहें तो
कहीं पाखंड तो नहीं कर रहे हैं

हम शायद भूल रहे हैं
लोहा लोहे को काटता है
और पारदर्शी शीशा
अपारदर्शी पत्थर से
टकरा कर चूर चूर हो जाता है

ऐसा नहीं है कि
धुआँ नहीं है
ऐसा नहीं है कि
आग नहीं है
और ऐसा भी नहीं है
कि बदन झुलस नहीं रहा है

लेकिन चर्चा मणिपुर की
न सुबह की कॉफी में है
न चर्चा कश्मीर की
शाम की चाय पर है

वह तानाशाह है
हिटलर है
हम क्या हैं
गैस चेंबर में मरते ज्यूस ???

  • राम प्रसाद यादव

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • शातिर हत्यारे

    हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…
  • प्रहसन

    प्रहसन देख कर लौटते हुए सभी खुश थे किसी ने राजा में विदूषक देखा था किसी ने विदूषक में हत्य…
  • पार्वती योनि

    ऐसा क्या किया था शिव तुमने ? रची थी कौन-सी लीला ? ? ? जो इतना विख्यात हो गया तुम्हारा लिंग…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…